भगवान राम के वनवास का पवित्र स्थल है चित्रकूट

Sat 09-Nov-2024,01:10 PM IST +05:30
भगवान राम के वनवास का पवित्र स्थल है चित्रकूट Chitrakoot
  • चित्रकूट का धार्मिक महत्व अत्यंत गहन है। यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में कामदगिरि पर्वत, रामघाट, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा और सती अनुसुइया आश्रम शामिल है।

  • महर्षि वाल्मीकि चित्रकूट को एक महान पवित्र स्थान के रूप में चित्रित करते हैं, जो महान ऋषियों द्वारा बसाया गया है।

Uttar Pradesh / Chitrakoot :

चित्रकूट, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित एक पवित्र स्थान है, जो अपनी धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। पवित्र मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित चित्रकूट का उल्लेख वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस में मिलता है जो इसे हिन्दू धर्म में विशेष महत्व प्रदान करता है। भारतीय साहित्य और पवित्र ग्रंथों के अनुसार, यहाँ भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्षों तक का समय व्यतीत किया था। इसके अलावा, यही वह स्थान है जहाँ भगवान राम को भरत ने वापस अयोध्या लौटने का अनुरोध किया था, लेकिन राम ने इसे अस्वीकार कर दिया और अपने धर्म का पालन करने का संकल्प लिया।

चित्रकूट का नाम दो शब्दों "चित्र" और "कूट" से बना है, जिसका अर्थ है "मनमोहक पर्वत"। यह स्थान अपनी पहाड़ियों, नदियों और हरे-भरे जंगलों के साथ और भी खूबसूरत और मनमोहक लगता है। यह  एक शांतिपूर्ण वातावरण का निर्माण करता है जो ध्यान और आत्मचिंतन के लिए अनुकूल है। चित्रकूट का धार्मिक महत्व अत्यंत गहन है। यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में कामदगिरि पर्वत, रामघाट, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा और सती अनुसुइया आश्रम शामिल है। एक ओर जहां पर्यटक यहाँ के खूबसूरत झरने, चंचल हिरण और नाचते मोर को देखकर प्रफुल्लित हो उठाते हैं वहीं दूसरी ओर तीर्थयात्री मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाकर अभिभूत होते हैं। प्राचीन समय से ही चित्रकूट साधु-संतों के लिए आध्यात्मिक, तपस्या, साधना और योग की भूमि रही है। अनुसूया, दत्तात्रेय, अत्री, महर्षि मार्कंडेय, सूतीक्ष्ण और सारभंग जैसे अन्य ऋषियों एवं भक्तों ने भी अपनी आयु इस क्षेत्र में व्यतीत किए हैं। महर्षि वाल्मीकि चित्रकूट को एक महान पवित्र स्थान के रूप में चित्रित करते हैं, जो महान ऋषियों द्वारा बसाया गया है। हिन्दू आस्था के अनुसार, तीर्थों के राजा प्रयागराज से भी ऊंचा स्थान चित्रकूट को प्रदान किया गया है। प्रमुख पर्यटन स्थल चित्रकूट में हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यहाँ आयोजित होने वाले धार्मिक मेलों और उत्सवों में भी भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

चित्रकूट का इतिहास बहुत ही समृद्ध और विविध है, जो धर्म, संस्कृति और सभ्यता के अनेक पहलुओं को समेटे हुए है। यह स्थान हिन्दू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के वनवास काल के दौरान उनके निवास स्थान के रूप में माना जाता है। यहाँ का इतिहास प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक फैला हुआ है, जिसमें की महत्वपूर्ण घटनाएँ शामिल हैं। चित्रकूट का उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ वाल्मीकि रामायण में मिलता है। यह वह स्थान है जहाँ भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास का कुछ समय बिताया। वाल्मीकि रामायण के अलावा, तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में भी चित्रकूट का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके साथ ही अन्य पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में भी चित्रकूट का उल्लेख मिलता है। मध्यकाल में, चित्रकूट विभिन्न राजवंशों और शासकों के अधीन रहा। इस दौरान यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना रहा। चित्रकूट में कई मठ, मंदिर और आश्रम स्थापित किए गए, जो आज भी यहाँ के धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं। इस काल में चित्रकूट में कई संत और साधु रहते थे, जिन्होंने यहाँ पर धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रसार किया। आधुनिक काल में, चित्रकूट धार्मिक और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हुआ है। भारत की आजादी के बाद, चित्रकूट को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में पहचान मिली। स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने चित्रकूट के विकास के लिए कई कदम उठाए। यहाँ की धार्मिक धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू की गईं। इसके साथ ही, चित्रकूट में बुनियादी ढांचे का विकास भी किया गया, ताकि यहाँ आने वाले पर्यटकों को सुविधाएँ मिल सकें।

 

चित्रकूट में क्या-क्या देखें:

चित्रकूट एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ कई ऐसे स्थान हैं जो धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रतीक हैं। जैसे-

