काशी: आखिर क्यों कहा जाता है काशी को हिंदुओं का पवित्र शहर, क्या शिव ने इसे बसाया
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भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है काशी विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।
वाराणसी को प्रायः मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, दीपों का शहर, ज्ञान की नगरी आदि विशेषणों से भी संबोधित किया जाता रहा है।
वाराणसी, जिसे बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्राचीन शहर है। यह शहर सहस्त्रों वर्ष से भारत में हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है। वाराणसी गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह शहर भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-मध्य भाग में स्थित है और अपने घाटों के लिए प्रसिद्ध है। इस स्थान पर गंगा ने प्रायः चार मील का दक्षिण से उत्तर की ओर घुमाव लिया है जिसके ऊपर यह नगर बसा है।
वाराणसी का इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है, जो दुनिया के सबसे प्राचीन और निरंतर बसे हुए शहरों में से एक है। विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है। प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं- “बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।”इसे हिंदू धर्म में सात सबसे पवित्र शहरों (सप्तपुरी) में सेएक माना जाता है। यह शहर भगवान शिव की नगरी माना जाता है और इसके पवित्रता के कारण इसे काशी कहा जाता है। भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है काशी विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। पौराणिक मान्यता के अनुसार वाराणासी में जो भी मनुष्य अंतिम सांस लेता है उसे स्वर्ग मिलता है जिसके कारणइसे 'मोक्ष नगरी' के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ लोग अमावस्या और पूर्णिमा को गंगा नदी में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। वाराणसी को प्रायः मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, दीपों का शहर, ज्ञान की नगरी आदि विशेषणों से भी संबोधित किया जाता रहा है।
वाराणसी शिक्षा का भी प्रमुख केंद्र है। यहाँ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) स्थित है, जो एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है। वाराणसी की संस्कृति बहुत ही जीवंत और समृद्ध है। यह अपने उद्भव काल से ही आध्यात्मिक, दर्शन, साहित्य, कला, सभ्यता, भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य का एक प्रमुख केंद्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। यहाँ की प्रसिद्धि संगीतकार और नृत्यांगना जैसे रवि शंकर, किशोरी अमोनकर आदि के कारण भी है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, गिरिजा देवी, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।
काशी के पर्व और उत्सव की बात करें तो दीपावली और देव दीपावली पर्व यहाँ बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। महा शिवरात्रि के दिन शिव भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। गंगा महोत्सव वाराणसी का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव है। यहाँ के निवासी मुख्य रूप से भोजपुरी बोलते हैं जो हिन्दी की ही एक बोली है।
काशी का धार्मिक महत्व:
1. हिंदू धर्म: वाराणसी को हिंदुओं का सबसे पवित्र शहर माना जाता है। यहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
2. बौद्ध धर्म: सारनाथ, जो वाराणसी के पास स्थित है, बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यही वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
3. जैन धर्म: वाराणसी जैन धर्म के भी महत्वपूर्ण स्थल है।
काशी के प्रमुख दर्शनीय स्थल:
1. काशी विश्वनाथ मंदिर: भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर वाराणसी का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसके दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
2. दशाश्वमेध घाट: यह घाट गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध है और हर दिन यहाँ बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
3. सारनाथ: यह बौद्ध तीर्थस्थल है जहाँ गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
4. अस्सी घाट: अस्सी घाट, अस्सी और गंगा नदियों के संगम पर स्थित है जो एक पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित बड़े शिव लिंग के लिए प्रसिद्ध है। यह घाट हिंदू धार्मिक क्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यहीं महान कवि तुलसीदास का निधन हुआ था।
5. रामनगर किला: तुलसीघाट से गंगा नदी के पार स्थित यह बलुआ पत्थरों से निर्मित एक किला है जिसमें वेद व्यास मंदिर, राजा का निवास स्थान और संग्रहालय है।
6. संकतमोचन हनुमान मंदिर: यह अस्सी नदी के किनारे स्थित एक हनुमान मंदिर है।
7. नया विश्वनाथ मंदिर: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अंदर स्थित इस मंदिर का निर्माण भारत के बेहद सफल उददयोगपती बिड़ला ग्रुप ने बनवाया था।
काशी पहुँचने के प्रमुख मार्ग:
वाराणसी रेलवे, हवाई और सड़क मार्गों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। जिनका जिक्र यहाँ किया जा रहा है-
1. हवाई मार्ग से:काशी का निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (वाराणसी हवाई अड्डा) है, जो शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा द्वारा शहर के किसी भी हिस्से में पहुंच सकते हैं।
2. रेल मार्ग से:काशी का प्रमुख रेलवे स्टेशन वाराणसी जंक्शन है। यह स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
3. सड़क मार्ग से:काशी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप अपने निजी वाहन या बस सेवाओं का उपयोग करके काशी पहुंच सकते हैं।
4. नदी मार्ग से:यदि आप गंगा नदी के किनारे बसे अन्य शहरों से आ रहे हैं, तो आप नाव या क्रूज़ सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। काशी में कई घाट हैं जहाँ से ये सेवाएं उपलब्ध होती हैं।
इन विकल्पों से आप आसानी से काशी पहुंच सकते हैं और इस पवित्र नगरी का आनंद उठा सकते हैं।