भारतीय वास्तुकला और मूर्तिकला की अद्वितीय धरोहर है खजुराहो के मंदिर
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
खजुराहो का इतिहास बहुत ही समृद्ध और महत्वपूर्ण है, जो भारतीय कला, संस्कृति और धर्म के विकास के एक महत्वपूर्ण चरण को दर्शाता है।
आज, खजुराहो भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। ये मंदिर भारत की समृद्ध संस्कृति और इतिहास के प्रतीक हैं और हर साल लाखों पर्यटक यहाँ आते हैं।
खजुराहो मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह स्थान अपने प्राचीन मंदिरों के समूह के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जिन्हें खजुराहो के मंदिर के नाम से जाना जाता है क्योंकियहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। खजुराहो को प्राचीन काल में 'खजूरपुरा' और 'खजूर वाहिका' के नाम से भी जाना जाता था। मंदिरों का शहर कहलाने वाला खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर 10वीं और 12वीं शताब्दी के बीच चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए थे। खजुराहो के मंदिर अपनी वास्तुकला और शिल्पकला के लिए विख्यात हैं, खासकर उनकी दीवारों पर उकेरी गई जटिल और सुंदर मूर्तियों के लिए। इन मूर्तियों में विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और कामुक चित्रण मिलते हैं। नागर शैली में स्थापित खजुराहो के मंदिरों में कामुक क्रीड़ाओं को बहुत ही खूबसूरती से उभारा गया है यानि अधिकतर मूर्तियाँ नग्न अवस्था में है। मंदिरों की दीवारों पर दर्शाए गए सभी दृश्य मानव जीवन चक्र का भाग हैं, जो यह दर्शाते हैं कि यौन, प्रसव और काम मानव जीवन के अनिवार्य पहलू हैं। हिंदू मंदिर के निर्माण की विशेषता है कि मंदिर का मुख सूर्योदय की दिशा में होना चाहिए। खजुराहो के सभी मंदिरों का निर्माण भी इसी विशेषता को ध्यान में रखकर किया गया है। खजुराहो के मंदिरों को 1986 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गयाऔर अब यह स्थान देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
खजुराहो का इतिहास बहुत ही समृद्ध और महत्वपूर्ण है, जो भारतीय कला, संस्कृति और धर्म के विकास के एक महत्वपूर्ण चरण को दर्शाता है। खजुराहो का सबसे प्रसिद्ध पहलू इसके मंदिर हैं, जो चंदेल वंश के शासनकाल के दौरान 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच बनाए गए थे।खजुराहो के मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से चंदेल राजाओं द्वारा किया गया था। चंदेल वंश का उदय 9वीं शताब्दी के अंत और 10वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ। ये राजा अपने समय के प्रमुख राजाओं में से थे और उनका राज्य बुंदेलखंड क्षेत्र में फैला हुआ था। खजुराहो चंदेल राजाओं की राजधानी नहीं था, लेकिन यह उनका सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र था। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच किया गया था। इस अवधि में, लगभग 85 मंदिरों का निर्माण किया गया था, हालांकि आज उनमें से केवल 20-25 ही बचे हुए हैं। ये मंदिर हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म के विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं।खजुराहो के मंदिरों की वास्तुकला नागर शैली की है, जो भारतीय मंदिर वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है। मंदिरों की दीवारों पर जटिल और विस्तृत मूर्तियां उकेरी गई हैं, जिनमें धार्मिक, सामाजिक और कामुक दृश्यों का चित्रण मिलता है। ये मूर्तियां भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं और इनकी कला भारतीय मूर्तिकला के सुनहरे युग का प्रतिनिधित्व करती है।खजुराहो के मंदिर भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनमें से कई मंदिर भगवान शिव, विष्णु और देवी को समर्पित हैं, जबकि कुछ मंदिर जैन तीर्थंकरों को भी समर्पित हैं। इन मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव मनाए जाते थे, जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा थे।13वीं शताब्दी में चंदेल वंश के पतन के बाद, खजुराहो का महत्व धीरे-धीरे घटने लगा। मुस्लिम आक्रमणकारियों के आगमन के साथ ही, कई मंदिर ध्वस्त हो गए या क्षतिग्रस्त हो गए। बाद में, यह स्थल कई शताब्दियों तक अज्ञात और निर्जन रहा।19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश अधिकारी टी. एस. बर्ट ने 1838 में खजुराहो के मंदिरों को फिर से खोजा और इन्हें विश्व के सामने लाया। इसके बाद, इन मंदिरों का संरक्षण और पुनर्स्थापन का कार्य आरंभ हुआ।
आज, खजुराहो भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। ये मंदिर भारत की समृद्ध संस्कृति और इतिहास के प्रतीक हैं और हर साल लाखों पर्यटक यहाँ आते हैं। खजुराहो के मंदिर अपनी उत्कृष्ट कला, वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए आज भी विश्वभर में प्रसिद्ध हैं।
खजुराहो में घूमने की जगह:
खजुराहो एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपने प्राचीन मंदिरों, ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। यहां घूमने के लिए कई महत्वपूर्ण स्थल और गतिविधियां हैं। जैसे-
- खजुराहो के मंदिर: यह कई मंदिरों का समूह है जिनमें पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी समूह के मंदिर शामिल हैं। जैसे-
- पश्चिमी समूह के मंदिर:
- कंदरिया महादेव मंदिर: यह सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसकी उत्कृष्ट शिल्पकला और जटिल मूर्तियां देखने योग्य हैं।
- लक्ष्मण मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसकी दीवारों पर रामायण और महाभारत के दृश्य चित्रित हैं।
- विश्वनाथ मंदिर: यह मंदिर भी शिव को समर्पित है और इसमें नंदी की बड़ी प्रतिमा देखने को मिलती है।
- चित्रगुप्त मंदिर: यह सूर्य देव को समर्पित है और यहां सूर्य देव की विशाल प्रतिमा स्थापित है।
- पूर्वी समूह के मंदिर:
- पार्श्वनाथ मंदिर: यह जैन मंदिर है और इसकी वास्तुकला और मूर्तिकला अद्वितीय है।
- आदिनाथ मंदिर: यह भी जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है और इसमें जैन मूर्तियों की जटिल नक्काशी देखने को मिलती है।
- वामन मंदिर: यह मंदिर भगवान वामन को समर्पित है और इसकी शिल्पकला अद्भुत है।
- दक्षिणी समूह के मंदिर:
- दूल्हादेव मंदिर: यह शिव मंदिर है जहां विवाह के दृश्य दर्शाए गए हैं।
- चतुर्भुज मंदिर: यह विष्णु को समर्पित है जहां विष्णु की एक विशाल प्रतिमा है।
- खजुराहो का आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम:इस संग्रहालय में खजुराहो के मंदिरों से प्राप्त मूर्तियां और अन्य पुरातात्विक वस्त्रों का संग्रह है। यह संग्रहालय खजुराहो की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को समझने का एक अच्छा माध्यम है।
- खजुराहो डांस फेस्टिवल: यह वार्षिक नृत्य महोत्सव फरवरी महीने में आयोजित होता है और यह भारतीय शास्त्रीय नृत्य के विभिन्न रूपों का प्रदर्शन करता है। इस उत्सव में प्रसिद्ध नर्तक और कलाकार हिस्सा लेते हैं, और यह खजुराहो के सांस्कृतिक वातावरण को जीवंत बनाता है।
- पन्ना नेशनल पार्क: खजुराहो से लगभग 25 किमी की दूरी पर स्थित, यह राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अद्भुत स्थान है। यहाँ आप बाघ, तेंदुआ, हिरण, घड़ियाल और विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देख सकते हैं। पार्क के अंदर केन नदी पर स्थित पांडव फॉल्स भी एक प्रमुख आकर्षण है।
- रानेह वॉटरफॉल्स: यह झरना केन नदी पर स्थित है और खजुराहो से लगभग 20 किमी की दूरी पर है। रानेह झरने के आसपास की चट्टानें और कण्ठ इसे अद्वितीय बनाते हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है।
- अजायबघर और लाइट एंड साउंड शो: खजुराहो के मंदिरों के इतिहास और उनके निर्माण की कहानी को जानने के लिए यहां का लाइट एंड साउंड शो देखा जा सकता है। यह शो शाम के समय आयोजित होता है और इसमें मंदिरों की रचना और चंदेल राजाओं के इतिहास के बारे में जानकारी दी जाती है।
- बनेहटा माता मंदिर: यह मंदिर खजुराहो से लगभग 35 किमी दूर स्थित है और स्थानीय लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर का भी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
- केन घड़ियाल सेंचुरी: यह खजुराहो के पास स्थित है और यहां आपको घड़ियालों के संरक्षण का काम देखने को मिलेगा। यहां की नदी में बोटिंग भी की जा सकती है।
- एडवेंचर गतिविधियाँ: खजुराहो और इसके आसपास ट्रेकिंग, बोटिंग और वाइल्डलाइफ सफारी जैसी गतिविधियाँ भी की जा सकती हैं।
खजुराहो कैसे पहुंचे:
खजुराहो पहुंचना काफी आसान है, क्योंकि यह सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां तक पहुंचने के लिए इन विकल्पों का उपयोग कर सकते है-
- हवाई मार्ग: खजुराहो एयरपोर्ट (HJR), खजुराहो का अपना हवाई अड्डा है, जो शहर से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से दिल्ली, वाराणसी और अन्य प्रमुख शहरों के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। यदि खजुराहो के लिए सीधी उड़ान नहीं मिलती है, तो आप दिल्ली या वाराणसी हवाई अड्डे पर उतर सकते हैं और वहां से घरेलू उड़ान या सड़क मार्ग द्वारा खजुराहो पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग: खजुराहो रेलवे स्टेशन, खजुराहो का अपना रेलवे स्टेशन है, जो शहर से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ से दिल्ली, झांसी, आगरा और वाराणसी के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनें हैं- उत्तर प्रदेश संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (दिल्ली से खजुराहो), खजुराहो-उदयपुर एक्सप्रेस (उदयपुर से खजुराहो), बुंदेलखंड एक्सप्रेस (खजुराहो से वाराणसी) आदि। यदि खजुराहो के लिए सीधी ट्रेन नहीं मिलती है, तो आप झांसी या सतना रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं और वहां से टैक्सी या बस के माध्यम से खजुराहो जा सकते हैं।
- सड़क मार्ग: खजुराहो अच्छी तरह से सड़कों के माध्यम से जुड़ा हुआ है और निजी कार या टैक्सी द्वारा भी यहां पहुंचा जा सकता है। खजुराहो के लिए राज्य परिवहन और निजी बसें उपलब्ध हैं, जो आसपास के शहरों और कस्बों से नियमित रूप से चलती हैं। झांसी, सतना और छतरपुर से खजुराहो के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं। प्रमुख शहरों से खजुराहो की दूरी इस प्रकार है:
- झांसी से खजुराहो: लगभग 175 किमी (4-5 घंटे की यात्रा)
- सतना से खजुराहो: लगभग 120 किमी (3-4 घंटे की यात्रा)
- छतरपुर से खजुराहो: लगभग 45 किमी (1 घंटे की यात्रा)
- दिल्ली से खजुराहो: लगभग 620 किमी (12-13 घंटे की यात्रा)
खजुराहो के मंदिरों तक पहुँचने के बाद, शहर में घूमने के लिए ऑटो-रिक्शा, टैक्सी और साइकिल किराए पर भी उपलब्ध होती हैं, जिससे आप आसानी से स्थानीय स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं।
खजुराहो घूमने का सहीं समय:
खजुराहो की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इस अवधि के दौरान मौसम ठंडा और सुखद होता है, जो यात्रा के अनुभव को और भी आरामदायक बना देता है। यहां मौसम के अनुसार यात्रा का अनुभव भिन्न हो सकता है जैसे-
- अक्टूबर से मार्च (सर्दी का मौसम): इस समय खजुराहो में मौसम ठंडा और सुखद रहता है, तापमान आमतौर पर 10°C से 30°C के बीच रहता है। यह समय मंदिरों और अन्य स्थलों की यात्रा के लिए आदर्श होता है। इस दौरान खजुराहो में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे कि खजुराहो नृत्य महोत्सव (फरवरी) का आयोजन होता है, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत की प्रदर्शनी होती है। इस समय बाग-बगिचों और हरियाली का दृश्य भी बहुत आकर्षक होता है।
- अप्रैल से जून (गर्मी का मौसम): इस अवधि के दौरान खजुराहो में तापमान 30°C से 45°C तक पहुँच सकता है, जो बहुत गर्म और सूखा हो सकता है। गर्मी के कारण यात्रा करना कुछ कठिन हो सकता है। इस समय यात्रा करने से बचना बेहतर होता है, लेकिन यदि आप इस अवधि में यात्रा करने का निर्णय लेते हैं, तो सुबह और शाम के समय यात्रा करना अधिक आरामदायक होगा।
- जुलाई से सितंबर (मानसून का मौसम): इस दौरान खजुराहो में मध्यम से भारी बारिश होती है और तापमान 25°C से 35°C के बीच रहता है। बारिश के कारण वातावरण हरा-भरा और ताजगी से भरा रहता है, लेकिन कुछ जगहों पर कीचड़ और जलभराव हो सकता है। मानसून के दौरान यात्रा करने से आप अधिक भीड़ से बच सकते हैं, लेकिन यात्रा के लिए सही योजना और सावधानी रखना महत्वपूर्ण है।
सबसे अच्छा समय खजुराहो की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च तक का है, जब मौसम ठंडा और यात्रा के लिए आदर्श होता है।
यात्रा की तैयारी और सुझाव:
- खजुराहो के मंदिरों की यात्रा के लिए हल्के कपड़े और आरामदायक जूते पहनें, क्योंकि मंदिरों की वास्तुकला और मूर्तियों को देखने के लिए काफी पैदल चलना पड़ता है।
- यदि आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो यहां के सूर्यास्त और सूर्योदय के समय की फोटोग्राफी अद्भुत होती है।
- गर्मियों में यहाँ बहुत गर्मी होती है, इसलिए यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त होता है।
खजुराहो का समृद्ध इतिहास, अद्भुत वास्तुकला और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक अनोखा पर्यटन स्थल बनाते हैं, जहाँ हर उम्र और रुचि के लोग कुछ न कुछ दिलचस्प पा सकते हैं।
इस प्रकार खजुराहो की यात्रा के दौरान स्थानीय कला, हस्तशिल्प और भोजन का अनुभव भी महत्वपूर्ण है। यहां के बाजारों में स्थानीय हस्तशिल्प की चीजें मिलती हैं और आप स्थानीय व्यंजनों का आनंद भी ले सकते हैं।