गुजरात: UCC लागू करने की तैयारी, आज हो सकता है बड़ा खुलासा

Tue 04-Feb-2025,04:34 PM IST +05:30

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गुजरात: UCC लागू करने की तैयारी, आज हो सकता है बड़ा खुलासा UCC लागू करने की तैयारी
  • गुजरात सरकार UCC लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी 4 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी आधिकारिक घोषणा कर सकते हैं।

  • उत्तराखंड के बाद गुजरात UCC लागू करने वाला दूसरा राज्य बन सकता है, जहां विवाह, तलाक, संपत्ति और गोद लेने के लिए समान कानून बनाए जाएंगे।

Gujarat / Gandhinagar :

गुजरात सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार (4 फरवरी) को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस संबंध में आधिकारिक घोषणा कर सकते हैं। संभावना है कि UCC के अध्ययन और क्रियान्वयन के लिए एक समिति गठित की जाएगी, जिसका नेतृत्व हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज कर सकते हैं। इस समिति में तीन से पांच सदस्य शामिल होंगे। समिति के गठन के बाद, इसे कैबिनेट की मंजूरी मिलेगी और फिर गुजरात विधानसभा में UCC विधेयक पेश किया जाएगा।

गुजरात में बीजेपी पिछले 30 वर्षों से सत्ता में है, और 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने अपने घोषणापत्र में UCC लागू करने का वादा किया था। अब, उत्तराखंड के बाद गुजरात भी इस दिशा में कदम बढ़ाने वाला दूसरा राज्य बन सकता है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में 27 जनवरी को UCC लागू किया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि बताया था। उत्तराखंड में UCC के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति, विरासत और गोद लेने के लिए समान कानून बनाए गए हैं।

उत्तराखंड में लागू UCC के कुछ प्रमुख प्रावधानों में 21 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए लिव-इन रिलेशनशिप में माता-पिता की सहमति और अनिवार्य रजिस्ट्रेशन शामिल हैं। विवाह पंजीकरण के लिए भी सख्त नियम बनाए गए हैं, जिसमें 26 मार्च 2010 से लागू तारीख के बीच हुए विवाहों का पंजीकरण अगले छह महीने में कराना अनिवार्य होगा।

गुजरात सरकार का यह कदम राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर समान कानून बनाना संविधान की भावना के अनुरूप है, लेकिन पारंपरिक समाजों में इसकी स्वीकार्यता को लेकर अभी भी सवाल बने हुए हैं।