लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से डरा हिंदी विश्वविद्यालय प्रशासन

Sat 07-Sep-2024,01:25 PM IST +05:30
AGCNN News पोर्टल को किया विश्वविद्यालय में ब्लॉक
  • विश्वविद्यालय प्रशासन पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया का बना दबाव। 

    सरकार को तुरंत विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई करने की जरूरत है l

Maharashtra / Wardha :

वर्धा. महाराष्ट्र का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा आए दिन किसी न किसी कारण चर्चा में बना ही रहता है। बीते 2 सितंबर को कार्यकारी कुलसचिव द्वारा एक पत्र जारी किया गया था जो की विश्वविद्यालय में चल रहे मेस को स्थगित करने के संदर्भ में था जिस पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया एजीसीएनएन news के साथ-साथ अनेक मीडिया संस्थानों ने खबर प्रसारित कर संज्ञान लिया था। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया का बना दबाव साफ दिख रहा है साथ ही विद्यार्थियों ने भी कार्यकारी कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह तथा कार्यकारी कुलसचिव आनंद पाटील के ऑफिस के सामने आंदोलन किया इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मेस की सुविधा को बहाल करने पर विचार कियाl लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा एजीसीएनएन चैनल को विश्वविद्यालय परिसर में ब्लॉक कर दिया गया है। अब विश्वविद्यालय की इन्टरनेट सुविधा के माध्यम से agcnnnews पोर्टल की साइट नहीं खोली जा सकती हैl विश्वविद्यालय प्रशासन अपने विद्यार्थियों, शिक्षक, एवं कर्मचारियों को agcnnnews देखने से बंचित कर रहा हैl विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किया गया कृत्य बेहद निंदनीय है, लोकतंत्र में मीडिया की आवाज को इस तरह से दबाना उचित नहीं माना जा सकता। इससे पहले भी वर्धा के हिंदी विश्वविद्यालय का क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज पर मूलभूत सुविधाओं को लेकर विद्यार्थियों ने लंबे समय तक अनिश्चितकाल धरना दिया था तब भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुगलकी फरमान जारी कर विद्यार्थियों को धमकाया था। उस समय भी agcnn news ने खबर को अपने चैनल पर चलाया था। उसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई l ऐसे में प्रशासन मीडिया की आवाज को अपनी तानाशाही से दबाना चाहता है। नाम ना बताने की शर्त पर विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों ने कहा कि विश्वविद्यालय वर्तमान समय में अनेक संविधान विरोधी कार्य कर रहा है l सरकार को तुरंत विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई करने की जरूरत है l बता दें कि पिछले दिनों विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों में बड़ी संख्या में गडबड़ी की बात बार बार सामने आ रही हैl इस संदर्भ में शिक्षा मंत्रालय ने भी संज्ञान लिया है l