भारत में सबसे तेजी से विकसित राज्यों में से एक छत्तीसगढ़, देश की स्टील उत्पादन में 15% योगदान
छत्तीसगढ़ भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ टिन कंसन्ट्रेटस का उत्पादन होता है।
रामायण और महाभारत में इस क्षेत्र का उल्लेख मिलता है। रामायण के अनुसार, भगवान राम अपने वनवास काल में छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र से गुजरे थे।
यह खनिज संसाधनों से भरपूर राज्य है, जिसमें कोयला, लोहा और बाक्साइट जैसे खनिज उपलब्ध हैं।
खनिज संसाधनों से समृद्ध छत्तीसगढ़, बिजली और स्टील उत्पादन का महत्वपूर्ण केंद्र छत्तीसगढ़ का इतिहास समृद्ध और गौरवशाली रहा है। इसे प्राचीन काल में "दक्षिण कोसल" के नाम से जाना जाता था। यह वही कौशल राज्य है जिसे भगवान श्रीराम का ननिहाल कहा जाता है। चंदखुरी का कौशल्या मंदिर इस बात को बखूबी बयां करता है। रामायण और महाभारत में इस क्षेत्र का उल्लेख मिलता है। रामायण के अनुसार, भगवान राम अपने वनवास काल में छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र से गुजरे थे। यह क्षेत्र वैदिक संस्कृति और शिक्षा का केंद्र रहा है। यहाँ की भूमि पर बौद्ध धर्म, जैन धर्म और वैष्णव परंपरा का प्रभाव भी रहा है। मध्यकाल में छत्तीसगढ़ विभिन्न राजवंशों के अधीन रहा, जिनमें कलचुरी, सोमवंशी, और नागवंशी प्रमुख हैं। इन राजाओं ने कला, स्थापत्य और संस्कृति को बढ़ावा दिया। सिरपुर जैसे ऐतिहासिक स्थलों में प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों की उत्कृष्टता देखी जा सकती है। इस काल में कृषि और स्थानीय व्यापार के माध्यम से अर्थव्यवस्था को बल मिला। अंग्रेजों के शासनकाल में छत्तीसगढ़ मध्य प्रांत का हिस्सा था। अंग्रेजों ने यहाँ खनिज संसाधनों का दोहन किया, विशेष रूप से कोयला और लोहा। हालांकि, इस दौरान शिक्षा और बुनियादी ढांचे का विकास धीमा रहा। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों और किसानों ने औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ कई आंदोलन चलाए।
1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़, भारत का 26वां राज्य बना। राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ ने विकास की एक नई गाथा लिखी। यह खनिज संसाधनों से भरपूर राज्य है, जिसमें कोयला, लोहा और बाक्साइट जैसे खनिज उपलब्ध हैं। औद्योगिकरण ने यहाँ की अर्थव्यवस्था को बल दिया है।
छत्तीसगढ़ का अलग राज्य बनने का कारण
छत्तीसगढ़ क्षेत्र अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा (छत्तीसगढ़ी), परंपराओं और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण मध्य प्रदेश से अलग पहचान रखता था। इसके बावजूद, इसे लंबे समय तक समुचित पहचान और विकास का अवसर नहीं मिल पाया। इन सबके बावजूद इसके अलग राज्य बनने के कई कारण हैं, जैसे-
- विकास में असमानता: छत्तीसगढ़, प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र होने के बावजूद, मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों की तुलना में पिछड़ा हुआ था। खनिज संसाधनों और जंगलों की प्रचुरता के बावजूद यहाँ के लोग गरीबी और बेरोजगारी का सामना कर रहे थे। यहाँ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी कमी थी।
- राजनीतिक मांग और जन आंदोलन: छत्तीसगढ़ के लोगों ने अपने क्षेत्र के विकास और राजनीतिक स्वायत्तता की मांग की। 1970 और 1980 के दशक में "छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन" जोर पकड़ने लगा। स्थानीय नेताओं और संगठनों ने राज्य की भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए इसे अलग राज्य बनाने की मांग की।
- केंद्र सरकार का हस्तक्षेप: 1990 के दशक में, भारत सरकार ने छोटे राज्यों के गठन पर विचार करना शुरू किया। इस दौरान उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों को अलग राज्य बनाने की प्रक्रिया तेज हुई। 2000 में संसद ने "मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम" पारित किया, जिसके तहत छत्तीसगढ़ को अलग राज्य का दर्जा दिया गया।
कब और कैसे हुई छत्तीसगढ़ की स्थापना?
