भारत-चीन समझौता, क्यों और कैसे शुरू हुई भारत और चीन की लड़ाई
यह समझौता मुख्य रूप से विवादित इलाकों, जैसे देमचोक और देपसांग प्लेन्स, पर केंद्रित है।
इस झड़प में चीन को भी भारी नुकसान हुआ, लेकिन उसने अपने हताहतों की संख्या सार्वजनिक नहीं की।
फरवरी 2021 में पैंगोंग त्सो क्षेत्र से सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
हाल ही में, भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है जो चार साल से चल रहे पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह समझौता मुख्य रूप से विवादित इलाकों, जैसे देमचोक और देपसांग प्लेन्स, पर केंद्रित है। 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद से दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बना हुआ था, लेकिन अब इस समझौते के तहत दोनों पक्षों ने अपनी सेनाओं को कुछ विवादित क्षेत्रों से पीछे हटाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही दोनों देशों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में फिर से गश्त शुरू करने पर सहमति जताई है।
यह समझौता कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद हुआ, जिसमें भारत की ओर से यह सुनिश्चित किया गया कि चीनी सेना इन प्रमुख विवादित क्षेत्रों से वापस हटेगी, जिससे भारतीय सेना को उन क्षेत्रों में फिर से गश्त करने की अनुमति मिलेगी जहां पहले रुकावटें थीं। खासकर देपसांग प्लेन्स के "Y-जंक्शन" जैसी संवेदनशील जगहों पर इस समझौते का महत्व ज्यादा है।
क्यों हुई भारत-चीन के बीच लड़ाई
2020 में भारत और चीन के बीच संघर्ष पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुआ। यह संघर्ष मुख्य रूप से गलवान घाटी में जारी था और इसका कारण दोनों देशों के बीच सीमा पर वर्षों से चली आ रही असहमति और तनाव था। इस लड़ाई का प्रमुख कारण सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास और LAC की अलग-अलग व्याख्याएं थीं, जिससे गश्त और निर्माण कार्यों को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ।
दोनों देशों के बीच संघर्ष के कई कारण है जैसे-
1. LAC की व्याख्या में अंतर: भारत और चीन दोनों की LAC की सीमाओं की अलग-अलग व्याख्या है। भारत इसे 3,488 किलोमीटर लंबा मानता है जबकि चीन इसे छोटा समझता है। इस असहमति के चलते दोनों देशों की सेनाएं बार-बार एक-दूसरे की सीमाओं का उल्लंघन करती हैं, जिससे तनाव उत्पन्न होता है।
2. बुनियादी ढांचे का विकास: भारत ने लद्दाख के संवेदनशील क्षेत्रों में सड़क निर्माण तेज कर दिया, खासकर दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में, जो चीन के दृष्टिकोण से खतरा था। इस सड़क से भारत को LAC पर त्वरित सैन्य सहायता और आपूर्ति पहुंचाने में मदद मिलती, जो चीन को अस्वीकार्य था।
3. गलवान घाटी का मुद्दा: गलवान घाटी में चीन ने भारतीय क्षेत्र के भीतर अवैध रूप से सैन्य चौकियां बना लीं, जिससे मई 2020 में दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ा। चीन ने इस क्षेत्र में अपनी सेना बढ़ाई और गश्त करने वाले भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़पें हुईं।
संघर्ष की घटनाएं
मई 2020 में, पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के पास भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़पें शुरू हुईं, जिसमें लाठी-डंडों और पत्थरों का उपयोग हुआ। 15 जून 2020 को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए। यह संघर्ष विशेष रूप से गंभीर था क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार के हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ, बल्कि पारंपरिक हथियार जैसे लाठियां और कांटेदार तारों वाले डंडे उपयोग में लाए गए थे। इस झड़प में चीन को भी भारी नुकसान हुआ, लेकिन उसने अपने हताहतों की संख्या सार्वजनिक नहीं की।
इसके अलावा भारत और चीन के बीच लड़ाई के कई प्रमुख मुद्दे रहे हैं। जिसमें आक्साई चीन और अरुणाचल प्रदेश सीमा क्षेत्रों पर विवाद, तिब्बती विद्रोह के बाद दलाई लामा को भारत में शरण दिया जाना, आदि-आदि तथ्य शामिल है। इसके साथ ही 20 अक्टूबर, 1962 को चीन ने लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार हमला किया था, जिसमें भारतीय सेना की हार हुई थी। डोकलाम जो भारत, चीन और भूटान की सीमाओं का ट्राई जंक्शन प्वाइंट है, इसी डोकलाम पर चीन की तरफ से सड़क बनाने की कोशिश को भारत ने रोक था। परंतु अभी बीते कुछ वर्षों में सन 2020 में शुरू हुए भारत-चीन संघर्षों से दोनों देशों के संबंधों में काफी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी।
संघर्ष की अवधि
2020 के मध्य में शुरू हुआ यह संघर्ष कई महीनों तक चला और इसके बाद कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ। हालांकि, यह तनाव 2021 तक भी बना रहा, जब दोनों पक्षों ने आंशिक रूप से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाना शुरू किया। 2020 के बाद से पैंगोंग त्सो, गोगरा पोस्ट, और हॉट स्प्रिंग्स जैसे क्षेत्रों में भी कई बार सेनाओं के बीच तनावपूर्ण स्थितियां बनी रहीं। फरवरी 2021 में पैंगोंग त्सो क्षेत्र से सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
इस संघर्ष का परिणाम यह रहा कि भारत-चीन संबंधों में गहरा तनाव उत्पन्न हुआ और दोनों देशों के बीच अविश्वास बढ़ा। हालांकि, कूटनीतिक प्रयासों से तनाव में कमी आई, लेकिन LAC पर स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है।
हालांकि हाल ही में हुए भारत-चीन समझौते से दोनों देशों के बीच तनाव काफी कम हुई है और सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता लौटने के साथ नई शुरुआत हुई है।