विश्वविद्यालय के प्रति घोर लापरवाही, अपने घर की साज-सज्जा में लगे कार्यवाहक कुलसचिव आनंद पाटील

Sun 22-Sep-2024,08:30 PM IST +05:30
विश्वविद्यालय के प्रति घोर लापरवाही, अपने घर की साज-सज्जा में लगे कार्यवाहक कुलसचिव आनंद पाटील
  • वशिष्ठ वाटिका का नामकारण- वशिष्ठ वैदिक काल के विख्यात ऋषि एवं भगवान श्री राम के गुरु के रूप में जाने जाते हैं उन्हीं के नाम पर विश्वविद्यालय में एक पार्क का नाम ऋषि वशिष्ठ वाटिका रखा गया है।

  • हिंदी विश्वविद्यालय में ऋषि वशिष्ठ वाटिका के शिलापट को लगभग 3 माह पहले क्षतिग्रस्त किया गया था।

  • 22 जनवरी, 2024 अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन ही हुआ था हिंदी विश्वविद्यालय में वशिष्ठ वाटिका का लोकार्पण वर्धा के सांसद रामदास तडस के हांथों हुआ था। वशिष्ठ वाटिका के लोकार्पण समारोह में जिला कलेक्टर श्री राहुल कर्डीले और वर्तमान जिला पुलिस अधीक्षक नूरुल हसन के साथ–साथ वर्धा के अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।

  • ऐसा कहा जा रहा है कि हिंदी विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी एक विशेष विचारधारा के होने के कारण भी भगवान श्री राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ के नाम से इस वाटिका को विकसित किया जा रहा है इस लिए भी इसकी उपेक्षा की जा रही है।

  • विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह व कार्यवाहक कुलसचिव आनंद पाटील ऋषि वशिष्ठ वाटिका के 100 मीटर की दूरी पर निवास करते हैं।

Maharashtra / Wardha :

वर्धा/ महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा कारनामों के कारण अक्सर चर्चा में रहता है। यहाँ हो रहें कारनामों  के पीछे प्रशासनिक अधिकारियों का बड़ा हाथ देखने को मिलता है, जो विश्वविद्यालय में हो रही घटनाओं पर अपनी चुप्पी साधे होते है। ऐसी हीं एक और घटना का खुलासा हुआ है।

हाल ही में 22 जनवरी, 2024 अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन ही हिंदी विश्वविद्यालय में वशिष्ठ वाटिका का लोकार्पण वर्धा के सांसद रामदास तडस के हांथों हुआ था। वशिष्ठ वाटिका के लोकार्पण समारोह में जिला कलेक्टर श्री राहुल कर्डीले और वर्तमान जिला पुलिस अधीक्षक नूरुल हसन के साथ–साथ वर्धा के अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे लेकिन वशिष्ठ वाटिका के शिलापट को लगभग 3 माह पहले क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। जिसपर विश्वविद्यालय के किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान नहीं जा रहा है। जबकि विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह व कार्यवाहक कुलसचिव आनंद पाटील की गाड़ी प्रतिदिन वशिष्ठ वाटिका के इस क्षतिग्रस्त शिलापट के सामने से दिन में दो -चार बार जरूर गुजरती है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन इतना संवेदनाहीन हो चुका है कि उसे ये सब नजर नहीं आता है।

बता दें कि विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह व कार्यवाहक कुलसचिव आनंद पाटील ऋषि वशिष्ठ वाटिका के मात्र 100 मीटर की दूरी पर ही निवास करते हैं जबकि इस क्षतिग्रस्त शिलापट की मरम्मत में कोई बहुत बड़ी रकम नहीं लगने वाली है। लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि हिंदी विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी एक विशेष विचारधारा के होने के कारण भी भगवान श्री राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ के नाम से इस वाटिका को विकसित किया जा रहा है इस लिए भी इसकी उपेक्षा की जा रही है।

विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलसचिव डॉ आनंद पाटील जिनकी अभी विश्वविद्यालय में नियुक्ति स्थायी भी नहीं हुई है ऋषि वशिष्ठ वाटिका के 100 मीटर की दूरी पर निवास करते हैं यह कार्यवाहक कुलसचिव विश्वविद्यालय के धन का दुरुपयोग करते हुए अपने घर को सजाने में लगे हुए हैं।  

हिंदी विश्वविद्यालय का प्रशासन बड़ी लचर अवस्था में है। भगवान श्री राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ के नाम से बनी वटिका के शिलापट का क्षतिग्रस्त होना अपने आप में बड़ी बात है। और इससे भी बड़ी बात है विश्वविद्यालय के प्रशासन द्वारा इसकी मरम्मत न करना। हिंदी विश्वविद्यालय में अभी कुछ दिनों से इस प्रकार की प्रवृति कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है। हिंदी विश्वविद्यालय में शिलापट को नुकसान पहुंचाना, मूर्ति तोड़ना या मूर्ति का गायब हो जाना आम बात हो गई है। लेकिन यह देखने में आ रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसी घटनाओं को सजगता से नहीं ले रहा है। जबकि इस प्रकार की धर्म और आस्था से जुड़े मामलों पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और सुरक्षा के  पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। हिंदी विश्वविद्यालय के अधिकारियों को अपने घर से बाहर भी देखना चाहिए।