प्रभारी कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने व्यक्तिगत आर्थिक लाभ के चलते कुलसचिव पद से हटाया था डॉ. कठेरिया को
प्रभारी कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह के व्यक्तिगत आर्थिक लाभ से सहमत नहीं थे डॉ. कठेरिया
प्रभारी कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह शिक्षा मंत्रालय का उड़ा रहे मजाक।
डॉ. कठेरिया ने कहा कि जब प्रभारी कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह बने तो उन्होंने कई ऐसे निर्णय ले रहे थे जो विश्वविद्यालय के हित में नहीं बल्कि प्रभारी कुलपति के व्यक्तिगत आर्थिक लाभ के थे, इन सभी निर्णयों को लेकर कुलसचिव के रूप मैं सहमत नहीं था. कुछ बड़े भुगतान होने थे जो नियम विरुद्ध थे जिनको प्रभारी कुलपति तुरंत करना चाह रहे थे।
प्रो. कृष्ण कुमार सिंह के द्वारा उन भुगतनों की स्वीकृति नहीं दी थी जबकि उस समिति के वे अन्य सदस्यों के साथ मुख्य थे परंतु प्रभारी कुलपति बनते ही उन्होंने उन भुगतनों की सहमति दे दी।
वर्धा. महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में आजकल प्रभारी कुलपति प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार सिंह अपने अविवेकपूर्ण निर्णय लेकर शिक्षा मंत्रालय का मजाक बना रहे हैं. मामला विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्टार डॉ. धरवेश कठेरिया के ऊपर भ्रष्टाचार और अनियाम्त्त्ताओं का आरोप प्रभारी कुलपति के. के. सिंह द्वारा लगाया जा रहा है. इन आरोपों की पुष्टि के लिए डॉ. धरवेश कठेरिया से बात करने पर पता चला कि प्रभारी कुलपति द्वारा लगाये जा रहे भ्रष्टाचार और अनियाम्त्त्ताओं के आरोप निराधार हैं. डॉ. कठेरिया ने कहा कि जब प्रभारी कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह बने तो उन्होंने कई ऐसे निर्णय ले रहे थे जो विश्वविद्यालय के हित में नहीं बल्कि प्रभारी कुलपति के व्यक्तिगत आर्थिक लाभ के थे, इन सभी निर्णयों को लेकर कुलसचिव के रूप मैं सहमत नहीं था. कुछ बड़े भुगतान होने थे जो नियम विरुद्ध थे जिनको प्रभारी कुलपति तुरंत करना चाह रहे थे। उसके बाद नियम विरुद्ध जाकर उन्होंने मुझे कुलसचिव के पद से रात 10 बजे मीटिंग कर हटा दिया. उसके बाद से ही ढेरों झूठे मुद्दे बनाकर जाँच कराने के संबंध में पत्र दिए जो कि नियमतः गलत है. विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलपति ऐसी कोई जाँच कमेटी नहीं बना सकता है ऐसा शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी सीसीएस (सीसीए) नियम 1965 के प्रावधान या नियम 12 (2) अनुसार वैधानिक शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता है. फिर भी प्रभारी कुलपति प्रो. के. के सिंह लगातार शिक्षा मंत्रालय का मजाक बना रहे हैं.
सूत्रों के अनुसार इस मामले को शिक्षा मंत्रालय ने नए कुलपति आने तक स्थगित करने को कहा है. उसके बावजूद प्रभारी कुलपति प्रो. के. के सिंह ने उच्च न्यायालय से रिटायर्ड जज एम. एन. गिलानी को जाँच करने के लिए कमेटी बनाई है. इस जांच हेतु बड़ी रकम दी जा रही है। जबकि शिक्षा मंत्रालय के अनुसार प्रभारी कुलपति को जांच समिति बनाने का अधिकार ही नहीं है। आये दिन पत्र जारी कर जाँच के लिए बुलाया जाता है और झूठे आरोपों में फ़साने के लिए हर दिन कोई मामला बनाया जा रहा है. जबकि डॉ. कठेरिया ने खुद ही शिक्षा मंत्रालय से इस पूरे प्रकरण की जांच के साथ-साथ प्रभारी कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह के द्वारा उन भुगतनों की स्वीकृति नहीं दी थी जबकि उस समिति के वे अन्य सदस्यों के साथ मुख्य थे परंतु प्रभारी कुलपति बनते ही उन्होंने उन भुगतनों की सहमति दे दी। की भी मांग की गई है। आखिर ऐसा क्या बदल गया कुछ ही समय में।