थायरॉइड की समस्या: जीवनशैली में सुधार से पाएं नियंत्रण
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थायरॉइड एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो गर्दन के सामने वाले हिस्से में स्थित होती है। यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा उत्पादन और हार्मोन संतुलन को नियंत्रित करती है।
इसके लक्षणों में वजन घटना, घबराहट, दिल की धड़कन तेज होना, नींद न आना और चिड़चिड़ापन शामिल हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, 30 वर्ष की उम्र के बाद सभी लोगों को नियमित रूप से थायरॉइड की जांच करानी चाहिए।
थायरॉइड के मरीजों को फास्ट फूड, तला-भुना भोजन और मीठे पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिए। सोया प्रोडक्ट्स का अधिक सेवन थायरॉइड हार्मोन के अवशोषण को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इससे बचने की सलाह दी जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि थायरॉइड की समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है। हर छह महीने में थायरॉइड की जांच कराना जरूरी है।
थायरॉइड की समस्या आज के समय में एक आम स्वास्थ्य विकार बनती जा रही है, जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन के जरिए इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि लापरवाही बरतने पर यह समस्या गंभीर रूप भी ले सकती है।
क्या है थायरॉइड विकार?
थायरॉइड एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो गर्दन के सामने वाले हिस्से में स्थित होती है। यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा उत्पादन और हार्मोन संतुलन को नियंत्रित करती है। जब यह ग्रंथि सही मात्रा में हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती, तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। थायरॉइड विकार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं - हाइपरथायरॉयडिज्म और हाइपोथायरॉयडिज्म।
हाइपरथायरॉयडिज्म और हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण
हाइपरथायरॉयडिज्म को अतिसक्रिय थायरॉइड कहा जाता है, जिसमें ग्रंथि अत्यधिक हार्मोन का उत्पादन करती है। इसके लक्षणों में वजन घटना, घबराहट, दिल की धड़कन तेज होना, नींद न आना और चिड़चिड़ापन शामिल हैं।
वहीं हाइपोथायरॉयडिज्म में हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे थकान, वजन बढ़ना, बाल झड़ना, कब्ज, डिप्रेशन और मासिक धर्म की अनियमितता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
थायरॉइड के मरीजों के लिए जरूरी सुझाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, 30 वर्ष की उम्र के बाद सभी लोगों को नियमित रूप से थायरॉइड की जांच करानी चाहिए। इसके अलावा दिनचर्या में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने से इस समस्या से बचा जा सकता है।
- सही आहार लें: आयोडीन युक्त भोजन जैसे नमक, दही, केला और मछली का सेवन करें। हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज और नट्स को अपनी डाइट में शामिल करें।
- नियमित व्यायाम करें: सर्वांगासन, हलासन और भुजंगासन जैसे योगासन थायरॉइड के मरीजों के लिए फायदेमंद हैं।
- तनाव प्रबंधन: मेडिटेशन और प्राणायाम से तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है।
- पर्याप्त नींद लें: कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है।
क्या न करें?
थायरॉइड के मरीजों को फास्ट फूड, तला-भुना भोजन और मीठे पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिए। सोया प्रोडक्ट्स का अधिक सेवन थायरॉइड हार्मोन के अवशोषण को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इससे बचने की सलाह दी जाती है। साथ ही, धूम्रपान और शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए।
नियमित जांच और दवाओं का सेवन जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि थायरॉइड की समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है। हर छह महीने में थायरॉइड की जांच कराना जरूरी है। डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का सेवन बंद नहीं करना चाहिए। पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन से इस विकार को नियंत्रित किया जा सकता है।
थायरॉइड की समस्या के बारे में जागरूक रहना और समय पर उचित उपाय करना आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सही जीवनशैली अपनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है।