सैफ अली खान और पटौदी परिवार 'शत्रु संपत्ति' विवाद में फंसे, भोपाल नवाब की संपत्ति पर उठे सवाल

Mon 27-Jan-2025,02:45 PM IST +05:30

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सैफ अली खान और पटौदी परिवार 'शत्रु संपत्ति' विवाद में फंसे, भोपाल नवाब की संपत्ति पर उठे सवाल
  • आफताब जहां ने इन संपत्तियों को न तो किसी को दान किया और न ही हिबा या पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए ट्रांसफर किया। 

  • उनकी 2000 में मृत्यु हो गई, लेकिन नवाब हामिदुल्ला खान और आफताब जहां की कोई संतान न होने के कारण इन संपत्तियों का उत्तराधिकारी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा सका।

  • सैफ अली खान और उनकी मां शर्मिला टैगोर को गृह मंत्रालय के अपीलीय प्राधिकरण के पास जानकारी लेने की सलाह दी गई थी, लेकिन 13 दिसंबर की सुनवाई में पटौदी परिवार की ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। 

  • 1968 में पारित शत्रु संपत्ति अधिनियम के अनुसार, यदि भारत का कोई नागरिक पाकिस्तान या चीन, या ऐसा कोई देश जिसने भारत के खिलाफ जंग छेड़ रखी हो, वह उस देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारत स्थित संपत्तियों को सरकार ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर सकती है। 

  • देश भर में 12,000 से अधिक संपत्तियां ‘शत्रु संपत्ति’ के रूप में दर्ज हैं, जिनकी कुल अनुमानित कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। 

Madhya Pradesh / Bhopal :

Bhopal/ बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान अपने मध्य प्रदेश के ‘दुश्मन संपत्ति’ मामले से जुड़े होने के कारण एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनकी भोपाल, सीहोर और रायसेन जिलों में स्थित लगभग 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है। यह संपत्ति भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान से संबंधित है, जो सैफ अली खान के परनाना थे।

क्या है पूरा मामला

सैफ अली खान के परिवार का इस विवाद से जुड़ाव उनके परनाना हामिदुल्ला खान की वसीयत से शुरू होता है। विभाजन के बाद उनकी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गईं, जिसके चलते उनकी संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दिया गया। हालांकि, आबिदा की बहन साजिदा सुल्तान, जो सैफ के दादी थीं, को उत्तराधिकारी घोषित किया था।

4 फरवरी 1960 को नवाब हमीदुल्ला खान की मृत्यु हुई, जिसके बाद उनकी पत्नी आफताबजहां पाकिस्तान चली गईं। पाकिस्तान जाने के बाद उन्होंने भोपाल और उसके आस-पास की अपनी संपत्तियों को छोड़ दिया। इसमें भोपाल के खानू गांव, कोहेफिजा, लाऊखेड़ी, सीहोर, बोरवन, रायसेन और अन्य क्षेत्रों की जमीनें शामिल हैं। आफताब जहां ने इन संपत्तियों को न तो किसी को दान किया और न ही हिबा या पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए ट्रांसफर किया। उनकी 2000 में मृत्यु हो गई, लेकिन नवाब हामिदुल्ला खान और आफताब जहां की कोई संतान न होने के कारण इन संपत्तियों का उत्तराधिकारी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा सका। यदि सरकार इन संपत्तियों को अधिग्रहित करती है, तो वर्तमान में इन पर काबिज लाखों लोगों की संपत्तियाँ सरकारी घोषित हो जाएंगी।

पटौदी परिवार ने इन संपत्तियों पर अपना दावा किया, लेकिन 2015 में भारत सरकार ने इनका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। वर्तमान में इस मामले पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

सैफ अली खान और उनकी मां शर्मिला टैगोर को गृह मंत्रालय के अपीलीय प्राधिकरण के पास जानकारी लेने की सलाह दी गई थी, लेकिन 13 दिसंबर की सुनवाई में पटौदी परिवार की ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। कस्टोडियन अधिकारी के अनुसार, सैफ अली खान ने नोटिस का जवाब नहीं दिया और न ही संपत्तियों के विवरण देने में सहयोग किया।

इस विवाद के चलते सैफ अली खान की इन संपत्तियों पर दावा कमजोर पड़ता दिख रहा है, और यह मामला कानूनी रूप से जटिल होता जा रहा है।

क्या है शत्रु संपत्ति अधिनियम (Enemy Property Act)

1968 में पारित शत्रु संपत्ति अधिनियम के अनुसार, यदि भारत का कोई नागरिक पाकिस्तान या चीन, या ऐसा कोई देश जिसने भारत के खिलाफ जंग छेड़ रखी हो, या भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्य किया हो, यदि वह उस देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारत स्थित संपत्तियों को सरकार ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर सकती है। 1968 के शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत, इन संपत्तियों का नियंत्रण भारत सरकार के ‘शत्रु संपत्ति के संरक्षक’ (CEPI) के पास होता है। 2015 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिसमें यह जोड़ा गया कि ऐसी संपत्तियों के संबंध में कोई वसीयत मान्य नहीं होगी। आपको बता दें कि देश भर में 12,000 से अधिक संपत्तियां ‘शत्रु संपत्ति’ के रूप में दर्ज हैं, जिनकी कुल अनुमानित कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इन संपत्तियों की नीलामी और बिक्री गृह मंत्रालय के प्रावधानों के तहत होती है।