संसदीय राजभाषा समिति ने भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय का दौरा किया
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संसदीय राजभाषा समिति के सदस्यों ने मंगलवार, 22 अप्रैल, 2025 को मुंबई में राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) और भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय (एनएमआईसी) का दौरा किया।
प्रतिनिधिमंडल में सांसद श्री शंकर लालवानी (इंदौर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र), श्री हरिभाई पटेल (मेहसाणा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र), श्री कुलदीप इंदौरा (गंगानगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र), डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी (आरएस), श्री जिया उर रहमान (संभल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) के साथ-साथ समिति के सचिव श्री प्रेम नारायण शामिल थे।
संसदीय राजभाषा समिति के सदस्यों ने मंगलवार, 22 अप्रैल, 2025 को मुंबई में राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) और भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय (एनएमआईसी) का दौरा किया।
प्रतिनिधिमंडल में सांसद श्री शंकर लालवानी (इंदौर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र), श्री हरिभाई पटेल (मेहसाणा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र), श्री कुलदीप इंदौरा (गंगानगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र), डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी (आरएस), श्री जिया उर रहमान (संभल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) के साथ-साथ समिति के सचिव श्री प्रेम नारायण शामिल थे।
संसदीय समिति के सदस्यों का स्वागत एनएफडीसी के महाप्रबंधक श्री डी. रामकृष्णन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार श्री रवींद्र कुमार जैन भी उपस्थित थे।
एनएमआईसी की विपणन एवं जनसंपर्क प्रबंधक सुश्री जयिता घोष और उप महाप्रबंधक एवं क्यूरेटर श्री सत्यजीत मंडले ने संग्रहालय के दौरे का संचालन किया। राजभाषा समिति के सदस्यों ने भारतीय सिनेमा की ऐतिहासिक यात्रा, तकनीकी प्रगति, दुर्लभ पोस्टर और संग्रहित संग्रहों का गहन अवलोकन किया।
राजभाषा संसदीय समिति के सदस्य प्रदर्शनों से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने भारतीय सिनेमा की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और प्रदर्शित करने के लिए संग्रहालय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह दौरा न केवल ज्ञानवर्धक और जानकारीपूर्ण था, बल्कि भावनात्मक रूप से भी महत्वपूर्ण था, जो भारतीय सिनेमा की आत्मा से एक अनूठा जुड़ाव प्रदान करता है। उन्होंने भविष्य में संग्रहालय का फिर से दौरा करने की अपनी इच्छा भी व्यक्त की।
यह अवसर एनएमआईसी और एनएफडीसी दोनों के लिए गौरव का क्षण था, क्योंकि देश के प्रमुख नीति निर्माताओं द्वारा भारतीय सिनेमा की स्थायी विरासत को मान्यता दी गई और उसकी सराहना की गई।