नालंदा विश्वविद्यालय: स्थापत्य कला का एक अद्भुत संस्थान
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प्रसिद्ध 'बौद्ध सारिपुत्र' का जन्म यहीं पर हुआ था।
सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 450 ई. में की थी नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना।
नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास चीन के हेनसांग और इत्सिंग ने खोजा था।
नालंदा/नालंदा विश्वविद्यालय एक प्रसिद्ध भारतीय विश्वविद्यालय है। जो नालंदा जिले में स्थित है। यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म और तथागतवाद के अध्ययन को प्रमुखता देता है। इसका पुन: स्थापना सन् 2010 में की गई थी और यह मौर्य साम्राज्य के मशहूर नालंदा महाविहार के पास स्थित है जो भारतीय इतिहास और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
नालंदा प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान बौद्ध-धर्म के साथ ही अन्य देशों के छात्र पढ़ते थे। वर्तमान में बिहार राज्य के पटना से 85.5 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से 11.5 किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज़ करा देते हैं। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में भारत के इतिहास को पढ़ने आया था के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ 10,000 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2,000 शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7 वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। प्रसिद्ध 'बौद्ध सारिपुत्र' का जन्म यहीं पर हुआ था।
अत्यंत सुनियोजित ढंग से और विस्तृत क्षेत्र में बना हुआ यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना था। इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी और उनके सामने अनेक भव्य स्तूप और मंदिर थे। मंदिरों में बुद्ध भगवान की सुन्दर मूर्तियाँ स्थापित थीं। केन्द्रीय विद्यालय में सात बड़े कक्ष थे और इसके अलावा तीन सौ अन्य कमरे थे। इनमें व्याख्यान हुआ करते थे। अभी तक खुदाई में तेरह मठ मिले हैं। वैसे इससे भी अधिक मठों के होने ही संभावना है। मठ एक से अधिक मंजिल के होते थे। कमरे में सोने के लिए पत्थर की चौकी होती थी। दीपक, पुस्तक इत्यादि रखने के लिए आले बने हुए थे। प्रत्येक मठ के आँगन में एक कुआँ बना था। आठ विशाल भवन, दस मंदिर, अनेक प्रार्थना कक्ष तथा अध्ययन कक्ष के अलावा इस परिसर में सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी।
नालंदा विश्वविद्यालय का ध्येय है विद्यार्थियों को भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक विरासत के साथ समृद्ध करना और उन्हें एक विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करके विश्वविद्यालय की गरिमा को बढ़ाना है।
नालंदा विश्वविद्यालय में पीएचडी, स्नातकोत्तर और स्नातक कार्यक्रम प्रदान किए जाते हैं। इसका मुख्य ध्येय है विद्यार्थियों को बौद्ध धर्म, दर्शन, तथागतवाद, अध्यात्मविज्ञान और अद्वैत वेदांत के क्षेत्र में शिक्षा प्रदान कराना है। इसके अलावा यह विश्वविद्यालय भारतीय और विदेशी छात्रों के लिए बौद्ध धर्म, प्राचीन भारतीय विज्ञान और भारतीय इतिहास और संस्कृति के क्षेत्र में अनुसंधान की सुविधा प्रदान करता है।