Women’s Day 2025: संघर्ष, सफलता और सशक्तिकरण की अनूठी गाथा

Sat 08-Mar-2025,01:53 PM IST +05:30

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Women’s Day 2025: संघर्ष, सफलता और सशक्तिकरण की अनूठी गाथा
  • 8 मार्च को महिला दिवस मनाने का इतिहास 1908 से जुड़ा है, जब न्यूयॉर्क की करीब 15,000 महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। 

  • संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 1975 में इस दिन को आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता दी। 

  • कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं ने अंतरिक्ष में अपनी पहचान बनाई, वहीं वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं के रूप में महिलाएं बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

  • इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, मायावती, ममता बनर्जी और निर्मला सीतारमण जैसी कई महिलाएं राजनीति में शीर्ष पदों तक पहुंची हैं।

  • नायका की फाल्गुनी नायर, बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ और पेपाल की अरुंधति भट्टाचार्य जैसी महिलाएं उद्योग जगत में एक मिसाल बनी हुई हैं।

  • पी.वी. सिंधु, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, मिताली राज और मैरी कॉम जैसी खिलाड़ी देश का गौरव बढ़ा रही हैं। 

  • मलाला यूसुफजई, मेधा पाटकर और किरण बेदी ने समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

Madhya Pradesh / Jabalpur :

महिला दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि महिलाओं के संघर्ष, उपलब्धियों और समाज में उनके योगदान का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि महिलाओं ने किस प्रकार समय-समय पर कठिनाइयों को पार कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। महिलाओं को समान अधिकार दिलाने की दिशा में यह दिन प्रेरणा का कार्य करता है।

महिला दिवस क्यों खास है?

महिला दिवस महिलाओं के आत्मनिर्भरता, सशक्तिकरण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। समाज में महिलाओं की भूमिका केवल एक गृहिणी तक सीमित नहीं रही, बल्कि वे आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है महिला दिवस?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1900 के दशक की शुरुआत में हुई। 8 मार्च को महिला दिवस मनाने का इतिहास 1908 से जुड़ा है, जब न्यूयॉर्क की करीब 15,000 महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। उन्होंने काम के बेहतर हालात, कम काम के घंटे और समान वेतन की मांग की थी। इसके बाद, 1910 में कोपेनहेगन (डेनमार्क) में हुए अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में इसे एक विशेष दिन के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा गया।

1917 में रूस की महिलाओं ने इसी दिन एक ऐतिहासिक हड़ताल की थी, जिसके चलते रूस में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 1975 में इस दिन को आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता दी। तब से यह दिन पूरी दुनिया में महिलाओं के संघर्ष और उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए समर्पित है।

समाज में महिलाओं की भागीदारी: आज की स्थिति

आज के दौर में महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में देखने को मिल रही है, चाहे वह राजनीति हो, विज्ञान हो, व्यापार हो या खेल। महिलाओं की साक्षरता दर में काफी हद तक कमी आई है। आज महिलायें केवल एक गृहणी बनकर ही नहीं रह गई है, बल्कि एक सफल गृहणी होने के साथ-साथ बाहरी दुनिया में भी पेशेवर कामकाजी महिलाओं के रूप में अपनी जगह बनाई है। निम्न क्षेत्रों में महिलाओं ने खुद को साबित किया है और स्थान बनाया है-

1. शिक्षा और अनुसंधान

महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। पहले जहां लड़कियों को उच्च शिक्षा तक पहुंच मुश्किल होती थी, वहीं आज वे आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल कॉलेजों और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में अपना स्थान बना रही हैं। कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं ने अंतरिक्ष में अपनी पहचान बनाई, वहीं वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं के रूप में महिलाएं बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

2. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी

आज भारत सहित कई देशों में महिलाएं राजनीति में प्रभावी भूमिका निभा रही हैं। इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, मायावती, ममता बनर्जी और निर्मला सीतारमण जैसी कई महिलाएं राजनीति में शीर्ष पदों तक पहुंची हैं। 33% महिला आरक्षण बिल का पारित होना भी महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण का उदाहरण है।

3. व्यवसाय और उद्यमिता

महिलाएं अब केवल नौकरी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे बड़ी-बड़ी कंपनियों की सीईओ, संस्थापक और बिजनेस लीडर बन रही हैं। उदाहरण के लिए, नायका की फाल्गुनी नायर, बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ और पेपाल की अरुंधति भट्टाचार्य जैसी महिलाएं उद्योग जगत में एक मिसाल बनी हुई हैं। स्टार्टअप और उद्यमिता में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है।

4. खेल और मनोरंजन

महिलाओं ने खेल जगत में भी अपना परचम लहराया है। पी.वी. सिंधु, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, मिताली राज और मैरी कॉम जैसी खिलाड़ी देश का गौरव बढ़ा रही हैं। बॉलीवुड और हॉलीवुड में भी महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है और सशक्त किरदारों से समाज को नया संदेश दिया है।

5. सामाजिक सुधार और महिला सशक्तिकरण

महिलाएं सामाजिक सुधारों में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता जैसे कि मलाला यूसुफजई, मेधा पाटकर और किरण बेदी ने समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महिलाएं न केवल घरेलू हिंसा, बाल विवाह और लैंगिक असमानता के खिलाफ आवाज उठा रही हैं, बल्कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण भारत में भी आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही हैं।

महिला सशक्तिकरण की चुनौतियां

हालांकि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं:

  • लैंगिक असमानता: कई क्षेत्रों में आज भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है।
  • सुरक्षा के मुद्दे: महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न आज भी समाज में एक गंभीर समस्या है।
  • सामाजिक बाधाएं: पारिवारिक दबाव, रूढ़िवादी सोच और सामाजिक अपेक्षाएं महिलाओं की तरक्की में बाधक बन सकती हैं।
  • शिक्षा की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लड़कियों की शिक्षा को कम महत्व दिया जाता है।

महिला दिवस केवल एक दिन मनाने की औपचारिकता नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें समान अवसर देने की प्रेरणा बननी चाहिए। महिलाओं की भागीदारी से समाज का हर क्षेत्र विकसित हो सकता है। जब एक महिला शिक्षित होती है, तो वह पूरे परिवार और समाज को शिक्षित करती है।

आज जरूरत है कि हम महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी का मौका दें और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करें। महिला दिवस के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम महिलाओं को हर क्षेत्र में सहयोग और समर्थन देंगे, ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें और समाज को आगे ले जा सकें।