दिल्ली की कमान रेखा गुप्ता के हाथ, बीजेपी की रणनीति के 4 बड़े कारण

Fri 21-Feb-2025,02:14 PM IST +05:30

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दिल्ली की कमान रेखा गुप्ता के हाथ, बीजेपी की रणनीति के 4 बड़े कारण
  • दिल्ली में महिला सीएम देकर बीजेपी ने देशभर की महिला वोटर्स को संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी महिलाओं को नेतृत्व देने में पीछे नहीं है।

  • बीजेपी की पहचान पारंपरिक रूप से बनिया और ब्राह्मण की पार्टी के रूप में रही है, लेकिन अधिकांश राज्यों में ब्राह्मण मुख्यमंत्री ही रहे हैं। 

  • प्रवेश वर्मा की राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत रही है। लेकिन उनका राजनीतिक सफर 2013 में शुरू हुआ। वहीं, रेखा गुप्ता तीन दशकों से संघ से जुड़ी हैं और 2002 में बीजेपी में शामिल हुईं, जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 

Delhi / New Delhi :

दिल्ली/ दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के साथ ही रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनके साथ छह मंत्रियों ने भी रामलीला मैदान में आयोजित 'विकसित दिल्ली' शपथ ग्रहण समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। शपथ लेने वालों में प्रवेश वर्मा का नाम भी शामिल था, जो सीएम पद के दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन बीजेपी ने रेखा गुप्ता को दिल्ली की कमान सौंपकर एक बड़ी रणनीति के संकेत दिए हैं। आइए समझते हैं इस फैसले के पीछे के चार बड़े कारण।

1. महिला वोट बैंक को साधने की रणनीति

बीजेपी का कोर वोटर मानी जाने वाली महिलाएं हर चुनाव में पार्टी को निर्णायक बढ़त दिलाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ‘GYAN’ (गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी) पर जोर देते हैं। हालांकि, बीजेपी की किसी भी राज्य सरकार में महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। राजस्थान में भी जीत के बावजूद वसुंधरा राजे की जगह भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया। अब दिल्ली में महिला सीएम देकर बीजेपी ने देशभर की महिला वोटर्स को संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी महिलाओं को नेतृत्व देने में पीछे नहीं है।

2. वैश्य समुदाय को साधने की कोशिश

बीजेपी की पहचान पारंपरिक रूप से बनिया और ब्राह्मण की पार्टी के रूप में रही है, लेकिन अधिकांश राज्यों में ब्राह्मण मुख्यमंत्री ही रहे हैं। राजस्थान में भजनलाल शर्मा, महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और असम में हिमंता बिस्व सरमा इसके उदाहरण हैं। वहीं, वैश्य समुदाय का कोई नेता मुख्यमंत्री नहीं बना था। अब दिल्ली में रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने अपने कोर वोटर वैश्य समुदाय को साधने की कोशिश की है।

3. रेखा गुप्ता का संघर्ष और संघ से जुड़ाव

प्रवेश वर्मा की राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत रही है। वे पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं और संघ से जुड़े रहे हैं, लेकिन उनका राजनीतिक सफर 2013 में शुरू हुआ। वहीं, रेखा गुप्ता तीन दशकों से संघ से जुड़ी हैं और 2002 में बीजेपी में शामिल हुईं, जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। 2015 और 2020 के चुनावों में हार के बावजूद उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी। उनके इस समर्पण और संघर्ष को बीजेपी ने अब सीएम पद देकर सम्मानित किया है।

4. जाट वोट बैंक की बजाय कोर वोटबैंक पर फोकस

प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से आते हैं, जो हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावशाली है। हरियाणा के चुनावों में बीजेपी ने जाट वोट बैंक पर निर्भर रहने के बजाय गैर-जाट वोटों को साधा और कामयाबी पाई। ऐसे में यह अटकलें थीं कि बीजेपी दिल्ली में जाट समाज को साधने के लिए प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बना सकती है, लेकिन पार्टी ने अपने कोर वोटबैंक (महिला और वैश्य समुदाय) पर फोकस बनाए रखा।

बीजेपी ने रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर स्पष्ट संदेश दिया है कि पार्टी नए वोट बैंक को साधने के चक्कर में अपने कोर वोटर्स की उपेक्षा नहीं करेगी। महिलाओं और वैश्य समुदाय को साधने के साथ-साथ पार्टी ने संघ से जुड़े नेताओं को भी तरजीह दी है। इस फैसले से दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो चुका है।