साल 2025 में भारतवासियों के लिए मानसून को लेकर एक सुखद समाचार सामने आया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अनुमान जताया है कि इस वर्ष जून से सितंबर के बीच देश में औसत से 105 प्रतिशत अधिक वर्षा हो सकती है। यह समाचार कृषि पर निर्भर देश भारत के लिए न केवल राहत भरा है, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक संकेत देता है।
आईएमडी के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि इस वर्ष एल-नीनो और इंडियन ओसियन डाइपोल (IOD) जैसी वैश्विक मौसमी स्थितियां सामान्य रहेंगी। ये दोनों कारक मानसून की दिशा और तीव्रता पर गहरा प्रभाव डालते हैं। जब ये स्थितियां अनुकूल होती हैं, तो पूरे देश में अच्छी वर्षा की संभावना बढ़ जाती है। इस बार ऐसा ही संकेत मिल रहा है।
विशेषज्ञों ने यह भी बताया है कि हिमालय और यूरेशिया क्षेत्र में इस साल बर्फ की मात्रा सामान्य से कम रहेगी, जो कि एक और सकारात्मक संकेत है। ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि जब इन क्षेत्रों में बर्फ कम होती है, तो भारत में वर्षा का स्तर औसत से अधिक होता है।
हालांकि, कुछ क्षेत्र जैसे लद्दाख, पूर्वोत्तर भारत और तमिलनाडु में सामान्य से कम बारिश की संभावना जताई गई है। इसके बावजूद, पूरे देश के स्तर पर बारिश का औसत संतोषजनक रहने की उम्मीद है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां लगभग 42.3% आबादी कृषि पर निर्भर है। देश की GDP में कृषि का योगदान 18.2% है। इसके अतिरिक्त, देश के कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52% हिस्सा वर्षा पर निर्भर करता है। ऐसे में मानसून की सफलता देश की खाद्य सुरक्षा, किसान आय और जल भंडारण को सीधा प्रभावित करती है।
अच्छे मानसून से जलाशयों का पुनर्भरण भी बेहतर होगा, जिससे जल संकट से जूझ रहे इलाकों को राहत मिल सकती है। यह किसानों के लिए खरीफ फसल की अच्छी शुरुआत और बेहतर उत्पादन का संकेत भी है।
हालांकि, अप्रैल से जून तक गर्मी और लू का कहर जारी रहने की संभावना है। इससे पावर ग्रिड पर अतिरिक्त दबाव, बिजली की मांग में वृद्धि और जल संकट की स्थिति बन सकती है। मौसम विभाग ने इसको लेकर चेतावनी दी है और सरकारों को पहले से तैयारी करने की सलाह दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की वर्षा का वितरण असमान हो सकता है। यानी पूरे देश में एकसमान बारिश नहीं होगी। कुछ इलाकों में भारी बारिश होगी तो कुछ इलाकों में अपेक्षाकृत कम। ऐसे में बाढ़ और सूखे दोनों की संभावना बनी रह सकती है।
मानसून भारत में आमतौर पर 1 जून को केरल से प्रवेश करता है, और जुलाई के मध्य तक पूरे देश में फैल जाता है। सितंबर के अंत से मानसून की वापसी होती है। इस वर्ष के पूर्वानुमान से उम्मीद है कि देशभर में मानसून कृषि उत्पादन, जल संचय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा में ले जाएगा।
निष्कर्षतः वर्ष 2025 में मानसून के अनुकूल रहने की संभावना है, जो भारत की अर्थव्यवस्था, किसानों और आमजन के लिए राहत का संदेश लेकर आया है। यदि सरकार और समाज मिलकर जल प्रबंधन और खेती की योजना बनाएं, तो यह वर्ष एक हरियाली भरा अवसर बन सकता है।
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