भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने साइलो परियोजनाओं के साथ भंडारण और परिवहन बुनियादी ढांचे को किया मजबूत
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
एफसीआई के बुनियादी ढांचे में नवीनतम संकलन के रूप में देश के विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक रूप से स्थित छह परिचालन साइलो शामिल हैं। डिजाइन, निर्माण, वित्त, स्वामित्व और संचालन (डीबीएफओओ) या डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर निर्मित ये साइलो परियोजनाएं निजी निवेश से विकसित की गई हैं और अब पूरी तरह से संचालित हैं।
साइलो परियोजनाओं की मुख्य विशेषताएं:
- दरभंगा साइलो परियोजना (बिहार):
मेसर्स अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स (दरभंगा) लिमिटेड द्वारा डीबीएफओओ मॉडल के तहत विकसित इस परियोजना में 50,000 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता और एक समर्पित रेलवे साइडिंग शामिल है। इसे अप्रैल 2024 में पूरा किया गया और अब यह पूरी तरह से संचालित है।
- समस्तीपुर साइलो परियोजना (बिहार):
दरभंगा परियोजना के अनुरूप, समस्तीपुर में इस साइलो को मेसर्स अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स (समस्तीपुर) लिमिटेड द्वारा 50,000 मीट्रिक टन क्षमता के साथ विकसित किया गया था। मई 2024 में पूरा होने के बाद यह परियोजना अब शुरू हो गई है।
- साहनेवाल साइलो परियोजना (पंजाब):
मेसर्स लीप एग्री लॉजिस्टिक्स (लुधियाना) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डीबीएफओटी मॉडल के तहत विकसित इस परियोजना की क्षमता 50,000 मीट्रिक टन है तथा यह पंजाब में अनाज की खरीद और भंडारण क्षमता में सुधार करके स्थानीय किसानों की सहायता करती है। यह परियोजना मई 2024 में पूरी हुई।
- बड़ौदा साइलो परियोजना (गुजरात):
बड़ौदा साइलो को मई 2024 में मेसर्स लीप एग्री लॉजिस्टिक्स (बड़ौदा) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पूरा किया गया और इसकी भंडारण क्षमता 50,000 मीट्रिक टन है। इससे क्षेत्र में अनाज भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई है।
- छेहरटा साइलो परियोजना (पंजाब):
मेसर्स एनसीएमएल छेहरटा प्राइवेट लिमिटेड ने अमृतसर में इसे विकसित किया है और इसकी भंडारण क्षमता 50,000 मीट्रिक टन है। मई 2024 में पूरी हुई यह परियोजना अब क्षेत्र में किसानों से खरीदे गए अनाज के लिए आवश्यक भंडारण प्रदान करती है।
- बटाला साइलो परियोजना (पंजाब):
गुरदासपुर में स्थित बटाला साइलो परियोजना, मेसर्स एनसीएमएल बटाला प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित की गई है और इसका काम जून 2024 में पूरा हो गया। 50,000 मीट्रिक टन क्षमता के साथ, यह परियोजना क्षेत्र में एफसीआई के भंडारण बुनियादी ढांचे को और बढ़ाता है, जिससे कई स्थानीय किसानों को लाभ होता है। ये साइलो कई महत्वपूर्ण तरीकों से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएँगे:
- भंडारण क्षमता में बढ़ोत्तरी
- बेहतर संरक्षण
- नुकसान में कमी
- कुशल प्रबंधन और थोक भंडारण
- स्वचालित प्रणाली
- भंडारित अनाज के बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण को सक्षम बनाती है।
- एकीकृत रेल और सड़क परिवहन संपर्क के साथ निर्मित
- मशीनीकृत थोक लोडिंग और अनलोडिंग के लिए डिज़ाइन की गई सुविधाएं
- परिचालन लागत में कमी
ये साइलो परियोजनाएँ और परिवहन पहल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और भंडारण और परिवहन बुनियादी ढाँचे में सुधार करके नुकसान को कम करने की दिशा में एफसीआई के अपनाए गए व्यापक प्रयासों के अनुरूप है। ये साइलो आधुनिक तकनीक से लैस हैं, जो अनाज के बेहतर संरक्षण, नुकसान को कम करने और बेहतर खरीद सुविधाएँ प्रदान करके किसानों का समर्थन सुनिश्चित करते हैं।