पवनार आश्रम वर्धा में "सबै भूमि गौपाल की" नाटक का हुआ आयोजन
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वर्धा के पवनार आश्रम में विनोबा भावे की पुण्यतिथि पर "सबै भूमि गौपाल की" नाटक का मंचन किया गया, जिसमें भूमि दान आंदोलन और भारतीय संस्कृति पर जोर दिया गया।
नाटक ने सामाजिक जिम्मेदारी और चेतना का जागरण किया, और दर्शकों को गहरे भावनात्मक प्रभाव में डाला।
वर्धा. वर्धा स्थित पवनार आश्रम में विनोबा भावे की पुण्यतिथि के अवसर पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा "सबै भूमि गौपाल की" नाटक का प्रभावशाली मंचन किया गया। इस नाटक का निर्देशन जनसंचार विभाग के सहायक आचार्य डॉ. संदीप कुमार वर्मा और अमित परमार ने सहायक निर्देशक के रूप में अपना सहयोग प्रदान किया।
नाटक में भारतीय संस्कृति, धर्म और समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रस्तुत किया गया, जिसमें भूमि के महत्व और इसके सही उपयोग पर गहरा संदेश दिया गया। जो विनोबा भावे द्वारा चलाए गए भू-दान आंदोलन से संबंधित था. मंचन के दौरान छात्रों ने बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन करते हुए दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ लिया।
नाटक के मंचन के बाद, वहां उपस्थित लोग गहरे प्रभाव में थे और उनका मन भाव विभोर हो गया। उपस्थित जनसमूह ने नाटक की सराहना करते हुए इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया। इस कार्यक्रम ने न केवल विनोबा भावे के आदर्शों को पुनः जीवित किया, बल्कि दर्शकों के भीतर सामाजिक जिम्मेदारी और चेतना का जागरण भी किया।
ज्ञात हो कि विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन की शुरुआत 1951 में की थी, जिसका उद्देश्य भूमि सुधार और गरीबों के लिए भूमि वितरण था। उन्होंने किसानों से स्वेच्छा से अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा दान करने की अपील की, ताकि निर्धन लोग भूमि का स्वामित्व प्राप्त कर सकें और गरीबी मिट सके। यह आंदोलन भारतीय समाज में समानता और न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था। इस दौरान विनोबा आश्रम के मुखिया गौतम बजाज, कंचन बहन, शीला बहन, आबिदा बहन सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे.