Hyderabad | कांचा गाचीबोवली पेड़ कटाई मामला: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से मांगा समाधान

Wed 16-Apr-2025,06:53 PM IST +05:30

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Hyderabad | कांचा गाचीबोवली पेड़ कटाई मामला: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से मांगा समाधान गाचीबोवली में अवैध पेड़ कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को फटकारा
  • सुप्रीम कोर्ट ने कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में बिना अनुमति पेड़ काटने पर तेलंगाना सरकार से जवाब मांगा है।

  • अदालत ने पेड़ों की कटाई और वन्यजीवों पर इसके प्रभाव को देखते हुए सभी विकास कार्यों पर रोक लगा दी है।

Telangana / Hyderabad :

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई को लेकर गंभीर चिंता जताई है। यह मामला अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है, जहां पर्यावरण को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की मंशा और कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाया है और पेड़ों की कटाई के पीछे की जल्दबाजी पर हैरानी जताई है।

सुनवाई के दौरान, जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि अगर राज्य सरकार अपने मुख्य सचिवों को बचाना चाहती है तो पहले यह बताए कि वह 100 एकड़ जंगल की भरपाई कैसे करेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह किसी नौकरशाह या मंत्री की व्याख्या के आधार पर निर्णय नहीं लेगी, बल्कि ठोस समाधान की मांग करेगी। कोर्ट ने वीडियो फुटेज का हवाला देते हुए कहा कि शाकाहारी जंगली जानवर शरण की तलाश में इधर-उधर भाग रहे हैं और आवारा कुत्तों द्वारा काटे जा रहे हैं। यह एक बेहद चिंताजनक स्थिति है।

कोर्ट ने पहले ही 3 अप्रैल को आदेश दिया था कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के विकास कार्य को तत्काल प्रभाव से रोका जाए और पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा के अलावा कोई अन्य गतिविधि राज्य सरकार द्वारा न की जाए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत उत्तरदायित्व की चेतावनी भी दी थी और इस विषय पर विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि आखिर इतनी जल्दी क्या थी कि सरकारी छुट्टियों के दौरान इतने सारे बुलडोजर लगाए गए? जस्टिस गवई ने कहा कि हमें स्पष्टीकरण नहीं बल्कि समाधान चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्पष्ट करें कि पर्यावरण की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी कानून को इस अदालत के आदेश की भावना के विरुद्ध नहीं माना जाएगा।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना उचित अनुमति के पेड़ काटना, चाहे वह निजी भूमि पर ही क्यों न हो, अवैध है। अदालत ने यह जानना चाहा कि कितने पेड़ बिना सरकार की अनुमति के काटे गए और जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार क्या योजना बना रही है। कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह अपने दोषी अधिकारियों को अस्थायी जेल भेजती है या नहीं।

अंत में कोर्ट ने यह दोहराया कि उसका उद्देश्य किसी व्यक्ति या संस्था को सज़ा देना नहीं बल्कि पर्यावरण की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि अगर समाधान नहीं दिया गया तो अदालत को कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं। पेड़ों की अवैध कटाई और पर्यावरण की उपेक्षा को लेकर कोर्ट का यह कड़ा रुख भविष्य में इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए एक मिसाल बन सकता है।

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