भारतजेन: भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को सशक्त बनाने का प्रयास
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भारतजेन ने "भारत डेटा सागर" पहल के जरिए भाषाई समावेशिता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया।
यह परियोजना भारतीय भाषाओं और सामाजिक-आर्थिक विविधता को ध्यान में रखते हुए विकसित की गई है।
आईआईटी और आईआईएम के प्रमुख शोध संस्थान इस परियोजना में भाग ले रहे हैं।
भारतजेन स्थानीय भाषाओं और बोलियों में निर्बाध अनुवाद के लिए उपकरण प्रदान करेगा।
New Delhi/ भारत सरकार ने भारतजेन के रूप में एक उन्नत मल्टीमॉडल बहुभाषी जनरेटिव एआई मॉडल का शुभारंभ किया है। इस पहल का उद्देश्य देश की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक विविधता को ध्यान में रखते हुए जनरेटिव एआई मॉडल को विकसित करना और भारतीय भाषाओं के लिए डेटा का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है।
भारतजेन ने "भारत डेटा सागर" नामक एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है, जो भारतीय भाषाओं के लिए प्राथमिक डेटा संग्रह पर केंद्रित है। इसका लक्ष्य उन भाषाओं को शामिल करना है जिनका डेटा संग्रह में कम प्रतिनिधित्व है। यह पहल एआई मॉडल को और समावेशी बनाने और भारतीय भाषाई परिदृश्य के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
इस परियोजना में आईआईटी बॉम्बे, आईआईआईटी हैदराबाद, आईआईटी मद्रास, आईआईटी मंडी, आईआईटी कानपुर और आईआईएम इंदौर जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं। ये संस्थान सरकार, उद्योग और स्टार्टअप के साथ साझेदारी कर रहे हैं, ताकि देश के विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के लिए समान तकनीकी पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
भारतजेन स्थानीय भाषाओं और बोलियों में निर्बाध अनुवाद के लिए प्रौद्योगिकी और उपकरण भी प्रदान करेगा। यह क्षेत्र-विशिष्ट सामग्री विकास को प्रोत्साहित करेगा और स्थानीय सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देगा।