सर्वप्रथम मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 को भारत की संसद में पारित किया गया। इसके अंतर्गत मध्य प्रदेश के 16 जिले (जो छत्तीसगढ़ का हिस्सा बने) अलग कर दिए गए। 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से 16 छत्तीसगढ़ी भाषी जिलों को अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया, जो कि मध्यप्रदेश का केवल 30% भाग है। छत्तीसगढ़ को यह नाम करीब 300 साल पहले यहाँ के गोंड जनजाति के शासन के दौरान मिला था। गोंड राजाओं के 36 किले थे। किलों को गढ़ भी कहते हैं और इन्हीं 36 किलों के कारण इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा। रायपुर को छत्तीसगढ़ का राजधानी घोषित किया गया और अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने। इस प्रकार छत्तीसगढ़ को अपनी अलग विधानसभा, उच्च न्यायालय (बिलासपुर) और प्रशासनिक व्यवस्था मिली।
छत्तीसगढ़ भारत का 26वां राज्य है और क्षेत्रफल की दृष्टि से 10वाँ सबसे बड़ा राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय यहाँ सिर्फ 16 जिले थे परंतु धीरे धीरे विकास के पथ पर अग्रसर होते हुए छत्तीसगढ़ में जिलों की संख्या बढ़कर आज कुल 33 हो गई है। छत्तीसगढ़ सात राज्यों (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड और उत्तर प्रदेश) से घिरा हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की जनसंख्या लगभग 2.55 करोड़ थी। यहाँ मूल रूप से छत्तीसगढ़ी और हिन्दी भाषा बोली जाती है। छत्तीसगढ़ का राज्य पशु वन भैंसा (जंगली भैंसा), राज्य पक्षी पहाड़ी मैना (हिल मैना) और राज्य वृक्ष साल (सरई) है।
क्यों प्रसिद्ध है छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ भारत का एक सुंदर और विविधता से भरा राज्य है, जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है। इसकी प्रसिद्धि के कई कारण हैं, जैसे-
- प्राकृतिक सौंदर्य: छत्तीसगढ़ में चित्रकोट और तीरथगढ़ जैसे प्रसिद्ध जलप्रपात हैं। चित्रकोट जलप्रपात को "भारत का नायग्रा फॉल्स" कहा जाता है। राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्यों में यहां इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और अचानकमार अभयारण्य जैसे संरक्षित क्षेत्र हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्रों को टाइगर रिज़र्व के रूप में नामित किया है। इस राज्य में महानदी, गंगा, गोदावरी और नर्मदा नामक चार मुख्य जलग्रहण क्षेत्र हैं। इसके अंतर्गत महानदी, शिवनाथ, अर्पा, इंद्रावती, सबरी, लीलागर, हसदो, पैरी और सोंदूर प्रमुख नदियाँ शामिल हैं।
- सांस्कृतिक धरोहर: छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। छत्तीसगढ़ में विभिन्न लोक कला और नृत्य जैसे पंडवानी, सुआ, राउत नाच आदि प्रचलित है। साथ ही आदिवासी समुदायों के बीच करमा, गौर, सरहुल आदि लोकनृत्य प्रसिद्ध है। जनजातीय संस्कृति में छत्तीसगढ़ की गोंड, बैगा, मिरियम, कमर, भुमजा, कवार और हल्बा जैसी जनजातियों की समृद्ध संस्कृति और परंपराएं इसे अनोखा बनाती हैं। त्योहारों में बस्तर दशहरा, जो 75 दिनों तक चलता है, भारत के सबसे लंबे त्योहारों में से एक है। इसके अलावा बस्तर लोकोत्सव, गोंचा महोत्सव, कोरिया मेला, फागुन वडाई, मडई महोत्सव, पोला महोत्सव और अन्य शामिल हैं। फुगड़ी, लंगड़ी, कबड्डी, डांडी पौहा जैसे खेल छत्तीसगढ़ के प्रमुख खेल हैं।
- ऐतिहासिक महत्व: पुरातात्विक स्थलों में सिरपुर, रतनपुर, और मल्हार जैसे स्थान अपनी प्राचीन मूर्तिकला और बौद्धिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध हैं। छत्तीसगढ़ ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। राज्य के प्रमुख धार्मिक व पर्यटन स्थलों में महामाया मंदिर, भोरमदेव मंदिर और दंतेश्वरी मंदिर सिरपुर, राजिम, बारसूर, माता कौशल्या धाम चन्दखुरी, रतनपुर, तीरथगढ़ एवं चित्रकोट जलप्रपात धार्मिक महत्व रखते हैं। यहां की घुमक्कड़ी जगहों में कांगेर घाटी, बस्तर और सरगुजा, पर्यटकों को खूब आकर्षित करती हैं।
