न्यूयॉर्क शहर में 14 अप्रैल अब 'डॉ. बी.आर. अंबेडकर दिवस' के रूप में घोषित
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न्यूयॉर्क शहर के मेयर एरिक एडम्स ने 14 अप्रैल को आधिकारिक रूप से 'डॉ. बी.आर. अंबेडकर दिवस' घोषित किया, जिसे शहर के 8.5 मिलियन निवासी मनाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. अंबेडकर की वैश्विक विरासत को सम्मानित करते हुए उनके सिद्धांतों को मानवाधिकार और समानता का प्रतीक बताया गया।
न्यूयॉर्क शहर ने 14 अप्रैल, 2025 को डॉ. भीमराव अंबेडकर दिवस के रूप में घोषित कर इतिहास रच दिया है। यह घोषणा न्यूयॉर्क शहर के मेयर एरिक एडम्स द्वारा की गई, जिसे शहर के 8.5 मिलियन निवासी मनाएंगे। यह घोषणा न्यूयॉर्क मेयर कार्यालय के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के उपायुक्त दिलीप चौहान ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले की उपस्थिति में की। यह अवसर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में डॉ. अंबेडकर की 135वीं जयंती पर आयोजित विशेष कार्यक्रम के दौरान आया, जिसमें श्री अठावले मुख्य वक्ता थे।
श्री अठावले ने इसे "ऐतिहासिक क्षण" बताया और मेयर एरिक एडम्स व दिलीप चौहान का आभार जताते हुए सोशल मीडिया पर डॉ. अंबेडकर की वैश्विक विरासत को सम्मानित किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर न केवल भारतीय संविधान के निर्माता थे, बल्कि समानता और सामाजिक न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रेरणा के स्रोत हैं।
14 अप्रैल 1891 को जन्मे डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में कानून मंत्री बने। वे सामाजिक भेदभाव, विशेष रूप से दलितों और अछूतों के खिलाफ, दृढ़ता से लड़े और शिक्षा, महिला सशक्तिकरण तथा आर्थिक सुधारों को लेकर सजग रहे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से 1927 में अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की और 1952 में उन्हें मानद उपाधि भी मिली।
न्यूयॉर्क में आयोजित इस कार्यक्रम में दिलीप चौहान ने कहा कि अंबेडकर के आदर्श सीमाओं और कालखंड से परे हैं। उनका दर्शन विविधता, अवसर और समावेश के प्रति प्रतिबद्ध शहर न्यूयॉर्क के मूल्यों से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि अंबेडकर की विचारधारा संयुक्त राष्ट्र और न्यूयॉर्क शहर के सामाजिक ताने-बाने में गहराई से जुड़ी हुई है।
फाउंडेशन फॉर ह्यूमन होराइजन के अध्यक्ष दिलीप म्हस्के ने इसे वैश्विक स्तर पर समानता और मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता की प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि नैतिक घोषणा बताया। उन्होंने कहा कि यह घोषणा लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए डॉ. अंबेडकर के योगदान को वैश्विक मान्यता देने जैसा है।
श्री अठावले ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का जीवन भारत तक सीमित नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा है। उन्होंने जाति व्यवस्था, गरीबी और उपनिवेशवादी दमन के खिलाफ संघर्ष करते हुए खुद को एक वैश्विक मानवाधिकार योद्धा के रूप में स्थापित किया। उन्होंने यह भी कहा कि अंबेडकर के विचार आज भी 2030 के सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।
कार्यक्रम से पहले अठावले ने कोलंबिया विश्वविद्यालय की लेहमैन लाइब्रेरी में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इसे "ज्ञान के प्रतीक" के रूप में वर्णित किया और कहा कि अंबेडकर की मूर्ति सिर्फ एक स्मारक नहीं, बल्कि शिक्षा और समानता के लिए संघर्ष की मिसाल है। यह घोषणा न्यूयॉर्क शहर को मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करती है।