हिडिंबा मंदिर मनाली, हिमाचल प्रदेश के शहर में स्थित है
कुल्लू/हिडिंबा मंदिर का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में मनाली की सुंदर घाटियों का दृश्य घूमने लगता है। मनाली शहर कुल्लू घाटी के उत्तरी हिस्से के समीप व्यास नदी के किनारे बसा हुआ है। सुंदरता में इस शहर का कोई प्रतिद्वंदी नहीं है।
हिडिंबा मंदिर एक गुफादार मंदिर है जो हिमाचल प्रदेश के मनाली शहर में स्थित है। हिमाचल प्रदेश भारत देश के पश्चिमी हिस्से में है। हिमाचल का शाब्दिक अर्थ होता है हिम से घिरा हुआ। यह स्थान हमेशा बर्फ के घिरा रहता है जिसकी सुंदरता देखकर पर्यटक यही का होकर रह जाता है।
यह मंदिर हिडिंबा देवी को समर्पित है। हिडिंबा देवी पूरे हिमाचल में हिरमा देवी के नाम से जानी जाती हैं। हिरमा देवी का नाम हमे महाभारत पुराण में सुनने को मिलता है। हिरमा देवी को पांडु पुत्र भीम की पत्नी के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत में वनवास के दौरान जब पांडु पुत्रों के घर को जला दिया गया था तब पांडु पुत्रों ने उस वन को छोड़ कर दूसरे वन में चले गए। जहां पर हिडिंबसुर नाम का राक्षस राजा अपनी बहन हिडिंबा के साथ रहता था। यही वह स्थान था जहां हिडिंबा और भीम का विवाह हुआ। ऐसा कहा जाता कि एक बार हिडिंबसुर को भूख लगी थी और उसने अपनी बहन हिडिंबा को भोजन लाने को कहा भोजन कि तलाश में घूमती हिडिंबा पांडु पुत्रों के निवास स्थान पर पहुँच गयी वहाँ भीम को देखते ही हिडिंबा को उनसे प्रेम हो गया। इस बात से हिडिंबसुर को बहुत गुस्सा आया। इसके चलते हिडिंबसुर और भीम में बहुत भीषण युद्ध हुआ और भीम ने हिडिंबसुर को मार डाला। हिडिंबा ने भीम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन भीम ने उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इस पर कुंती के भीम को समझाया और अंततः भीम और हिडिंबा का विवाह हो गया। महाभारत में जिस वीर योद्धा घटोत्कच्छ की वीरता के चर्चे सुनने को मिलते हैं वह भीम और हिडिंबा का ही पुत्र था।
इस गुफ़ादार रहस्यमय मंदिर की दीवारों पर मौजूद अभिलेखों से यह ज्ञात होता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा बहादुर सिंह ने सन् 1553 ईस्वी के करीब करवाया था। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पैगोडा शैली में किया गया है, जो इसकी खूबसूरती को निखारता है। मनाली के पहाड़ों पर बना यह मंदिर पूरे मनाली के आकर्षक का केंद्र है। हिडिंबा माता को मनाली की कुलदेवी भी कहा जाता है जब कोई भी पर्यटक मनाली आता है वह हिडिंबा मंदिर में दर्शन किए बिना वापस नहीं जाता है। चारों ओर से देवदार के वृक्षों से घिरे इस मंदिर में बर्फ की परतें इस मंदिर को बेहद खूबसूरत बनाती हैं। यह मंदिर लगभग 40 मीटर ऊंचा है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर लकड़ी का बना हुआ है।
हिडिंबा देवी के प्रति यहाँ के लोगों में अगाध आस्था है। लोगों का यह भी कहना है कि हिडिंबा देवी ने एक नौकर को राजा बनने का वरदान दिया था और वह आगे चलकर शक्तिशाली राजा के रूप में उभर कर सामने आया। देश के कोने-कोने से पर्यटक यहाँ पर दर्शन करने आते हैं और हिडिंबा देवी की अलौकिक शक्ति में भक्तिमय हो जाते हैं। जब कोई भी भक्त हिडिंबा देवी के म्नदिर में दर्शन करने आता है हिडिंबा देवी उनको अपनी शरण में ले लेती हैं और उनके सभी कष्टों के निवारण कर देती हैं। इस मंदिर के प्रांगण में जो सुकून और अपनापन महसूस होता है वह किसी भी अन्य स्थान पर नहीं मिलता है। कई भक्त इस मंदिर में घंटो बैठकर भक्ति में डूबे रहते हैं।