- खनिज और उद्योग: छत्तीसगढ़ को "भारत का ऊर्जा भंडार" कहा जाता है, क्योंकि यह विददयुत शक्ति के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट और डोलोमाइट जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में हैं। यह भारत का प्रमुख स्टील उत्पादक राज्य है। भिलाई स्टील प्लांट दुर्ग जिले के भिलाई में स्थित है जो भारत का पहला स्टील उत्पादक संयंत्र है। इसकी स्थापना सन 1955 में सोवियत संघ की मदद से हुई थी। भिलाई स्टील प्लांट के उत्पादों का इस्तेमाल बांद्रा-वर्ली सी-लिंक, अटल सेतु, सेला सुरंग, अटल सुरंग, और कई अन्य राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में किया गया है। इस राज्य में भारत के टिन अयस्क भंडार का 35.4% हिस्सा है। छत्तीसगढ़ भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ टिन कंसन्ट्रेटस का उत्पादन होता है। भिलाई स्टील प्लांट, कोरबा का थर्मल पावर प्लांट और अन्य उद्योगों ने छत्तीसगढ़ को औद्योगिक रूप से मजबूत बनाया है।
- खाद्य पदार्थ और व्यंजन: छत्तीसगढ़ का भोजन साधारण लेकिन स्वादिष्ट होता है। यहाँ के फरा, चीला, अइरसा और चौसेला जैसे पारंपरिक व्यंजन प्रसिद्ध हैं। छत्तीसगढ़ अपने अद्वितीय मिश्रण से संस्कृति, परंपरा और आधुनिकता को साथ लाने के लिए प्रसिद्ध है।
विकास के पथ पर अग्रसर छत्तीसगढ़, चुनौतियाँ और भविष्य
छत्तीसगढ़ का गठन न केवल सांस्कृतिक और भौगोलिक कारणों से हुआ, बल्कि यह क्षेत्र के समग्र विकास और लोगों को बेहतर अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ ने कृषि, खनन, उद्योग, शिक्षा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। छत्तीसगढ़ अपने कृषि कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। विशेष कर चावल की खेती के लिए प्रसिद्ध होने के कारण इसे "धान का कटोरा" कहा जाता है। सिंचाई परियोजनाओं और उन्नत कृषि तकनीकों ने खेती को लाभदायक बनाया है। बीते वर्षों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। आईआईटी, एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना से युवाओं को उच्च शिक्षा के अवसर मिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता ने इसे पर्यटन का केंद्र बनाया है। बस्तर का दशहरा, सिरपुर, चिरमिरी और कांगेर घाटी जैसे स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। छत्तीसगढ़ के जंगल और जैव विविधता राज्य की पहचान हैं। सरकार और स्थानीय समुदाय पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।
हालांकि, आदिवासी क्षेत्रों का विकास और गरीबी उन्मूलन जैसी चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं। विशेषकर नक्सलवाद छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी समस्या बन कर उभरी है। छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग नक्सल प्रभावित माना जाता है जिसका असर बस्तर इलाके में दिखाई देता है।
छत्तीसगढ़ ने प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक विविध विकास देखा है। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक संसाधन और मेहनती लोग इस राज्य की सबसे बड़ी संपत्ति हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और आदिवासी क्षेत्रों के विकास में और प्रयासों की जरूरत है। सरकार और स्थानीय नागरिकों के सहयोग और निरंतर प्रयासों से यह राज्य विकास की नई ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार है।