विश्व सामाजिक न्याय दिवस: समानता और समावेशन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता
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विश्व सामाजिक न्याय दिवस की शुरुआत 26 नवंबर 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 62वें सत्र में हुई। 20 फरवरी 2009 से इसे प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) भी निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिए सामाजिक न्याय पर अपनी 2008 की घोषणा के माध्यम से इस प्रयास को प्रोत्साहित करता है।
नई दिल्ली, 20 फरवरी 2025: प्रतिवर्ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस समाज में समानता, एकजुटता और अवसर की समानता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक बहिष्कार को समाप्त करना है।
भारत के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई) ने सामाजिक-आर्थिक अंतर को पाटने के लिए विधायी सुधार, जमीनी सशक्तिकरण और वैश्विक साझेदारियों के माध्यम से अपने प्रयासों को तेज कर दिया है।
पृष्ठभूमि और वैश्विक संदर्भ
विश्व सामाजिक न्याय दिवस की शुरुआत 26 नवंबर 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 62वें सत्र में हुई। 20 फरवरी 2009 से इसे प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह दिवस सामाजिक विकास और सामाजिक न्याय को शांति और सुरक्षा के लिए अपरिहार्य मानता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) भी निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिए सामाजिक न्याय पर अपनी 2008 की घोषणा के माध्यम से इस प्रयास को प्रोत्साहित करता है।
भारत में सामाजिक न्याय का विकास
भारत में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण का विकास संविधान द्वारा संरक्षित विभिन्न प्रावधानों और नीतियों के माध्यम से हुआ है। प्रस्तावना और मौलिक अधिकार समानता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं। राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (डीपीएसपी) भी सामाजिक असमानताओं को कम करने के लिए राज्य को निर्देशित करते हैं।
मौजूदा पहलें:
1. प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-एजेएवाई)
2021-22 में शुरू हुई इस योजना के तहत कौशल विकास, बुनियादी ढांचे और आय सृजन के माध्यम से 5,051 गांवों को आदर्श ग्राम घोषित किया गया है।
2. श्रेष्ठ योजना (एसआरईएसएचटीए)
यह योजना अनुसूचित जाति के छात्रों को निजी स्कूलों में कक्षा 12 तक उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता देती है।
3. पर्पल फेस्ट
2023 में शुरू हुए इस फेस्ट का उद्देश्य दिव्यांगजनों के लिए समावेशन और सम्मान को बढ़ावा देना है।
4. नमस्ते योजना
सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए यह योजना 2023-24 में शुरू हुई।
5. एसएमआईएलई योजना
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और भीख मांगने वालों के पुनर्वास के उद्देश्य से यह योजना सामाजिक समावेशन और आजीविका के अवसर प्रदान करती है।
6. पीएम-दक्ष योजना
हाशिए पर पड़े समुदायों को कौशल विकास के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह योजना 2021 में शुरू की गई।
7. नशा मुक्त भारत अभियान
272 उच्च-जोखिम वाले जिलों में नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को रोकने और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह अभियान चलाया जा रहा है।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस हमें समानता और समावेशन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने की याद दिलाता है। भारत ने सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों के माध्यम से एक मजबूत दृष्टिकोण अपनाया है। पीएम-एजेएवाई, नमस्ते, एसएमआईएलई और पीएम-दक्ष जैसी योजनाओं के माध्यम से वंचित समूहों को सशक्त बनाया जा रहा है।
बढ़े हुए बजट आवंटन और समावेशी पहलों के साथ, भारत एक न्यायपूर्ण और समान समाज के निर्माण की दिशा में तेजी से अग्रसर है।