हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनावों का राजनीतिक परिदृश्य है काफी रोचक

Tue 08-Oct-2024,01:40 PM IST +05:30
हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनावों का राजनीतिक परिदृश्य है काफी रोचक haryana election 2024
  • शुरुआती एग्जिट पोल कांग्रेस की बढ़त का संकेत दे रहे थे, लेकिन मतगणना के दौरान बीजेपी ने मजबूत प्रदर्शन किया है। 

  • बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश में है, जबकि कांग्रेस ने अपने जातीय समीकरण और आंतरिक गुटबाजी से निपटते हुए वापसी की योजना बनाई थी। 

Haryana / Ambala :

हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनावों का राजनीतिक परिदृश्य काफी दिलचस्प है। राज्य में मुख्यतः दो प्रमुख दलों, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच मुकाबला देखा गया। बीजेपी तीसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही थी, जबकि कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए कमर कस चुकी थी। क्षेत्रीय दलों, जैसे जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), ने भी चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, परंतु उनका प्रभाव अपेक्षाकृत सीमित दिखा।

चुनाव अभियान के दौरान बीजेपी ने अपनी विकास योजनाओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया। राज्य की आर्थिक स्थिति और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को विपक्षी दलों ने जोर-शोर से उठाया। कांग्रेस ने किसान आंदोलन, बेरोजगारी, और महंगाई जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बीजेपी की नीतियों की आलोचना की। कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों पर ध्यान देते हुए विशेषकर जाट समुदाय के वोट को साधने की कोशिश की।

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी), जो पिछली बार बीजेपी की गठबंधन सहयोगी थी, ने इस बार स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा। जेजेपी ने ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की, खासकर युवा मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित किया। दूसरी ओर, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) भी अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को फिर से हासिल करने का प्रयास कर रहा था।
शुरुआती एग्जिट पोल कांग्रेस की बढ़त का संकेत दे रहे थे, लेकिन मतगणना के दौरान बीजेपी ने मजबूत प्रदर्शन किया है। बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश में है, जबकि कांग्रेस ने अपने जातीय समीकरण और आंतरिक गुटबाजी से निपटते हुए वापसी की योजना बनाई थी। परिणाम जल्द ही अंतिम रूप लेंगे, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सत्ता परिवर्तन होगा।

यह चुनाव न सिर्फ हरियाणा के लिए, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसके परिणाम आगामी लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों की रणनीतियों को प्रभावित कर सकते हैं।