केन-बेतवा लिंक परियोजना, बुंदेलखंड को मिलेगा सूखे से राहत
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परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिलों में केन नदी पर दौधन बांध बनाया जाएगा। 77 मीटर ऊंचे और 2.13 किलोमीटर लंबे इस बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर पानी का भंडारण किया जाएगा।
बांध से पानी को 1.9 किलोमीटर और 1.1 किलोमीटर लंबी दो टनलों के माध्यम से 221 किलोमीटर लंबी लिंक नहर में पहुंचाया जाएगा। यह नहर मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और उत्तर प्रदेश के झांसी जिलों तक पानी पहुंचाएगी।
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को फिर से जीवित किया। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकारों ने मिलकर इस परियोजना में आने वाली बाधाओं को दूर किया और केंद्र से फंड की मंजूरी प्राप्त की।
Bhopal, Chhatarpur/ केन-बेतवा लिंक परियोजना देश की पहली नदी जोड़ो योजना है, जिसका उद्देश्य बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई और पेयजल सुविधा प्रदान करना है। यह परियोजना केन और बेतवा नदियों को आपस में जोड़कर जल संकट को दूर करेगी।
दौधन बांध और टनल निर्माण
परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिलों में केन नदी पर दौधन बांध बनाया जाएगा। 77 मीटर ऊंचे और 2.13 किलोमीटर लंबे इस बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर पानी का भंडारण किया जाएगा। बांध से पानी को 1.9 किलोमीटर और 1.1 किलोमीटर लंबी दो टनलों के माध्यम से 221 किलोमीटर लंबी लिंक नहर में पहुंचाया जाएगा। यह नहर मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और उत्तर प्रदेश के झांसी जिलों तक पानी पहुंचाएगी।
अटल जी का सपना हुआ साकार
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में इस योजना की परिकल्पना की थी, जब देश में भीषण सूखा पड़ा था। नदियों को जोड़ने का यह विचार उनकी दूरदर्शिता का परिणाम था। हालांकि उनकी सरकार के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को फिर से जीवित किया। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकारों ने मिलकर इस परियोजना में आने वाली बाधाओं को दूर किया और केंद्र से फंड की मंजूरी प्राप्त की।
बुंदेलखंड के जिलों को होगा लाभ
यह परियोजना मध्य प्रदेश के पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया जैसे 10 जिलों को सिंचाई और पेयजल की सुविधा प्रदान करेगी। किसानों को नहर के जरिए खेतों तक पानी मिलेगा, जिससे कृषि उत्पादन में सुधार होगा।
दूसरे चरण में सहायक नदियों पर काम
परियोजना के दूसरे चरण में बीना और उर नदियों पर बांध बनाए जाएंगे। इससे क्षेत्र में जल संकट को पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश की जाएगी।