कुर्ग: भारत का स्कॉटलैंड कहा जाने वाला कुर्ग क्यों है इतना लोकप्रिय, ये 5 जगहें हैं काफी मशहूर
कुर्ग, जिसे अब कोडागु के नाम से जाना जाता है, कर्नाटक राज्य में स्थित एक सुंदर जिला है। यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसका मुख्यालय मदिकेरी है। इसका इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर बहुत ही समृद्ध है। इसे भारत का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है। दरअसल कुर्ग अपनी उत्तम जलवायु, पहाड़ी क्षेत्रों और कॉफी बागानों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी जलवायु, घने जंगल, झरने और वास्तुकला को देखने में बिल्कुल स्कॉटलैंड के जैसा प्रतीत होता है। यहाँ की वादियाँ और गलियां स्कॉटलैंड से मिलते हैं इस वजह से इसकी तुलना स्कॉटलैंड से की जाती है। कुर्ग कर्नाटक राज्य के पश्चिमी घाट के पर्वतों में स्थित है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 1525 मीटर है। यह बैंगलोर से लगभग 255 किलोमीटर और मैसूर से 120 किलोमीटर की दूरी पर है। कावेरी नदी का उद्गम स्थान कुर्ग अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और हाइकिंग, क्रॉस कंट्री और ट्रेल्स के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ प्राकृतिक झलक के साथ ही किले, प्राचीन मंदिर और तिब्बती बस्तियां घूम सकते हैं। कुर्ग का मौसम साल भर सुहावना रहता है, लेकिन मानसून के दौरान यहाँ भारी बारिश होती है। यह क्षेत्र अपनी समृद्ध हरियाली और चाय व कॉफी के बागानों के लिए प्रसिद्ध है। यदि आप कुर्ग घूमने की सोच रहे हैं तो ठंडी या गर्मी के मौसम में प्लान करें क्योंकि इस मौसम में यहाँ का वातावरण अत्यंत सुहावना होता है।
कुर्ग का इतिहास वैदिक काल तक जाता है, जब इसे दक्षिण भारत के विभिन्न राजवंशों द्वारा शासित किया गया था। कहा जाता है कि कुर्ग का नाम "कदंब" पेड़ों से आया है, जो यहां बहुतायत में पाए जाते थे। मध्यकाल में कुर्ग पर चोल, चेर, और पांड्य राजवंशों ने शासन किया। 11वीं और 12वीं शताब्दी में, यह होयसल वंश के अधीन आया और बाद में विजयनगर साम्राज्य का हिस्सा बना। 17वीं शताब्दी में मडिकेरी राजवंश ने कुर्ग पर शासन करना शुरू किया। इस समय के दौरान कुर्ग ने एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अपनी पहचान बनाई। ब्रिटिश काल यानि 1834 मेंकुर्ग ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आया। कुर्ग का अंतिम राजा चिक्का वीर राजेंद्र था, जिसे ब्रिटिशों ने निर्वासित किया।
कुर्ग में कोडावा, कन्नड़ और तुलु प्रमुख भाषाएँ बोली जाती है। कुर्ग के लोग कई रंगारंग त्योहार मनाते हैं, जिनमें केल पोलड, कावेरी शंकरन और हुत्तरी प्रमुख हैं। हुत्तरी एक फसल कटाई का त्योहार है जिसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। कोडावा पुरुष 'कुप्पिया' पहनते हैं, जो एक पारंपरिक पोशाक है और महिलाएं 'साड़ी' पहनती हैं, लेकिन इसे बांधने का तरीका विशिष्ट होता है।
कुर्ग की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। यहाँ कॉफी, चाय, इलायची और काली मिर्च की खेती होती है। इसके अलावा कुर्ग एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और हर साल लाखों पर्यटक यहाँ आते हैं। इसके प्राकृतिक सौंदर्य, हरे-भरे जंगलऔर एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे ट्रेकिंग, राफ्टिंग आदि पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
कुर्ग में क्या क्या घूमें:
- मडिकेरी किला: कुर्ग का मुख्यालय मडिकेरी है, जो अपनी सुंदरता और ठंडी जलवायु के लिए प्रसिद्ध है। कुर्ग से 12 किमी की दूरी पर पहाड़ों पर स्थित मडिकेरी किला अपने एतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह सत्रहवीं शताब्दी में हुई युद्धों के विजय व पराजय की घटना को बयां करता है।
- तलाकावेरी: यह कावेरी नदी का उद्गम स्थल है जो ब्रम्हागिरी पहाड़ी पर समुद्र तल से 1276 मीटर ऊपर स्थित है। यहाँ कावेरी अम्मा को समर्पित एक सुंदर मंदिर भी है जो एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी है।
- अबी फॉल्स: दो कॉफी बागानों के बीच स्थित यह जलप्रपात 70 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। अपने निर्मल जल और खूबसूरती के कारण यह पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
- नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान: यह राष्ट्रीय उद्यान अपने वन्यजीवों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। ये उद्यान 47 जलधारा, 41 कृत्रिम टैंक, 4 झील और एक बांध का घर है।
- मंडलपट्टी चोटी: यह एक व्यूपॉइंट है जहां से आप शानदार हरियाली और पहाड़ी दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं।
- डुबारे एलिफैन्ट कैंप: यह स्थान हाथियों के प्रशिक्षण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आपको हाथियों के झुंड के साथ उनके करतब देखने में बहुत मजा आएगा।
- बयालकुप्पे: यह भारत में तिब्बती आबादी का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है जो चारों तरफ से मठों से घिरा हुआ है। यहाँ भगवान बुद्ध की बहुत बड़ी प्रतिमा है।
- ओंकारेश्वर मंदिर: यह मंदिर अपने शांत वातावरण और अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना 1820 में लिंगराजेन्द्र द्वितीय ने की थी।
- राजा सीट: यह कुर्ग हिल स्टेशन के केंद्र जिला मदिकेरी में स्थित है। यहाँ से कुर्ग के राजा सूर्यास्त का नजारा देखा करते थे। यहाँ आप ऊंचे ऊंचे पहाड़ों और हरी-भरी घाटियों से झाँकता सूरज के नज़ारों का लुफ़्त उठा सकते हैं।
इसके अलावा गड्डीगे राजा का मकबरा, चेट्टल्ली, भागमंडला, चेलावारा वाटर फॉल, इरप्पू फॉल, पुष्पागिरी वन्यजीव अभ्यारण, विराजपेट, सोमवारपेट, कावेरी नदी पर रिवर राफ्टिंग आदि अन्य घूमने लायक जगहें भी हैं।
कुर्ग, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि के कारण एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह स्थान न केवल पर्यटकों के लिए बल्कि इतिहास और संस्कृति के अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण है। कुर्ग की विविधता और सुंदरता इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाती है।