  1. कामदगिरि पर्वत: कामदगिरि पर्वत चित्रकूट का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। यह एक गोलाकार पर्वत है, जिसके चारों ओर की परिक्रमा का विशेष महत्व है। यह परिक्रमा लगभग 5 किलोमीटर लंबी है। माना जाता है कि भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने यहाँ पर निवास किया था। श्रद्धालु यहाँ की परिक्रमा करते हैं, जिसे उनके लिए शुभ और मनोकामना पूर्ति के लिए आवश्यक माना जाता है। पर्वत के आसपास कई मंदिर और धार्मिक स्थल भी स्थित हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं पर स्थित है।
  2. रामघाट: रामघाट मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है जो चित्रकूट का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। कहा जाता है कि भगवान राम इसी स्थान पर नित्य स्नान किया करते था। यहाँ हर शाम को आरती का आयोजन होता है, जिसमें भाग लेना आंतरिक सुख का अनुभव कराता है। रामघाट पर नौकायन का आनंद भी लिया जा सकता है, जिससे मंदाकिनी नदी का सौंदर्य देखा जा सकता है।
  3. गुप्त गोदावरी: गुप्त गोदावरी चित्रकूट से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है। यह दो गुफाएँ हैं, जिनमें एक गुफा में दो जलधाराएँ बहती हैं। यह स्थान पौराणिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कहा जाता है कि भगवान राम और लक्ष्मण ने यहाँ पर दरबार लगाया था। गुफाओं का शांत और रहस्यमय वातावरण इसे एक अनोखा पर्यटन स्थल बनाता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिकता के कारण यह स्थान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
  4. हनुमान धारा: हनुमान धारा चित्रकूट से लगभग 4 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। यह एक जलधारा है, जो एक चट्टान से बहती है। कहा जाता है कि जब भगवान हनुमान ने लंका को आग लगाया था तब बाद में उन्होंने अपने पुंछ की आग को बुझाने के लिए इसी जलधारा का प्रयोग किया था। इसीलिए इस जलधारा को हनुमान धारा कहा जाता है। यहाँ पर स्थित हनुमान जी का मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ तक पहुँचने के लिए 360 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, और यहाँ से चित्रकूट का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
  5. भरत कूप: भरत कूप चित्रकूट से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित एक विशाल कूप (कुआँ) है। यह पौराणिक स्थान भगवान राम के भाई भरत से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब भरत भगवान राम को अयोध्या लौटने के लिए मनाने आए थे, तब वे अपने साथ भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भारत के विभिन्न तीर्थों से जल एकत्रित कर यहाँ लाए थे। परंतु भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ थे और साथ चलने से इनकार कर दिया तब भरत काफी दुखी हुए और अपने साथ लाए जल को वहीं कुएं में डाल दिया। इसलिए यह स्थान भरत कूप कहलाया। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यहाँ पर स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है।
  6. सती अनुसुइया आश्रम: सती अनुसुइया आश्रम चित्रकूट से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित है। यह स्थान महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसुइया का निवास स्थान माना जाता है। यह आश्रम प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है और यहाँ पर पवित्र मंदाकिनी नदी बहती है। यहाँ का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक है, जो ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त है।
  7. जनकपुर: जनकपुर चित्रकूट से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित है। यह वह स्थान माना जाता है जहाँ माता सीता का जन्म हुआ था। यहाँ पर स्थित सीता मंदिर प्रमुख आकर्षण है। जनकपुर एक शांत और सुंदर स्थान है, जो इतिहास और धर्म में रुचि रखने वालों के लिए महत्वपूर्ण है।
  8. वाल्मीकि आश्रम: चित्रकूट में नदी के तट पर ऊंची पहाड़ी पर स्थित वाल्मीकि आश्रम एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह वही आश्रम है जहां पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। यहाँ पर स्थित वाल्मीकि जी की प्रतिमा और आश्रम का पवित्र वातावरण, श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
  9. स्पटिक शिला: स्पटिक शिला मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित एक विशाल शिला (पत्थर) है। कहा जाता है कि भगवान राम और माता सीता यहाँ बैठकर चित्रकूट की सुंदरता निहारते थे। माना जाता है कि इस शिला पर माता सीट के चरणों के निशान भी हैं। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और पौराणिक महत्व इसे एक विशेष आकर्षण बनाते हैं।
  10. जानकी कुंड: जानकी कुंड मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित एक पवित्र कुंड है, जो माता सीता से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यहाँ पर माता सीता स्नान करती थी। यह स्थान धार्मिक और पर्यटकीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यहाँ पर लोग स्नान करने और पूजा-अर्चना करने आते हैं।
  11. कामतानाथ मंदिर: कामतानाथ मंदिर कामदगिरि पर्वत के पास स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ पर कामतानाथ जी की पूजा की जाती है। यहाँ की परिक्रमा अत्यंत पवित्र मानी जाती है और श्रद्धालु यहाँ आकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं।

