भारत में 50 किमी हाइपरलूप कॉरिडोर का विकास: IIT मद्रास और भारतीय रेलवे की बड़ी पहल
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IIT मद्रास ने भारतीय रेलवे के सहयोग से 422 मीटर लंबा परीक्षण ट्रैक सफलतापूर्वक तैयार किया है।
IIT मद्रास को पहले दो बार $1 मिलियन (करीब ₹9 करोड़) की अनुदान राशि मिल चुकी है, और अब तीसरी बार भी $1 मिलियन की राशि दी जाएगी, ताकि हाइपरलूप तकनीक के विकास को और आगे बढ़ाया जा सके।
यह प्रस्तावित ट्रैक भारतीय रेलवे को हाइपरलूप तकनीक की व्यवहार्यता परखने में मदद करेगा, जिसकी गति 1,200 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है।
भारत अब 50 किमी लंबे हाइपरलूप कॉरिडोर के व्यावसायिक परिवहन के लिए तैयार हो रहा है। यह घोषणा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने की, जिन्होंने बताया कि IIT मद्रास ने भारतीय रेलवे के सहयोग से 422 मीटर लंबा परीक्षण ट्रैक सफलतापूर्वक तैयार किया है। अगर यह परियोजना पूरी होती है, तो यह दुनिया का सबसे लंबा हाइपरलूप ट्रैक बन सकता है।
IIT मद्रास को पहले दो बार $1 मिलियन (करीब ₹9 करोड़) की अनुदान राशि मिल चुकी है, और अब तीसरी बार भी $1 मिलियन की राशि दी जाएगी, ताकि हाइपरलूप तकनीक के विकास को और आगे बढ़ाया जा सके। वैष्णव ने बताया कि जब यह परियोजना व्यावसायिक स्तर पर तैयार हो जाएगी, तो भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क में 40-50 किमी लंबा पहला वाणिज्यिक हाइपरलूप ट्रैक स्थापित करेगा।
सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्तावित ट्रैक भारतीय रेलवे को हाइपरलूप तकनीक की व्यवहार्यता परखने में मदद करेगा, जिसकी गति 1,200 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है। IIT मद्रास द्वारा दिसंबर 2024 में पूरा किया गया पहला परीक्षण ट्रैक भविष्य में इस तकनीक के विकास की नींव रखेगा।
हाइपरलूप तकनीक परिवहन की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, क्योंकि यह शहरों के बीच यात्रा के समय को काफी हद तक कम कर सकती है। पारंपरिक रेल और हवाई यात्रा की तुलना में यह अधिक तेज़ और कुशल होगी। इस अवधारणा को पहली बार 1970 के दशक में स्विस प्रोफेसर मार्सेल जुफ़र ने प्रस्तुत किया था। इसके बाद, 1992 में स्विसमेट्रो SA ने इस पर काम किया, लेकिन 2009 में यह कंपनी बंद हो गई।
इस समय, दुनिया भर में आठ प्रमुख हाइपरलूप परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें अमेरिका की वर्जिन हाइपरलूप (नेवादा में परीक्षण ट्रैक बना रही) और कनाडा की ट्रांसपॉड शामिल हैं, जो अपने डिज़ाइन को मान्य करने के लिए परीक्षण ट्रैक का निर्माण कर रही हैं।
इस बीच, रेलवे मंत्रालय ने कहा है कि IIT मद्रास और भारतीय रेलवे हाइपरलूप के अलावा वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (VTOL) वाहनों के विकास में भी सहयोग करेंगे।