हिंदी के वर्तमान स्वरूप में भक्ति काल के संतों का अविस्मरणीय योगदान

Mon 23-Sep-2024,12:51 AM IST +05:30
हिंदी के वर्तमान स्वरूप में भक्ति काल के संतों का अविस्मरणीय योगदान
  • "राजभाषा हिंदी का अतीत, वर्तमान और भविष्य" विषय पर सुरुचिपूर्ण परिसंवाद।  

Maharashtra / Nagpur :

मुंबई, 22 सितम्बर। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई के बैनर तले मनाये जा रहे हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में जनता शिक्षण संस्था, नागभीड द्वारा संचालित जनता कनिष्ठ महाविद्यालय में "राजभाषा हिंदी का अतीत, वर्तमान और भविष्य" विषय पर सुरुचिपूर्ण परिसंवाद सम्पन्न हुआ। 

शनिवार, 21 सितम्बर, 2024 को आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता गोंडवाना विश्वविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता एवं संस्था के अध्यक्ष डाॅ. अमीर धमानी ने की। परिसंवाद में मुख्य मार्गदर्शक के रूप में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य डॉ. विजेंद्र बत्रा मौजूद रहे। मुख्य अतिथि के रूप में गोंडवाना विश्वविद्यालय के पूर्व विधि सभा सदस्य अजय काबरा, जनता शिक्षण संस्था के सचिव डाॅ. रविंद्र कावडे और उपाध्यक्ष चक्रधर रोहनकर की सहभागिता रही। महाराष्ट्र राज्य गीत के साथ परिसंवाद कार्यक्रम के शुभारम्भ के बाद जनता कनिष्ठ महाविद्यालय के प्राचार्य दिवाकर ठाकरे द्वारा प्रस्तावना रखी गई। उन्होंने राष्ट्रभाषा हिंदी समिति, वर्धा द्वारा आयोजित परीक्षा में उनके महविद्यालय के विद्यार्थियों की सफल सहभागिता से अवगत करवाया और अन्य विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। प्रारम्भ में साहित्य अकादमी की ओर से तथा जनता शिक्षण संस्था के पदाधिकारियों द्वारा विभिन्न गणमान्य अतिथियों एवं मुख्य मार्गदर्शक डाॅ. विजेंद्र बत्रा का स्वागत-सत्कार किया गया। डाॅ. बत्रा ने अपने उद्बोधन में राजभाषा हिंदी के अतीत पर प्रकाश डालते हुए संस्कृत से जन्मी हिंदी भाषा के वर्तमान स्वरूप में आने तक की यात्रा में महान संत तुलसीदास, कबीरदास, सूरदास आदि के अविस्मरणीय योगदान का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कतिपय अहिंदी भाषी साहित्यकारों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी को तत्वतः राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने के ऐतिहासिक प्रयासों की विवेचना की। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों में हिंदी भाषा का प्रयोग करने से हिंदी की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है और हमें पूरा विश्वास है कि शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषा के रूप में हिंदी भाषा को मान्यता मिलेगी। साथ ही विद्यार्थियों का आव्हान किया कि राजभाषा हिंदी को विधिवत राष्ट्रभाषा घोषित जाने के प्रयासों का शत-प्रतिशत समर्थन सुनिश्चित करें। कार्यक्रम के अध्यक्ष डाॅ अमीर धमानी ने इस कार्यक्रम को जनता कनिष्ठ महाविद्यालय, नागभीड में आयोजित किये जाने के लिए अकादमी का हार्दिक आभार प्रकट किया एवं भविष्य में भी हमेशा हरसम्भव सहयोग करने का मानस जताया। अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि अजय काबरा ने महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में ऐसे सृजनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से हिंदी का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने  तथा चंद्रपुर जिले के प्रतिनिधि के रूप में डाॅ. विजेंद्र बत्रा के अकादमी में चयन के लिए महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीरभाऊ मुनगंटीवार का हार्दिक आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का सुचारू संचालन हिंदी शिक्षिका सुश्री संगीता मत्ते ने किया। गजेंद्र धुर्वे द्वारा आभार प्रदर्शन के उपरांत कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।