छत्तीसगढ़ के बीजापुर में देश का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान, 1000 से ज्यादा नक्सली घेरे में
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ऑपरेशन की शुरुआत खुफिया जानकारी के आधार पर की गई, जिसमें नक्सलियों की भारी मौजूदगी की सूचना मिली थी।
सुरक्षा बल पूरी रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं और किसी भी संभावित नुकसान को टालने के लिए हर कदम सोच-समझकर उठाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में देश के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। यह ऑपरेशन बीजापुर की अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित करेगुट्टा पहाड़ियों के घने जंगलों में सुरक्षाबलों द्वारा चलाया जा रहा है। इस बड़े अभियान में छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र के 20,000 से अधिक जवान हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें सीआरपीएफ की स्पेशल यूनिट ‘कोबरा’ की 208वीं बटालियन भी शामिल है।
ऑपरेशन की शुरुआत खुफिया जानकारी के आधार पर की गई, जिसमें नक्सलियों की भारी मौजूदगी की सूचना मिली थी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने योजना बनाकर पूरे इलाके को घेर लिया। बताया जा रहा है कि इस अभियान में सुरक्षाबलों ने 1,000 से ज्यादा नक्सलियों को चारों तरफ से घेर लिया है। अब तक की मुठभेड़ में कम से कम पांच नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जबकि ऑपरेशन अभी भी जारी है। यह मुठभेड़ उस वक्त शुरू हुई जब नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में जवानों ने तत्काल मोर्चा संभालते हुए हमला किया।
इस दौरान सुरक्षाबलों ने इलाके के कई नक्सली ठिकानों को भी ध्वस्त किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजापुर की पहाड़ियों में छिपे नक्सलियों के 12 अड्डों का पता लगाया गया और उन्हें नष्ट कर दिया गया। इन अड्डों में एक कंक्रीट स्लैब से बना बंकर भी मिला जो 160 वर्ग फीट का था। वहां से छह सौर पैनल, दो नक्सली वर्दियां, दो छत पंखे और अन्य सामग्री बरामद की गई।
इस ऑपरेशन का उद्देश्य न केवल नक्सलियों को पकड़ना या मार गिराना है, बल्कि उनके सुरक्षित ठिकानों को भी खत्म करना है, ताकि वे फिर से संगठित न हो सकें। ऑपरेशन की सफलता सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और सुरक्षाबलों की तैयारी को दर्शाती है। नक्सलियों के गढ़ में घुसकर इतने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करना एक साहसिक कदम है, जो नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति बहाल करने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।
सुरक्षा बल पूरी रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं और किसी भी संभावित नुकसान को टालने के लिए हर कदम सोच-समझकर उठाया जा रहा है। इस ऑपरेशन से नक्सलियों को करारा झटका लगा है और इसका असर अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों में भी देखने को मिल सकता है।
देशभर की नजरें इस ऑपरेशन पर टिकी हुई हैं। यदि यह अभियान पूरी तरह सफल रहता है, तो यह नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। यह अभियान यह भी दर्शाता है कि भारत अब नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए हर स्तर पर तैयार है।