मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन: बेटी ने दी मुखाग्नि, तीनों सेनाओं ने दी राजकीय सलामी
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मनमोहन सिंह का निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार।
बेटी ने मुखाग्नि दी, तीनों सेनाओं ने दी सलामी।
दिल्ली/भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज 28 दिसंबर, शनिवार को दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। देश ने एक ऐसे नेता को विदाई दी, जिन्होंने अपने जीवनकाल में भारत के आर्थिक विकास और स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए, और उनकी यादें इतिहास के पन्नों में अमर हो गईं।
अंतिम संस्कार में देशभर के दिग्गज नेता शामिल
उनके अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित तमाम प्रमुख नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सेना की तोपगाड़ी पर उनके पार्थिव शरीर को उनके आवास से निगमबोध घाट तक लाया गया। वहां तीनों सेनाओं ने उन्हें राजकीय सलामी दी। इसके बाद अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी की गईं।
परिवार ने दी अंतिम विदाई
डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्य भी इस भावुक क्षण में शामिल थे। उनकी पत्नी गुरशरण कौर, बड़ी बेटी उपिंदर सिंह (65), दूसरी बेटी दमन सिंह (61) और तीसरी बेटी अमृत सिंह (58) ने अंतिम विदाई दी। उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान उन्हें उनकी पसंदीदा नीली पगड़ी पहनाई गई, जो उनकी पहचान बन चुकी थी। उन्होंने इस पगड़ी का रंग कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की याद में चुना था।
92 वर्ष की आयु में हुआ निधन
डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। घर पर बेहोश होने के बाद उन्हें रात 8:06 बजे दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने रात 9:51 बजे अंतिम सांस ली।
कांग्रेस ने जताई नाराजगी
उनके अंतिम संस्कार को लेकर कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री के लिए स्मारक बनाने तक की व्यवस्था नहीं कर सकी। उन्होंने इसे देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का अपमान करार दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की थी कि जहां मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार हुआ, वहीं उनका स्मारक बनाया जाए। हालांकि, गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि स्मारक के लिए उपयुक्त जगह तय करने में कुछ समय लग सकता है।
राजनीति और आर्थिक सुधारों का सशक्त नेतृत्व
डॉ. मनमोहन सिंह को भारत के आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में याद किया जाएगा। 1991 में, उन्होंने भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए साहसी निर्णय लिए, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने 2004 से 2014 तक देश का नेतृत्व किया। उनकी सादगी, ईमानदारी और दूरदृष्टि ने उन्हें एक अलग पहचान दी।
देशभर में शोक की लहर
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। विभिन्न राजनीतिक दलों, नेताओं और आम जनता ने उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनकी विरासत भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में हमेशा अमिट रहेगी।
डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका जीवन और काम भारतीय इतिहास के स्वर्णिम अध्याय के रूप में हमेशा प्रेरणा देगा। उनके सम्मान में उठे सवाल और उनके जीवन की उपलब्धियां आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेंगी।
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