पराली जलाने पर किसानों को 30,000 रुपये तक जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने बरती सख्ती

Thu 07-Nov-2024,05:15 PM IST +05:30
पराली जलाने पर किसानों को 30,000 रुपये तक जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने बरती सख्ती
  • 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को 5000 रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु देना पड़ेगा जबकि 2 एकड़ या उससे अधिक लेकिन पाँच एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। 

  • वहीं पाँच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को 30,000 रुपये से अधिक जुर्माना देना पड़ेगा।

Delhi / New Delhi :

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में पराली जलाने की समस्या को सख्ती से लिया है, जिससे हर साल ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को पराली जलाने पर तुरंत रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने संबंधित राज्यों से कहा कि इस समस्या का समाधान करना उनका दायित्व है और इस पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में भारी वृद्धि होती है, जो सांस की बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ा देता है​।

सुप्रीम कोर्ट के सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने भी पराली जलाने वालों पर सख्ती बरतते हुए जुर्माना दोगुना कर दिया है। इसके तहत 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को 5000 रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु देना पड़ेगा जबकि 2 एकड़ या उससे अधिक लेकिन पाँच एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं पाँच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को 30,000 रुपये से अधिक जुर्माना देना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों एवं अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर इस निर्देश को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है। यह भी कहा गया है कि पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए किसानों को वैकल्पिक तरीकों और आर्थिक सहायता प्रदान की जा सकती है, ताकि उन्हें पराली जलाने के बजाय दूसरी विधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके​।

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आयोग ने पहले भी बताया है कि फसल अवशेष जलाने से दिल्ली के प्रदूषण स्तर में करीब 30-40% की बढ़ोतरी होती है, जो राजधानी क्षेत्र में गंभीर स्वास्थ्य खतरों को जन्म देता है।