ट्रंप के कार्यकाल में धीमा डिपोर्टेशन, बाइडन से भी कम रफ्तार
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ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में यह संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि ट्रंप अवैध प्रवासियों की गिरफ्तारी और निर्वासन की नई योजनाएं बना रहे हैं।
ग्वाटेमाला, अल सल्वाडोर, पनामा और कोस्टा रिका से हुए समझौतों के तहत अमेरिका को निर्वासन अभियान में मदद मिलेगी। इन देशों ने दूसरे देशों के निर्वासित लोगों को अपने यहां शरण देने की सहमति दी है।
अमेरिका/ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बड़बोले स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अमेरिका से अवैध प्रवासियों को हटाने का वादा किया था, लेकिन शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि उनकी डिपोर्टेशन की गति काफी धीमी है। कार्यकाल के पहले महीने में ट्रंप ने 37,660 प्रवासियों को डिपोर्ट किया, जो बाइडन प्रशासन के आखिरी वर्ष के मासिक औसत 57,000 से काफी कम है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बाइडन सरकार के दौरान अधिक संख्या में प्रवासी अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे, जिससे उन्हें डिपोर्ट करना आसान हो गया था। वहीं, ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में यह संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि ट्रंप अवैध प्रवासियों की गिरफ्तारी और निर्वासन की नई योजनाएं बना रहे हैं।
ग्वाटेमाला, अल सल्वाडोर, पनामा और कोस्टा रिका से हुए समझौतों के तहत अमेरिका को निर्वासन अभियान में मदद मिलेगी। इन देशों ने दूसरे देशों के निर्वासित लोगों को अपने यहां शरण देने की सहमति दी है। ट्रंप प्रशासन ने अब तक ग्वाटेमाला, होंडुरास, पनामा, इक्वाडोर और पेरू में सैन्य निर्वासन उड़ानों की सहायता की है।
इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला के प्रवासियों को ग्वांतानामो खाड़ी स्थित अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर भेजा है। उन्होंने जनवरी के अंत में यह भी घोषणा की थी कि उनका प्रशासन 30,000 प्रवासियों को हिरासत में लेने की योजना बना रहा है, भले ही नागरिक स्वतंत्रता समूह इसका विरोध करें।
भारत में भी अब तक तीन अमेरिकी विमान डिपोर्ट किए गए लोगों को लेकर आ चुके हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप अपने वादे को पूरा कर पाते हैं या नहीं।