टाटा IISc मेडिकल स्कूल में नई पहल

Thu 24-Apr-2025,11:24 PM IST +05:30

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टाटा IISc मेडिकल स्कूल में नई पहल टाटा IISc मेडिकल स्कूल में नई पहल
  • टाटा IISc मेडिकल स्कूल, बेंगलुरु में एकीकृत चिकित्सा विभाग की स्थापना पर वर्चुअल बैठक, जिसमें समकालीन चिकित्सा और पारंपरिक आयुर्वेद की मिलावट पर चर्चा की गई।

  • एक श्वेत पत्र तैयार करने का निर्णय लिया गया, जो एकीकृत चिकित्सा के दायरे और रणनीतिक अनुप्रयोगों को स्पष्ट करेगा, और साक्ष्य-आधारित, रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य प्रणाली की दिशा में एक कदम है।

Delhi / New Delhi :

भारत के पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा ढांचे को सुदृढ़ करने और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत आज टाटा आईआईएससी मेडिकल स्कूल, बेंगलुरु में एकीकृत चिकित्सा विभाग की स्थापना पर चर्चा हेतु एक वर्चुअल बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में देश के स्वास्थ्य और शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के अध्यक्ष डॉ. बी.एन. गंगाधर, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCISM) के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी और आईआईएससी बेंगलुरु के नेफ्रोलॉजी विभाग के उद्घाटन अध्यक्ष प्रोफेसर स्वामीनाथन प्रमुख थे।

बैठक का प्रमुख उद्देश्य भारत में पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को एकीकृत करते हुए समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की स्थापना पर विचार करना था। विचार-विमर्श में इस बात पर बल दिया गया कि किस प्रकार समकालीन चिकित्सा पद्धतियों जैसे एलोपैथी की वैज्ञानिक प्रगति को आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी जैसी पारंपरिक प्रणालियों की समय-परीक्षित विधियों के साथ समन्वयित कर स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता, पहुँच और प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है।

बैठक में यह सहमति बनी कि एकीकृत चिकित्सा प्रणाली के विभिन्न पहलुओं जैसे नैदानिक ​​उपचार, चिकित्सा शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान में इसके उपयोग और प्रभाव को रेखांकित करने के लिए एक श्वेत पत्र (White Paper) तैयार किया जाएगा। यह दस्तावेज़ नीति निर्माताओं, चिकित्सा संस्थानों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करेगा, जिसमें एकीकृत चिकित्सा को प्रभावी रूप से लागू करने की रणनीति और रोडमैप शामिल होंगे। इसके अंतर्गत विभिन्न मंत्रालयों और आयोगों के सहयोग से विशेषज्ञ परामर्श और नीति-स्तरीय अनुमोदन प्राप्त कर इसे राष्ट्रव्यापी स्तर पर लागू करने का प्रस्ताव रखा गया।

इस पहल का आधार हाल ही में आईआईएससी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘राइज़ फॉर हेल्दी एजिंग’ के दौरान हुई चर्चाओं में निहित है। उस सम्मेलन में भी विश्व स्तर के वैज्ञानिकों और आयुष विशेषज्ञों ने एकीकृत चिकित्सा के संभावित भविष्य पर गहन विमर्श किया था। आज की बैठक उस संवाद को नीतिगत रूप देने की दिशा में एक ठोस कदम है, जो भारत को रोगी-केंद्रित, साक्ष्य-आधारित और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली की ओर अग्रसर करता है।

एकीकृत चिकित्सा विभाग की स्थापना पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के वैज्ञानिक और आधुनिक उपयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत को वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व की दिशा में भी मजबूती प्रदान करेगी। यह पहल न केवल चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देगी बल्कि चिकित्सा अनुसंधान को भी एक नई दिशा देगी, जिससे भावी पीढ़ियों को समग्र स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा।