अरविंद केजरीवाल के आरोपों की राजनीति: सच्चाई या रणनीति?

Sat 08-Feb-2025,03:13 PM IST +05:30

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अरविंद केजरीवाल के आरोपों की राजनीति: सच्चाई या रणनीति? अरविंद केजरीवाल के आरोपों की राजनीति
  • दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल ने दावा किया कि बीजेपी उनके 16 उम्मीदवारों को खरीदने का प्रयास कर रही है। 

  • चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर दिल्ली को जहरीला पानी भेजने का भी आरोप लगाया।

Haryana / Gurgaon :

राजनीति में विरोधियों पर आरोप लगाने की रणनीति कोई नई नहीं है। वीपी सिंह ने 1989 में राजीव गांधी पर बोफोर्स घोटाले का आरोप लगाया, जिससे कांग्रेस को चुनावी हार का सामना करना पड़ा। इसी रास्ते पर अरविंद केजरीवाल भी चले, लेकिन कई बार वे बिना ठोस सबूतों के गंभीर आरोप लगाकर विवादों में घिर गए। हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल ने दावा किया कि बीजेपी उनके 16 उम्मीदवारों को खरीदने का प्रयास कर रही है। आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह ने इसे "ऑपरेशन लोटस" करार दिया। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिना प्रमाण के ऐसे आरोपों पर जनता भरोसा नहीं करती। ठीक एक साल पहले भी केजरीवाल और आतिशी ने आरोप लगाया था कि उनके 7 विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये का लालच दिया गया, लेकिन दिल्ली पुलिस की जांच में वे कोई सबूत नहीं दे सके। चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर दिल्ली को जहरीला पानी भेजने का भी आरोप लगाया। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने यमुना का पानी पीकर इन आरोपों को झूठा साबित किया, जिससे केजरीवाल की छवि को नुकसान हुआ।

सत्ता में आने से पहले उन्होंने जनलोकपाल विधेयक पारित करने का वादा किया था, लेकिन आज तक इसे लागू नहीं किया गया। उनके वीआईपी कल्चर को छोड़ने की बात भी खोखली साबित हुई, क्योंकि उन्हें केंद्र सरकार से Z+ सुरक्षा मिली हुई है। यह पहली बार नहीं है जब केजरीवाल को अपने आरोपों पर माफी मांगनी पड़ी हो। नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल और पंजाब के बिक्रम मजीठिया से वे लिखित में माफी मांग चुके हैं। 2017 में मजीठिया पर ड्रग्स कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाने के बाद, मानहानि केस से बचने के लिए उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनता अब उनके आरोपों को गंभीरता से नहीं लेती। यदि एग्जिट पोल सही साबित होते हैं और AAP को बड़ा नुकसान होता है, तो इसकी वजह उनकी गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी और खोखले वादे होंगे।