बूंदी में राव सूरजमल हाड़ा की छतरी का पुनर्निर्माण: ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण

Mon 07-Oct-2024,05:44 PM IST +05:30
बूंदी में राव सूरजमल हाड़ा की छतरी का पुनर्निर्माण: ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण
  • राव सूरजमल हाड़ा बूंदी राज्य के वीर और सम्मानित योद्धा थे। वह हाड़ा वंश के प्रमुख शासकों में से एक थे, जो अपने साहस, पराक्रम और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। 

  • राव सूरजमल हाड़ा ने अपने शासनकाल में अनेक युद्धों में भाग लिया और राज्य की रक्षा के लिए कई बार अपने जीवन का बलिदान दिया। 

Rajasthan / Kota :

राजस्थान की वीरभूमि हमेशा से अपनी शौर्य और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध रही है। यहां के राजा और योद्धा अपनी साहसिक गाथाओं और अद्वितीय धरोहरों के लिए जाने जाते हैं। उनमें से एक नाम है राव सूरजमल हाड़ा का, जो बूंदी राज्य के महान योद्धाओं में से एक थे। उनकी स्मृति में बनी 'राव सूरजमल हाड़ा की छतरी' आज भी राजस्थान की स्थापत्य कला और उसकी समृद्ध विरासत का प्रतीक रहा है। बीते दिनों राजा राव सुरजमल हाड़ा की छतरी को एयरपोर्ट निर्माण के लिए कोटा के डेवलपमेंट अथॉरिटी ने ध्वस्त कर दिया था जिसके बाद पूरे प्रदेश में छतरी को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। छतरी के ध्वस्त होने से गुस्साए लोगों के साथ पूरा राजपूत समाज व अन्य समाज के लोग भी विरोध में उतर आए। लोगों ने इस छतरी के पुनर्निर्माण की मांग की। इसके बाद गुरुवार को स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में राजपूत नेताओं और कोटा जिला प्रशासन की बैठक हुई। इसके बाद सर्व सहमति से हाल ही में यह घोषणा की गई है कि इस ऐतिहासिक छतरी का पुनर्निर्माण किया जाएगा, ताकि इस धरोहर को संरक्षित किया जा सके।

कौन थे राव सूरजमल हाड़ा

राव सूरजमल हाड़ा बूंदी राज्य के वीर और सम्मानित योद्धा थे। वह हाड़ा वंश के प्रमुख शासकों में से एक थे, जो अपने साहस, पराक्रम और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने शासनकाल में अनेक युद्धों में भाग लिया और राज्य की रक्षा के लिए कई बार अपने जीवन का बलिदान दिया। उनकी वीरता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें न केवल बूंदी बल्कि पूरे राजस्थान में एक महान योद्धा के रूप में प्रतिष्ठित किया।

स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना है छतरी

राजस्थान में छतरियाँ (स्मारक) शासकों, राजकुमारों और महान योद्धाओं की स्मृति में बनाई जाती थीं। ये छतरियाँ न केवल एक स्मारक होती थीं बल्कि स्थापत्य कला और राजस्थानी संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करती थीं। राव सूरजमल हाड़ा की छतरी भी उसी परंपरा का हिस्सा है। यह छतरी उनके शौर्य और योगदान को सम्मानित करने के लिए बनाई गई थी।

यह छतरी अपने अनूठे स्थापत्य शैली, नक्काशीदार गुंबदों, सुंदर स्तंभों और बारीक चित्रकारी के लिए जानी जाती है। यह छतरी अपने आप में राजस्थान के स्थापत्य और कलात्मक संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है।

पुनर्निर्माण की आवश्यकता

इस स्मारक को संरक्षित करना केवल राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का संरक्षण ही नहीं है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखना भी है। इसलिए इस छतरी का पुनर्निर्माण आवश्यक है।

राव सूरजमल हाड़ा की छतरी के पुनर्निर्माण का उद्देश्य इसे फिर से उसी स्थापत्य कला और धरोहर के साथ पुनर्जीवित करना है, जो इसे मूल रूप से दिया गया था। छतरी की नींव और मुख्य संरचना को मजबूती प्रदान की जाएगी ताकि इसे भविष्य में क्षति से बचाया जा सके।

छतरी की दीवारों और स्तंभों पर की गई बारीक नक्काशी और चित्रकारी को पुनर्स्थापित किया जाएगा, ताकि उसकी कला और सौंदर्य को जीवंत किया जा सके। पुनर्निर्माण के दौरान यह ध्यान रखा जाएगा कि छतरी की मूल स्थापत्य शैली और उसकी ऐतिहासिकता को किसी भी तरह से क्षति न पहुंचे। छतरी के पुनर्निर्माण के बाद इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इस ऐतिहासिक धरोहर को देख सकें और राजस्थान के गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकें।

राव सूरजमल हाड़ा की छतरी का पुनर्निर्माण राजस्थान के इतिहास और धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल एक स्मारक का पुनर्जीवन है, बल्कि यह उन मूल्यों और परंपराओं को फिर से जीवित करने का प्रयास है, जो हमारे अतीत की पहचान हैं। राजस्थान की धरोहरों को इस प्रकार से संजोकर रखना हमें हमारे पूर्वजों के शौर्य और उनकी अद्वितीय कला और संस्कृति का एहसास कराता है, जिससे भावी पीढ़ियों को प्रेरणा मिल सकेगी।

राजस्थान सरकार और धरोहर संरक्षण संगठनों की इस पहल से न केवल इस छतरी को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि यह ऐतिहासिक स्मारक एक बार फिर से अपनी पूरी गरिमा और शौर्य के साथ खड़ा होगा। राव सूरजमल हाड़ा की वीरता और उनके योगदान को यह स्मारक सदियों तक याद दिलाता रहेगा और इस पुनर्निर्माण कार्य से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह धरोहर आने वाले समय में भी सुरक्षित रहे।