बदामी: भगवान शिव, विष्णु और महावीर को समर्पित चार प्रमुख रॉक-कट गुफा मंदिर का रहस्य
बदामी न केवल अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ की संस्कृति और परंपराएँ भी अत्यंत समृद्ध हैं।
बदामी में चार प्रमुख रॉक-कट गुफा मंदिर हैं, जो 6वीं और 7वीं शताब्दी में बनाए गए थे।
कर्नाटक राज्य के बागलकोट जिले में स्थित बदामी, भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह स्थान अपने रॉक-कट गुफा मंदिरों, चट्टानों पर उकेरी गई मूर्तियों और पौराणिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। बदामी बलुआ पत्थर के चट्टानी पहाड़ों के नीचे अगस्त्य झील के पश्चिम छोर में बसा हुआ एक नगर है जिसका प्राचीन नाम वातापी था और यह चालुक्य वंश की राजधानी था। यह स्थल चालुक्य राजवंश के समय सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केंद्र था और यहाँ की स्थापत्य कला और मूर्तिकला, भारतीय कला और संस्कृति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करती है।
बदामी का इतिहास चालुक्य वंश के उत्थान और पतन के साथ जुड़ा हुआ है। चालुक्य वंश ने 6वीं से 8वीं शताब्दी के बीच दक्षिण भारत पर शासन किया। चालुक्य राजा पुलकेशिन-Iने 540 ई. में वातापी को अपनी राजधानी बनाया। यह शहर चालुक्यों के समय में बहुत फला-फुला। उनके शासनकाल में बदामी ने कला, संस्कृतिऔर स्थापत्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की। पुलकेशिन-II के समय मेंचालुक्य साम्राज्य ने अपनी सीमाएँ दक्षिण और उत्तर दोनों दिशाओं में विस्तारित कीं और इस दौरान बदामी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया।
बदामी न केवल अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ की संस्कृति और परंपराएँ भी अत्यंत समृद्ध हैं। यहाँ हर साल कई धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव मनाए जाते हैं, जो स्थानीय जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। महाशिवरात्रि, रामनवमीऔर मकर संक्रांति यहाँ के प्रमुख त्योहारों में से हैं।
बदामी में पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं। यहाँ के गुफा मंदिर, भूतनाथ मंदिर, बदामी किलाऔर अगसत्य झील पर्यटकों के मुख्य आकर्षण हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक भारतीय प्राचीन कला, संस्कृति और इतिहास की गहराइयों में डूब जाते हैं। साथ ही बदामी का प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण इसे एक उत्कृष्ट पर्यटन स्थल बनाता है।
स्थापत्य कला और गुफा मंदिर:
बदामी में चार प्रमुख रॉक-कट गुफा मंदिर हैं, जो 6वीं और 7वीं शताब्दी में बनाए गए थे। ये गुफा मंदिर हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म से संबंधित हैं और इनमें भगवान विष्णु, शिव और महावीर की मूर्तियां हैं।
- गुफा 1: यह भगवान शिव को समर्पित है और इसमें नटराज के रूप में शिव की नृत्य मुद्रा में मूर्ति है। इसके अलावाइस गुफा में 18 भुजाओं वाले शिव की अद्भुत प्रतिमा भी है। यहाँ की दीवारों पर शिव, पार्वतीऔर नंदी की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
- गुफा 2: यह गुफा भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां विष्णु की त्रिविक्रम, वराह और कृष्ण के रूप में मूर्तियां हैं।
- गुफा 3: यह बदामी की सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध गुफा है, जिसमें भगवान विष्णु की विभिन्न रूपों में मूर्तियां हैं। इसमें विष्णु की नरसिंह और वामन अवतार की मूर्तियां विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
- गुफा 4: यह जैन धर्म को समर्पित है और इसमें भगवान महावीर की मूर्ति है।
बदामी में अन्य महत्वपूर्ण स्थलों में अगस्त्य झील, भूतनाथ मंदिर और बादामी किला शामिल हैं।
- भूतनाथ मंदिर: यह मंदिर आगसत्य झील के किनारे स्थित है और यहाँ भगवान शिव की पूजा होती है। यह मंदिर अपने स्थापत्य और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है।
- बदामी किला: यह किला बदामी की पहाड़ियों पर स्थित है और इसका निर्माण चालुक्य राजाओं ने किया था। यहाँ से बदामी और आसपास के क्षेत्रों का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।
- अगसत्य झील: यह झील बदामी के मध्य में स्थित है और इसके आसपास कई महत्वपूर्ण मंदिर और गुफाएँ हैं।
कैसे पहुंचे बदामी:
बदामी पहुँचने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिसमें सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग शामिल हैं-
सड़क मार्ग: बदामी कर्नाटक के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। बेंगलुरु से बदामी की दूरी लगभग 450 किलोमीटर है। हुबली और बीजापुर से बदामी की दूरी लगभग 110 किलोमीटर है। यह सड़क मार्ग से लगभग 2-3 घंटे की यात्रा है।
रेल मार्ग: बदामी रेलवे स्टेशन के नाम से बदामी का अपना रेलवे स्टेशन है, जो प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यह स्टेशन बदामी शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बेंगलुरु से बदामी के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। यात्रा की अवधि लगभग 10-12 घंटे होती है।
हवाई मार्ग: बदामी का सबसे निकटतम हवाई अड्डा हुबली हवाई अड्डा है, जो लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बेंगलुरु का केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो बदामी से लगभग 450 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, से भी आप बदामी पहुँच सकते हैं।
इस प्रकार बदामी का इतिहास, कलाऔर संस्कृति इसे कर्नाटक के महत्वपूर्ण धरोहर स्थलों में से एक बनाते हैं। चालुक्य राजवंश के समय की स्थापत्य कला और मूर्तिकला यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं। बदामी आज भी भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और इसे संरक्षित रखना हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।