चित्रकूट में मंदिर, आश्रम और पवित्र नदियाँ श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण हैं। चित्रकूट की यात्रा धार्मिक आस्था, इतिहास और प्रकृति का अद्वितीय संगम प्रदान करती है, जो यहाँ आने वाले हर व्यक्ति के लिए एक अद्वितीय अनुभव होता है।

 

चित्रकूट कैसे पहुंचे:

चित्रकूट उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए कई परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं। यहाँ का सबसे नजदीकी शहर सतना है, जो मुख्यतः रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। देखें अन्य विकल्प-

  • हवाई मार्ग: चित्रकूट का अपना हवाई अड्डा नहीं है। खजुराहो हवाई अड्डा (HJR) चित्रकूट से लगभग 175 किलोमीटर दूर स्थित है। खजुराहो हवाई अड्डा दिल्ली और वाराणसी जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा इलाहाबाद (प्रयागराज) हवाई अड्डा (IXD) चित्रकूट से लगभग 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इलाहाबाद हवाई अड्डा भी दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • रेल मार्ग: चित्रकूट का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन चित्रकूट धाम कर्वी है, जो प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यह रेलवे स्टेशन चित्रकूट से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा सतना रेलवे स्टेशन चित्रकूट से लगभग 75 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है, जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। मानिकपुर रेलवे स्टेशन भी चित्रकूट से लगभग 35 किलोमीटर दूर है। यह स्टेशन भी दिल्ली-हावड़ा मुख्य लाइन पर स्थित है और प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • सड़क मार्ग: चित्रकूट सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। चित्रकूट प्रयागराज से लगभग 115 किलोमीटर दूर है। यहाँ से बस, टैक्सी या स्वयं के वाहन से आसानी से पहुँचा जा सकता है। वाराणसी से चित्रकूट की दूरी लगभग 235 किलोमीटर है। वाराणसी से चित्रकूट के लिए बसें और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं। लखनऊ से चित्रकूट की दूरी लगभग 240 किलोमीटर है। यहाँ से सड़क मार्ग द्वारा चित्रकूट पहुँचने में लगभग 5-6 घंटे का समय लगता है। और सतना से चित्रकूट की दूरी लगभग 75 किलोमीटर है। यहाँ से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

 

चित्रकूट घूमने का सहीं समय:

चित्रकूट घूमने का सबसे सही समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है। इस समय मौसम सुहावना रहता है और ठंड का असर भी बहुत ज्यादा नहीं होता, जिससे यात्रा करना और स्थलों का भ्रमण करना आरामदायक होता है। मौसम के अनुसार यात्रा का आनंद भिन्न हो सकता है जैसे-

  • सर्दियों का मौसम (अक्टूबर से मार्च): सर्दियों में चित्रकूट का मौसम बेहद सुखद होता है, तापमान लगभग 10°C से 25°C के बीच रहता है। इस समय यहाँ का मौसम यात्रा और धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए बहुत अनुकूल होता है। प्रमुख त्योहारों जैसे मकर संक्रांति और शिवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें शामिल होकर आप धार्मिक अनुभव का आनंद ले सकते हैं। यह चित्रकूट में पर्यटन का पीक सीजन होता है, इसलिए आप इस दौरान आने की योजना बनाएं।
  • गर्मियों का मौसम (अप्रैल से जून): गर्मियों में यहाँ तापमान 30°C से 45°C तक पहुँच सकता है। इस समय गर्मी काफी होती है, जो यात्रा के लिए असुविधाजनक हो सकती है। गर्मियों में यहाँ भीड़ कम होती है, इसलिए अगर आप भीड़-भाड़ से दूर रहकर यात्रा करना चाहते हैं, तो यह समय आपके लिए अच्छा हो सकता है। गर्मियों के दौरान यात्रा करने से बचना बेहतर होता है, खासकर अगर आप तप्त धूप और गर्मी में असहज महसूस करते हैं।
  • मानसून का मौसम (जुलाई से सितंबर): मानसून के दौरान चित्रकूट में मध्यम से भारी बारिश होती है। तापमान 25°C से 35°C के बीच रहता है। मानसून में चित्रकूट की प्राकृतिक सुंदरता और भी निखर जाती है। हरियाली और मंदाकिनी नदी का सौंदर्य इस मौसम में देखने लायक होता है। बारिश के कारण सड़कों की स्थिति खराब हो सकती है, जिससे यात्रा में कठिनाई हो सकती है। अगर आप इस मौसम में यात्रा करने का निर्णय लेते हैं, तो सावधानीपूर्वक योजना बनाना जरूरी है।

इस प्रकार चित्रकूट केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जो भारतीय संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यहाँ की हर एक धरोहर, हर एक कण में भगवान राम के जीवन के पवित्र और प्रेरणादायक अध्यायों की गूंज सुनाई देती है। यह स्थान आज भी लोगों को शांति, धर्म और आस्था के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यदि आप भारतीय संस्कृति और धर्म को गहराई से समझना चाहते हैं, तो चित्रकूट की यात्रा अवश्य करें।