RBI की मौद्रिक नीति: 5 साल बाद रेपो रेट में कटौती, सस्ते होंगे लोन
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RBI ने FY26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ रेट का अनुमान 6.6% से बढ़ाकर 6.7% कर दिया है।
कंपनियों को कम दरों पर लोन मिलेगा, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती की है। यह कटौती 5 साल बाद की गई है, जिससे रेपो रेट घटकर 6.25% हो गया। इससे होम लोन, कार लोन और बिजनेस लोन की ब्याज दरें कम होने की संभावना है, जिससे आम जनता और कारोबारी जगत को राहत मिलेगी।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति बैठक में यह निर्णय लिया गया। इससे पहले, लगातार 11 बैठकों में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। पिछली बार मई 2020 में कोविड-19 के दौरान रेपो रेट घटाया गया था।
कटौती के मुख्य कारण और प्रभाव:
महंगाई में गिरावट: RBI ने FY26 के लिए मुद्रास्फीति (Inflation) का अनुमान 4.2% रखा है, जिससे ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ हुआ।
आर्थिक विकास दर का अनुमान बढ़ा: RBI ने FY26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ रेट का अनुमान 6.6% से बढ़ाकर 6.7% कर दिया है।
ग्रामीण मांग में वृद्धि: रूरल डिमांड में तेजी देखी गई है, जिससे इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी। हालांकि, शहरी मांग अभी सुस्त बनी हुई है।
ब्याज दरों में कटौती का असर:
* होम और कार लोन होंगे सस्ते – EMI घटने से आम जनता को राहत मिलेगी।
* बिजनेस लोन सस्ता होगा – कंपनियों को कम दरों पर लोन मिलेगा, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
* इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा – कम ब्याज दर से लोग ज्यादा खर्च करेंगे, जिससे बाजार और कारोबार को फायदा होगा।
RBI ने अपनी मौद्रिक नीति को "तटस्थ नीति" (Neutral Stance) बताया है, यानी आगे भी परिस्थितियों के अनुसार दरों में बदलाव हो सकता है। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।