बच्चों का हर तरह से विकास हो और उनके अधिकारों का उल्लंघन न हो- पूर्णिमा प्रांजल
अपर जिला जज पूर्णिमा प्रांजल ने बच्चों के विकास, उनके अधिकारों की सुरक्षा, और बेहतर समाज निर्माण के लिए विधिक सेवाओं और बाल संरक्षण कानूनों की जानकारी दी।
अपर जिला जज पूर्णिमा प्रांजल ने निःशुल्क विधिक सेवाओं और बाल संरक्षण से जुड़े कानूनों की जानकारी देकर बच्चों के समग्र विकास पर बल दिया।
कौशाम्बी/आज दिनांक 20 नवम्बर 2024 को अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में राजकीय हाई स्कूल मिश्रपुर डहिया, चायल कौशाम्बी में विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर की गई। बच्चों ने स्वागत गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया।
इस शिविर में बच्चों को संबोधित करते हुए डॉ. नरेन्द्र दिवाकर ने अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि 20 नवंबर 1959 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने बाल अधिकार घोषणापत्र को अपनाया और 20 नवंबर 1989 को संयुक्त राष्ट्र में भाग लेने वाले लगभग सभी राज्यों ने बाल अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन की पुष्टि की। भारत ने भी 11 दिसंबर 1992 को बाल अधिकार घोषणा और 11 दिसंबर 2007 को बाल अधिकार अभिसमय को मानकर ही 2007 में बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दिवस को मनाने का उद्देश्य बच्चों के कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानसिक या शारीरिक रूप से जुड़ी समस्या पर ध्यान देना तथा बाल कल्याण में सुधार करना है। बच्चों के बीच उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने तथा अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी यह दिवस प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है। आज का दिन इस अशांत और हिंसक विश्व में बच्चों की समस्याओं व चुनौतियों को पहचानने का भी दिन है जिससे हम उनके लिए एक बेहतर विश्व बना सकें। तहसीलदार चायल पुष्पेन्द्र गौतम जी ने कहा कि भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के अंतर्गत भी सभी बच्चों को उनके मौलिक अधिकार, जिसमें भोजन, शिक्षा, घर, स्वच्छता, सेहत और सुरक्षा का अधिकार शामिल है, दिया गया है। एक दर्जन से अधिक अधिकार बच्चों पर ही केंद्रित हैं।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अपर जिला जज व सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी श्रीमती पूर्णिमा प्रांजल ने विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली निःशुल्क विधिक सेवाओं, भारतीय संविधान और विभिन्न कानूनों में उपलब्ध बालकों से संबंधित प्रावधानों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस दिवस को मनाने का ये खास महत्व है कि बच्चों का हर तरह से विकास हो, उनके अधिकारों का उल्लंघन न हो जिससे एक बेहतर समाज देश और विश्व का निर्माण किया जा सके। यह दिन बाल अधिकारों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की वर्षगांठ का प्रतीक भी है और यह दिन हमें पूरी दुनिया में बच्चों की भलाई के पक्ष में काम करने की आवश्यकता की याद भी दिलाता है।
आभार ज्ञापन शिक्षिका बेबी कुमारी ने किया। शिविर में कपूर चन्द्र शुक्ला प्रधानाचार्य राजकीय हाई स्कूल डहिया मिश्रपुर चायल कौशाम्बी, शिक्षकगण श्रीमती बेबी कुमारी, भारती, सीमा, उच्च प्राथमिक विद्यालय से भावना मिश्रा, किरन, उमा देवी, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय से अधीक्षिका शारदा तिवारी व पीटीटी कंचन चौधरी आदि सहित डहिया मिश्रपुर चायल कौशाम्बी में स्थित राजकीय हाई स्कूल, उच्च प्राथमिक विद्यालय और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के विद्यार्थी सैकड़ों की संख्या में उपस्थित रहे।
डॉ. नरेन्द्र दिवाकर