Digital Arrest कर Lucknow में साइबर ठगों ने छात्र से ठगे 2 लाख रुपये
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- डिजिटल अरेस्ट: मानसिक दबाव से ठगी का जाल।
- झूठा आरोप: मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाया।
- धोखाधड़ी: ठगों ने 2 लाख रुपये वसूले।
- सतर्कता: पुलिस ने सावधान रहने की सलाह दी।
उत्तरप्रदेश/लखनऊ में साइबर ठगों द्वारा एक छात्र को मनी लॉन्ड्रिंग में दोषी ठहराते हुए डिजिटल अरेस्ट में रखने का मामला सामने आया है। अलीगंज के त्रिवेणी नगर-3 के निवासी इस छात्र को ठगों ने फोन पर खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच और मुंबई सीबीआई का अधिकारी बताते हुए फंसाया। उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग का झूठा आरोप लगाकर केस खत्म करने के नाम पर दो लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
ठगों ने छात्र को मानसिक रूप से नियंत्रित करने के लिए "डिजिटल अरेस्ट" का इस्तेमाल किया, जिससे वह चार दिनों तक उनके प्रभाव में रहा। छात्र ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, और मामले की जांच जारी है। पुलिस ने इस घटना को साइबर अपराधों के बढ़ते खतरों का हिस्सा बताया और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी।
'डिजिटल अरेस्ट' साइबर अपराधियों द्वारा अपनाई गई नई चाल है, जिसमें वे पीड़ित को मानसिक दबाव में रखकर उसे आर्थिक शोषण का शिकार बनाते हैं। यह किसी को मानसिक रूप से कैद करने जैसा है, जहां ठग फोन कॉल के माध्यम से पीड़ित को डराकर पैसे ऐंठते हैं।
गौरतलब है कि इस साल डिजिटल अरेस्ट के कई मामले सामने आए हैं. बीते दिनों उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में एक महिला को साइबर अपराधियों ने 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 2.9 लाख रुपये की ठगी कर ली थी. अतिरिक्त एसपी कालू सिंह ने बताया कि सोनभद्र की रहने वाली सृष्टि मिश्रा ने 18 अक्टूबर को पुलिस को सूचित किया कि उन्हें 9 अक्टूबर को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया था. उन्हें कीपैड पर 9 दबाने के लिए कहा गया, जिसके बाद उनका कॉल ट्रांसफर हो गया. फिर उन्हें बताया गया कि उनके फोन नंबर का उपयोग करके 38 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. फिर कॉल करने वाले ने उन्हें बताया कि ठगी गई राशि का 10 प्रतिशत उनके खाते में ट्रांसफर कर दिया गया है. महिला को बताया गया कि जांच जारी रहने तक वह 'डिजिटल अरेस्ट' में है. इसी दौरान उनसे ढाई लाख रुपये लूट लिए गए.
देशभर में इस तरह के साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। पुलिस का कहना है कि जागरूकता ही इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है। किसी भी अज्ञात कॉल पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें।
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तकनीक के गलत इस्तेमाल से कैसे निर्दोष लोग ठगी का शिकार बन रहे हैं। साइबर सुरक्षा उपायों को अपनाकर ही इन अपराधों को रोका जा सकता है।