Fake Paneer Controversy: Gauri Khan's Restaurant Torii Defends Quality Amid Viral Allegations

Thu 24-Apr-2025,11:48 PM IST +05:30

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Fake Paneer Controversy: Gauri Khan's Restaurant Torii Defends Quality Amid Viral Allegations Gauri Khan's Restaurant Torii Defends Quality Amid Viral Allegations
  • गौरी खान के मुंबई स्थित रेस्टोरेंट 'Torii' को लेकर हाल ही में एक विवाद सामने आया है, जिसमें एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने दावा किया कि वहां नकली पनीर परोसा गया है।

  • रेस्टोरेंट की ओर से इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा गया कि आयोडीन टेस्ट केवल स्टार्च की पहचान करता है, ना कि यह पनीर की असलियत या गुणवत्ता का प्रमाण है।

Maharashtra / Mumbai :

गौरी खान के मुंबई स्थित रेस्टोरेंट 'Torii' को लेकर हाल ही में एक विवाद सामने आया है, जिसमें एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने दावा किया कि वहां नकली पनीर परोसा गया है। इस विवाद ने सोशल मीडिया पर तेजी से तूल पकड़ा, खासकर तब जब इन्फ्लुएंसर सार्थक सचदेवा ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने कई नामी सेलिब्रिटी रेस्टोरेंट्स के पनीर पर आयोडीन टेस्ट किया। यह वीडियो वायरल हो गया, जिससे 'Torii' को लेकर सवाल खड़े हुए।

रेस्टोरेंट की ओर से इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा गया कि आयोडीन टेस्ट केवल स्टार्च की पहचान करता है, ना कि यह पनीर की असलियत या गुणवत्ता का प्रमाण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पनीर में सोया-आधारित सामग्री होती है, जो आयोडीन के साथ प्रतिक्रिया कर सकती है। टोरी ने यह भी कहा कि उनके किचन में सख्त गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं और ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाला खाना ही परोसा जाता है।

इस विवाद में यूट्यूबर और डेयरी कंपनी के सह-संस्थापक गौरव तनेजा भी कूद पड़े। उन्होंने बताया कि आयोडीन टेस्ट से नकली पनीर की सही पहचान नहीं हो सकती क्योंकि यह केवल स्टार्च को पहचानता है, न कि पूरी संरचना को। उन्होंने यह भी बताया कि नकली पनीर बनाने की प्रक्रिया में दूध से फैट हटाकर उसमें वनस्पति या पाम तेल मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में तैयार पनीर में कोई स्टार्च नहीं होता, इसलिए आयोडीन से कोई प्रतिक्रिया नहीं होती, फिर भी वह पनीर असली नहीं होता।

सेलिब्रिटी शेफ विकास खन्ना ने भी टोरी का समर्थन किया और कहा कि यह अफवाहें भ्रामक और बिना वैज्ञानिक आधार के हैं। उन्होंने बताया कि आयोडीन का रिएक्शन केवल उन सामग्रियों के साथ होता है जिनमें स्टार्च होता है, जैसे आलू, ब्रेड या कॉर्नफ्लोर। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि सोशल मीडिया पर बिना किसी वैज्ञानिक समझ के लोग खानपान से जुड़ी गलत जानकारी फैला रहे हैं।

इस बहस में डायटीशियन और न्यूट्रिशनिस्ट दीप्ता नागपाल ने भी हस्तक्षेप करते हुए कहा कि "वायरल साइंस एक्सपेरिमेंट्स प्रोफेशनल फूड ऑडिट्स का विकल्प नहीं हो सकते।" उन्होंने यह भी बताया कि कुछ रेसिपीज में टेक्सचर बढ़ाने के लिए स्टार्च का इस्तेमाल होता है और यह हमेशा मिलावट का संकेत नहीं होता। दीप्ता ने जोर देकर कहा कि फूड सेफ्टी और क्वालिटी का मूल्यांकन केवल वायरल वीडियो या अधूरी जांच से नहीं हो सकता

विवाद के बीच सार्थक ने भी हल्के-फुल्के अंदाज़ में जवाब दिया और पूछा कि क्या उन्हें अब रेस्टोरेंट में बैन कर दिया गया है, साथ ही उन्होंने टोरी के खाने की तारीफ करते हुए कहा, "BTW, your food is amazing."

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया पर फैलाई गई जानकारी कितनी जल्दी लोगों की राय को प्रभावित कर सकती है और विशेषज्ञों की भूमिका ऐसी स्थिति में कितनी अहम होती है।