LSUC के सदस्यों का प्रशिक्षण सम्पन्न
जिला न्यायाधीश अनुपम कुमार के मार्गदर्शन में कौशांबी में एलएसयूसी का गठन किया गया, जो देखभाल, संरक्षण और पुनर्वास से जुड़े मामलों में बच्चों की सहायता करेगा, इसमें विधिक पैनल अधिवक्ताओं और अर्ध-कानूनी स्वयंसेवकों को शामिल किया गया है।
एलएसयूसी का उद्देश्य बच्चों के लिए सुलभ और संवेदनशील विधिक सेवाएं सुनिश्चित करना, बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना और शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थानों के साथ सहयोग कर बाल अधिकार संरक्षण के लिए मजबूत तंत्र तैयार करना है।
कौशाम्बी/राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा चाइल्ड फ्रेंडली लीगल सर्विस स्कीम 2024 के अंतर्गत और उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी द्वारा लीगल सर्विस यूनिट फ़ॉर चिल्ड्रेन (एलएसयूसी) का गठन कर लिया गया है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री अनुपम कुमार के मार्गदर्शन में गठित इस कमेटी की अध्यक्ष विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव श्रीमती पूर्णिमा प्रांजल होंगी। इस यूनिट में पैनल अधिवक्ताओं के अतिरिक्त परा विधिक स्वंय सेवकों (पीएलवीज) को भी शामिल किया गया है। यह यूनिट देखभाल व संरक्षण योग्य बालकों और विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के संरक्षण और पुनर्वास से संबंधित मामलों में सहायक के तौर पर काम करेगी।
सोमवार को लीगल सर्विस यूनिट फ़ॉर चिल्ड्रेन (एलएसयूसी) पर दो दिवसीय ओरिएंटेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम का समापन किया गया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुपम कुमार, अपर जिला जज सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी पूर्णिमा प्रांजल आदि के द्वारा प्रशिक्षण से इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन विषय विषेशज्ञों ने लीगल सर्विस यूनिट फ़ॉर चिल्ड्रेन के सदस्यों को पॉक्सो सहित बच्चों से संबंधित कानूनों तथा अन्य कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पूर्णिमा प्रांजल ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य विधिक प्राधिकरण के पत्र संख्या 4386/एसएलएसए-204/2024(आरआई/सरन) दिनांक 12 नवंबर 2024 के निर्देश पर बच्चों के लिए बाल मैत्रीपूर्ण विधिक सेवा योजना 2024 के अंतर्गत लीगल सर्विस यूनिट का गठन किया गया है। जिसमें सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी पूर्णिमा प्रांजल अध्यक्ष, पीठासीन अधिकारी उपभोक्ता फोरम कौशाम्बी श्री लाल चन्द्र को इकाई सदस्य, डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस कौंसिल श्री अख्तर अहमद खान को सदस्य, छः पैनल अधिवक्ता और दस पीएलवी को बतौर अधिकार मित्र/प्रतिनिधि शामिल किया गया है।
बाल मैत्रीपूर्ण विधिक सेवा योजना 2024 भारत में विधिक सेवा संस्थानों (एलएसआईएस) द्वारा बच्चों के अनुकूल विधिक सेवाओं के प्रावधान को सुदृढ़ और सुनिश्चित करने का प्रयास करती है साथ ही विकलांग बच्चों सहित सभी बच्चों को विशेषज्ञ, विशिष्ट और सक्षम विधि विशेषज्ञों तक पहुंच संभव हो और उन्हें अपने कानूनी अधिकारों, हक़ों तथा न्यायालयी व अन्य प्रक्रियाओं को समझने का अधिकार हो, यह भी सुनिश्चित करेगी। इसके अतिरिक्त सबसे अधिक असुरक्षित बच्चों की पहचान करने और उनकी सहायता करने के लिए सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। लीगल सर्विस यूनिट फ़ॉर चिल्ड्रेन का यह दायित्व होगा कि वह बाल मैत्रीपूर्ण विधिक सेवा योजना 2024 के निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु तत्परता से कार्य करे।
1- विकलांग बच्चों सहित सभी बच्चों के लिए कानूनी सेवाएं कानूनी कार्यवाही के सभी चरणों में सुलभ होने।
2- यह सुनिश्चित करना कि कानूनी सेवाएं बच्चों की विशिष्ट कानूनी, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और अन्य आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी हो।
3- न्याय प्रणाली के भीतर बच्चों के अनुकूल और बच्चों के प्रति संवेदनशील माहौल को सुगम बनाना और बढ़ावा देना, ताकि बच्चे खुद को मूल्यवान महसूस करें और विधिक कार्यवाही में अपनी राय व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित हों, जिससे उनके जीवन को प्रभावित करने वाले सभी मामलों में उनके सर्वोत्तम हितों की रक्षा हो सके।
4- पैनल वकीलों और अर्ध-कानूनी स्वयंसेवकों का एक विशेष कार्यबल तैयार करना, जिन्हें बच्चों को बाल-केंद्रित, लिंग-संवेदनशील, विकलांगता-केंद्रित और आघात-सूचित कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
5- बच्चों के अधिकारों, हक़ों, कानूनी उपायों और कर्तव्यों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करना, और यह भी सुनिश्चित करना कि बच्चों को उनकी उम्र और परिपक्वता के लिए उपयुक्त तरीके से ऐसी जानकारी प्रदान करना, जो लिंग और संस्कृति संबंधी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए की जाय।
6- समुदायों, स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, सरकारी संस्थानों और विभागों, विकलांगता अधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों सहित गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करना, ताकि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाले कानूनों, योजनाओं और नीतियों के कार्यान्वयन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जा सके।
डॉ. नरेन्द्र दिवाकर