कब बनेगी हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भाषा : महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा गढ़चिरौली में परिसंवाद
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई एवं नूतन शिक्षण प्रसारक मंडल, देसाईगंज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत "हिंदी कब बनेगी अंतर्राष्ट्रीय भाषा" विषय पर परिसंवाद गढ़चिरौली के आदर्श महाविद्यालय, देसाईगंज में सम्पन्न हुआ।
मुंबई, 28 सितम्बर। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई एवं नूतन शिक्षण प्रसारक मंडल, देसाईगंज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत "हिंदी कब बनेगी अंतर्राष्ट्रीय भाषा" विषय पर परिसंवाद गढ़चिरौली के आदर्श महाविद्यालय, देसाईगंज में सम्पन्न हुआ।
शुक्रवार, 27 सितम्बर, 2024 को आयोजित इस परिसंवाद की अध्यक्षता नूतन शिक्षण प्रसारक मंडल के सचिव मोतीलाल कुकरेजा ने की, जबकि संस्था के उपाध्यक्ष जगदीश शर्मा तथा महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य जगदीश थपलियाल प्रमुख अतिथियों के रूप में उपस्थित रहे। प्रारम्भ में दीप प्रज्ज्वलन, महाराष्ट्र राज्य गीत और गणमान्य अतिथियों के स्वागत- सत्कार के उपरांत आयोजक डॉ. शंकर कुकरेजा ने परिसंवाद की प्रस्तावना रखी। उन्होंने बताया कि आदर्श महाविद्यालय में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता का प्रसार करने वाला यह प्रथम बड़ा आयोजन है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में गढ़चिरौली जिले में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित किया जाने वाला यह पहला कार्यक्रम है, जिसके लिए संस्था अकादमी की आभारी है। उन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध बनाने के लिए अकादमी के उल्लेखनीय कार्यों की खुलकर प्रशंसा की।
परिसंवाद के मुख्य मार्गदर्शक के रूप में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य डॉ. विजेंद्र बत्रा का सत्कार शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर संस्था के सचिव मोतीलाल कुकरेजा द्वारा किया गया। डॉ. बत्रा ने अपने सम्बोधन में 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को राजभाषा घोषित किये जाने से अब तक उसके क्रमिक प्रसार और देश-विदेश में निरंतर बढ़ती हिंदी की स्वीकार्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने राजभाषा और राष्ट्रभाषा के अंतर तथा हिंदी की समृद्धि में अहिंदी भाषी नेताओं एवं समाज सुधारकों के योगदान की प्रमुखता से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी, विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश-विदेश में हिंदी भाषा को प्रतिष्ठा दिलाने पर हम सभी को गर्व है। उन्होंने विश्वास जताया कि जिस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को 195 में से 177 देशों के समर्थन से शुरू किया गया, उसी प्रकार हिंदी को संयुक्त राज्य महासंघ में आगामी कुछ वर्षों में दो तिहाई सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त कर अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिलने की पूरी सम्भावना है।
प्रमुख अतिथि और अकादमी के कार्यकारी सदस्य जगदीश थपलियाल ने हिंदी के मुख्य साहित्यकारों के योगदान को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करने, हिंदी को रोज़गार की भाषा बनाये जाने तथा कई प्रदेशों में चिकित्सा एवं प्रबंधन की पढ़ाई में हिंदी माध्यम को मान्यता दिये जाने की दिशा में हो रहे प्रयासों की सराहना की। विशिष्ट अतिथि सुरेंद्र हरडे ने हिंदी को प्रथम भाषा की तरह प्रयोग करने का आग्रह किया। संस्था के उपाध्यक्ष जगदीश शर्मा ने अकादमी के कार्यों को अधिकाधिक विद्यार्थियों तक पहुंचाने और उन्हें हिंदी भाषा एवं साहित्य के प्रति यथा सम्भव जागरूक करने का आग्रह किया। परिसंवाद की अध्यक्षता कर रहे मोतीलाल कुकरेजा ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में विद्यार्थियों को कुएं के मेंढ़क की मानसिकता से बाहर निकलकर बहुभाषी बनने की सलाह दी। उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से सकारात्मक सोच लेकर राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने तथा निजी क्षेत्र में रोजगार तलाशने का आव्हान किया। उन्होंने भविष्य में भी महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के साथ ऐसे विभिन्न कार्यक्रम करने का मानस जताया।
कार्यक्रम के आयोजक डॉ. शंकर कुकरेजा का अकादमी की ओर से शॉल और स्मृति चिह्न देकर सत्कार किया गया। संस्था के सदस्य ओमप्रकाश अग्रवाल, अब्दुल ज़हीर शेख, सत्तुमल ढोढानी और नानक कुकरेजा भी इस अवसर पर उपस्थित थे। महाविद्यालय के डॉ. हितेंद्र धोटे, निहार बोदेले और दामोदर सिंगाडे ने कार्यक्रम की सफलता में अहम योगदान दिया। आभार डॉ. श्रीराम गहाणे ने प्रकट किया और परिसंवाद का संचालन नितिन रामटेके ने किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ परिसंवाद का समापन हुआ।