वोटर आईडी-आधार लिंकिंग पर बड़ा फैसला: चुनाव आयोग ने दी स्वीकृति

Wed 19-Mar-2025,08:30 PM IST +05:30

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वोटर आईडी-आधार लिंकिंग पर बड़ा फैसला: चुनाव आयोग ने दी स्वीकृति
  • इससे पहले, सरकार ने पैन कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का निर्णय लिया था। अब वोटर आईडी-आधार लिंकिंग को लेकर भी कदम उठाए जा रहे हैं। 

  • मतदाता सूची को आधार डेटाबेस के साथ जोड़ने की प्रक्रिया स्वैच्छिक होगी। सरकार ने संसद में बताया कि आधार-वोटर कार्ड लिंकिंग पहले से जारी है, लेकिन इसके लिए कोई अनिवार्य लक्ष्य या समयसीमा तय नहीं की गई है। 

  • चुनाव आयोग के डाटा बेस के मुताबिक, उसके पास पहले से ही 66.23 करोड़ आधार नंबर हैं, जिन्हें अभी तक वोटर आईडी से लिंक नहीं किया गया है। 

  • वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी बनाना और डुप्लीकेट या फर्जी मतदाताओं को हटाना है। 

Delhi / New Delhi :

दिल्ली/ दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) और चुनाव आयोग के अधिकारियों की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में चर्चा के बाद वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ने का रास्ता साफ हो गया। चुनाव आयोग ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति देने का आधिकारिक ऐलान भी कर दिया। आयोग के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 23 (4), 23 (5) और 23 (6) के तहत EPIC (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) को आधार से जोड़ा जाएगा।

इससे पहले, सरकार ने पैन कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का निर्णय लिया था। अब वोटर आईडी-आधार लिंकिंग को लेकर भी कदम उठाए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

चुनाव आयोग की अहम बैठक

CEC ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में निर्वाचन सदन में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MEITY) के सचिव, UIDAI के सीईओ और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक की। इस बैठक में आधार-वोटर आईडी लिंकिंग से जुड़ी विभिन्न तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई।

स्वैच्छिक आधार पर होगी वोटर आईडी-आधार लिंकिंग

फिलहाल, मतदाता सूची को आधार डेटाबेस के साथ जोड़ने की प्रक्रिया स्वैच्छिक होगी। सरकार ने संसद में बताया कि आधार-वोटर कार्ड लिंकिंग पहले से जारी है, लेकिन इसके लिए कोई अनिवार्य लक्ष्य या समयसीमा तय नहीं की गई है। केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई मतदाता अपने आधार को वोटर आईडी से लिंक नहीं करता है, तो उसका नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।

चुनाव आयोग के पास 66.23 करोड़ आधार नंबर का डाटा

चुनाव आयोग के डाटा बेस के मुताबिक, उसके पास पहले से ही 66.23 करोड़ आधार नंबर हैं, जिन्हें अभी तक वोटर आईडी से लिंक नहीं किया गया है। 2023 में जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब आरोप लगाया गया कि आयोग ने इसे स्वैच्छिक प्रक्रिया बताया था, लेकिन जो फॉर्म लागू किया गया, उससे यह स्पष्ट नहीं था कि जानकारी देना अनिवार्य है या नहीं।

वोटर आईडी-आधार लिंकिंग की जरूरत क्यों?

वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी बनाना और डुप्लीकेट या फर्जी मतदाताओं को हटाना है। कई बार यह देखा गया है कि एक ही व्यक्ति के पास दो अलग-अलग जगहों पर वोटर कार्ड होते हैं, जिससे मतदान प्रक्रिया प्रभावित होती है। आधार लिंकिंग से इस समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी।

आगे की राह

फैसले के बाद अब चुनाव आयोग इसे लागू करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर पहले से सुनवाई चल रही है, इसलिए अंतिम फैसला अदालत के निर्णय पर भी निर्भर करेगा। फिलहाल, चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी और किसी भी मतदाता को इसके लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

यह फैसला चुनावी पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, इस पर कानूनी और राजनीतिक बहस जारी रहने की संभावना है, क्योंकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आधार और वोटर आईडी को लिंक करना नागरिकों की निजता पर असर डाल सकता है। इसके बावजूद, चुनाव आयोग और सरकार इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं।