Mahakumbh 2025: आस्था, रिकॉर्ड और स्वच्छता का महासंगम
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किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह आयोजन इतना भव्य और ऐतिहासिक होगा। अनुमान था कि 45 करोड़ श्रद्धालु आएंगे, लेकिन संख्या 66 करोड़ को पार कर गई।
महाकुंभ के दौरान तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए गए। 360 स्थानों पर 19,000 लोगों ने एक साथ गंगा नदी की सफाई की। यह नज़ारा देखने लायक था।
दूसरा रिकॉर्ड सबसे बड़ी हैंडप्रिंट पेंटिंग था। 10,102 लोगों ने एक साथ हाथों के निशान बनाकर सामाजिक एकता का संदेश दिया।
महाकुंभ के दौरान रेलवे ने 16,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाईं, जिनमें 5 करोड़ से अधिक यात्रियों ने यात्रा की।
50 लाख से अधिक विदेशी श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बने।
प्रयागराज/ प्रयागराज की पवित्र धरती पर सूरज की पहली किरण के साथ ही गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। लाखों श्रद्धालु, संत, और अखाड़ों के साधु-संन्यासी त्रिवेणी संगम की ओर बढ़ रहे थे। यह कोई सामान्य दिन नहीं था, यह था महाकुंभ 2025 का पहला स्नान पर्व – पौष पूर्णिमा।
शुरुआत एक सपने की तरह
महाकुंभ 2025 की तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो गई थीं। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह आयोजन इतना भव्य और ऐतिहासिक होगा। अनुमान था कि 45 करोड़ श्रद्धालु आएंगे, लेकिन संख्या 66 करोड़ को पार कर गई।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर कदम
महाकुंभ के दौरान तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए गए। पहला रिकॉर्ड था – सबसे बड़ा एकसाथ गंगा सफाई अभियान। 360 स्थानों पर 19,000 लोगों ने एक साथ गंगा नदी की सफाई की। यह नज़ारा देखने लायक था। लोगों ने न केवल गंगा को साफ किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया।
दूसरा रिकॉर्ड था – सबसे बड़ी हैंडप्रिंट पेंटिंग। 10,102 लोगों ने एक साथ हाथों के निशान बनाकर सामाजिक एकता का संदेश दिया। यह पेंटिंग न केवल कलात्मक थी, बल्कि इसने लोगों को एक साथ लाने का काम किया।
तीसरा रिकॉर्ड था – सबसे अधिक लोगों द्वारा सफाई अभियान। 19,000 लोगों ने सामूहिक झाड़ू लगाकर 2019 के 10,000 लोगों के रिकॉर्ड को तोड़ा। यह अभियान स्वच्छता और सामुदायिक भागीदारी का प्रतीक बना।
तीर्थयात्रियों का सैलाब
महाकुंभ के दौरान हर दिन 1.25 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। यह संख्या पिछले सभी महाकुंभों से कहीं अधिक थी। लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। कुछ लोग तो हज़ारों किलोमीटर की यात्रा करके प्रयागराज पहुंचे थे।
विदेशी तीर्थयात्रियों की भागीदारी भी कम नहीं थी। 50 लाख से अधिक विदेशी श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बने। उनके लिए यह न केवल एक आध्यात्मिक अनुभव था, बल्कि भारत की संस्कृति और परंपरा को समझने का अवसर भी।
रेलवे की विशाल सेवा
महाकुंभ के दौरान रेलवे ने 16,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाईं, जिनमें 5 करोड़ से अधिक यात्रियों ने यात्रा की। यह रेलवे की सबसे बड़ी सेवा थी। प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए हर संभव प्रबंध किया।
छह विशेष स्नान तिथियां
महाकुंभ के दौरान छह विशेष स्नान तिथियां थीं – पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि। इन तिथियों पर भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। लाखों लोग त्रिवेणी संगम में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति पाने की आशा लेकर आए थे।
उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 को "विश्व इतिहास की सबसे अप्रत्याशित और अविस्मरणीय घटना" बताया। उन्होंने संतों, अखाड़ों और धार्मिक गुरुओं के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि महाकुंभ ने पूरी दुनिया को एकता और आध्यात्मिकता का संदेश दिया है।
प्रशासन ने महाकुंभ के दौरान सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया। हर कदम पर श्रद्धालुओं की सुविधा का ख्याल रखा गया।
महाकुंभ का प्रभाव
महाकुंभ 2025 ने न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया। गंगा सफाई अभियान और स्वच्छता अभियान ने लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया।
आर्थिक रूप से भी यह आयोजन बहुत सफल रहा। होटल, रेस्तरां और परिवहन सेवाओं को भारी मुनाफा हुआ। प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला।
महाकुंभ 2025 न केवल आस्था और परंपरा का संगम बना, बल्कि सफाई, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक एकता का नया उदाहरण भी पेश किया। इस आयोजन ने तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए और 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को आकर्षित किया। यह आयोजन भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का एक मंच बना। महाकुंभ 2025 ने पूरी दुनिया को एकता और आध्यात्मिकता का संदेश दिया है।