बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर सस्पेंस जारी: संगठनात्मक फेरबदल की तैयारियों में जुटा पार्टी नेतृत्व
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बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर संशय बरकरार, संगठन और आरएसएस ऐसे नेता की तलाश में हैं जो 2029 तक पार्टी को मज़बूती से नेतृत्व दे सके।
प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर संगठनात्मक बदलाव की तैयारी, नए अध्यक्ष के बाद राष्ट्रीय महासचिवों और संसदीय बोर्ड में भी बड़े फेरबदल संभव।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मौजूदा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का कार्यकाल पूरा हुए एक साल होने को है, लेकिन अभी तक पार्टी नेतृत्व या आरएसएस की ओर से कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है। गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा कि यह 14 करोड़ सदस्यों वाली पार्टी है, इसलिए अध्यक्ष चुनने में समय तो लगता है। उन्होंने यह भी साफ किया कि जैसे ही नामांकन होगा, सबको जानकारी मिल जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी और आरएसएस दोनों ही ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं जो संगठन को मजबूती देने के साथ 2029 के लोकसभा चुनावों तक नेतृत्व कर सके। राजनीतिक संदेश देने के बजाय संगठनात्मक मजबूती को प्राथमिकता दी जा रही है। फिलहाल आम सहमति न बन पाने के कारण चुनाव में देरी की संभावना जताई जा रही है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले पार्टी को कम से कम 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव कराना है। गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में यह प्रक्रिया अभी बाकी है। संभावित अध्यक्षों के नामों में मनोहर लाल खट्टर, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम चर्चा में हैं। दक्षिण भारत या महिला नेता पर भी विचार चल रहा है।
बीजेपी इस बार उन नेताओं को तरजीह देना चाहती है जो लंबे समय से संगठन में सक्रिय हैं। संगठनात्मक चुनावों में 60 वर्ष की उम्र सीमा और दस साल की संगठनात्मक सक्रियता जैसे मानकों को प्राथमिकता दी गई है। हालांकि कुछ अपवाद भी रहे हैं, जैसे केरल में राजीव चंद्रशेखर।
नए अध्यक्ष के चयन के बाद पार्टी में बड़े पैमाने पर फेरबदल की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के संसदीय बोर्ड में कद्दावर नेताओं को जगह दी जा सकती है। पिछली बार कुछ लो-प्रोफाइल नेताओं को शामिल कर बोर्ड का प्रभाव कम कर दिया गया था। साथ ही, 50% राष्ट्रीय महासचिव बदले जा सकते हैं और युवा नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।
बीजेपी नेतृत्व के सामने तीन बड़े बदलाव करने की चुनौती है – पहला, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन और संगठनात्मक बदलाव; दूसरा, देशभर में राज्यपालों की नियुक्तियां; और तीसरा, केंद्रीय मंत्रिपरिषद का विस्तार। बिहार चुनाव से पहले कैबिनेट में फेरबदल संभव है, जिसमें सहयोगी दलों को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है। हाल ही में एनडीए में शामिल हुए एआईएडीएमके को भी जगह मिलने की चर्चा है।
फिलहाल बीजेपी में मंथन का दौर जारी है, और सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि नेतृत्व कब निर्णय लेता है। इंतजार की घड़ियां लंबी होती जा रही हैं, लेकिन संकेत हैं कि बदलाव जल्द ही सामने आएंगे।
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