Karva Chauth 2024: करवा चौथ पूजा कैसे करें, क्या पहनें और क्या खाएं, जानें मुहूर्त और सम्पूर्ण विधि
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करवा चौथ व्रत सुबह 6 बजकर 33 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा और इस व्रत की समाप्ति रात्रि 8 बजकर 31 मिनट पर होगी। चंद्र दर्शन का समय रात 8 बजकर 15 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा।
इस साल पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक है। इस मुहूर्त में पूजा करना शुभ माना गया है।
करवा चौथ 2024: इस साल करवा चौथ 20 अक्टूबर, दिन रविवार को मनाया जाएगा। यह व्रत भारतीय महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा विशेष रूप से की जाती है और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत समाप्त किया जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ की पूजा विधि, पहनावा, भोजन और शुभ मुहूर्त के बारे में-
करवा चौथ पूजा विधि
- स्नान और संकल्प:
व्रतधारी महिला सूर्योदय से पहले स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लेती है। संकल्प लेने के बाद पूरे दिन जल या भोजन ग्रहण नहीं किया जाता। - सारगी भोजन (सुबह):
व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले सारगी खाती हैं, जो सास द्वारा दी जाती है। इसमें फल, मिठाइयाँ और अन्य पौष्टिक चीज़ें होती हैं ताकि दिनभर ऊर्जा बनी रहे। - सजावट और पूजा की तैयारी:
एक साफ और पवित्र स्थान पर पूजा का मंडप सजाएं। साफ लाल कपड़े बिछाकर इसमें भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करें। तांबे या पीतल के कलश में अन्न भरकर आम के पत्ते से सजाकर रखें। साथ में एक करवा (मिट्टी का बर्तन) भी रखें, जिसमें जल भरें। दिया जलाकर पूजन विधि आरंभ करें और चंदन, कुमकुम लगाकर करवा माता में नई साड़ी व शृंगार का सामान चढ़ाएं। अन्य फल व मिठाई से भोग लगाएं। करवा पूजा सम्पूर्ण होने के बाद अगले दिन करवा माता में चढ़ाई गई साड़ी और श्रंगार के सामान को अपने सासु माँ को दें या अगर आपकी सास नहीं है अथवा सास सुहागन नहीं है तो इसे अपनी जेठानी, देवरानी या किसी अन्य सुहागन स्त्री को भी दे सकते हैं। - करवा चौथ कथा:
दिन में व्रती महिलाएं पूजा मंडप में बैठकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। यह कथा बताती है कि कैसे एक पत्नी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए यह कठिन व्रत किया और उसका आशीर्वाद मिला। करवा चौथ व्रत कथा सुनने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। यह कथा पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और पत्नी की भक्ति को दर्शाती है। - पूजा की थाली:
पूजा के लिए एक थाली तैयार करें, जिसमें दीपक, रोली, अक्षत, सिंदूर, छलनी, मिठाई, जल से भरा करवा और अर्घ्य देने के लिए एक बर्तन रखें। - चंद्र दर्शन और अर्घ्य:
रात को चंद्रमा निकलने पर सभी महिलाएं चंद्रमा की पूजा करके आरती उतारती है और चंद्रमा को छलनी से देखकर अर्घ्य देती हैं। इसके बाद उसी छलनी से अपने पति को देखती है और अपने पति के हाथ से पानी या मिठाई ग्रहण करके व्रत तोड़ती हैं।
आइए अब जानते हैं करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और चाँद निकलने का समय
इस साल करवा चौथ व्रत सुबह 6 बजकर 33 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा और इस व्रत की समाप्ति रात्रि 8 बजकर 31 मिनट पर होगी। चंद्र दर्शन का समय रात 8 बजकर 15 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा। समय स्थान के अनुसार चंद्र दर्शन के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है। करवा चौथ की पूजा वैसे तो दिन में या शाम को किया जाता है परंतु इस साल पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक है। इस मुहूर्त में पूजा करना शुभ माना जाता है।
करवा चौथ में स्त्रियाँ क्या पहनें
करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जो सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। इसमें बिंदी, काजल, सिंदूर, चूड़ियाँ, मेहंदी, कुमकुम, मंगलसूत्र आदि शामिल होते हैं। परंपरागत रूप से महिलाएं लाल, गुलाबी, नारंगी या अन्य शुभ रंगों के परिधान पहनती हैं, जैसे साड़ी या लहंगा-चोली। ये रंग विवाह और प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं। सोने, चांदी या अन्य धातु के गहने पहनना शुभ माना जाता है। कांच की चूड़ियाँ पहनना भी करवा चौथ के दिन आवश्यक होता है, जो सौभाग्य का प्रतीक होती हैं।
करवा चौथ व्रत में क्या खाएं:
सारगी, व्रत से पहले खाया जाने वाला भोजन है, जो सास द्वारा दिया जाता है। इसमें ताजे फल, मिठाइयाँ, पकोड़े, मठरी, फेनी, सूखे मेवे और दूध शामिल होते हैं। इसके बाद पूरे दिन अन्न व जल ग्रहण नहीं किया जाता और शाम को व्रत खोलने के बाद महिलाएं ताजे फल, मिठाई और हल्का भोजन कर सकती हैं। छाछ, खीर और हल्का भोजन खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
करवा चौथ का व्रत भारतीय परंपरा और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पति-पत्नी के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है। इसलिए सभी सुहागन स्त्रियों को करवा चौथ का व्रत अवश्य करना चाहिए।