SAGARMALA PROJECT : गोवा को कार्गो और क्रूज हब के रूप में विकसित किया जाएगा
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सागरमाला परियोजना के तहत तटीय इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लॉजिस्टिकल कॉस्ट कम होगी।
तटीय क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाकर स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा।
दिल्ली/केंद्र सरकार सागरमाला योजना के तहत गोवा राज्य सरकार के साथ मिलकर गोवा को एक प्रमुख कार्गो और क्रूज गंतव्य के रूप में विकसित कर रही है। उल्लेखनीय है कि सागरमाला योजना के तहत गोवा में एक अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रूज टर्मिनल के साथ-साथ एक फेरी टर्मिनल भी विकसित किया गया है।
केंद्र सरकार ने गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह पर एक अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रूज टर्मिनल के साथ-साथ एक फेरी टर्मिनल भी विकसित किया है, जिसकी अनुमानित परियोजना लागत 101.72 करोड़ रुपये है। इस परियोजना को मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय गोवा में 09 तटीय जेटी के लिए डीपीआर भी तैयार कर रहा है ताकि कार्गो की मात्रा बढ़ाई जा सके, यातायात कम किया जा सके और अंतर्देशीय परिवहन में सुधार किया जा सके। कार्गो बढ़ाने के प्रयासों में नए टर्मिनल बनाना, मौजूदा टर्मिनलों का विस्तार करना, कनेक्टिविटी बढ़ाना, उपकरणों को अपग्रेड करना और सब्सिडी और कम शुल्क के माध्यम से तटीय शिपिंग को बढ़ावा देना शामिल है। क्रूज गतिविधियों को और बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने 2024 में क्रूज भारत मिशन शुरू किया।
इस तरह के विकास से इन क्षेत्रों में अपेक्षित आर्थिक प्रभाव पड़ेंगे, जैसे परिवहन, आतिथ्य, खुदरा और पर्यटन में रोजगार सृजन, स्थानीय व्यापार राजस्व में वृद्धि होगी। यह एकीकृत क्रूज सर्किट द्वारा सक्षम फेरी और रोरो (रोल-ऑन/रोल-ऑफ) सेवाओं सहित उन्नत अंतर्देशीय जलमार्ग सेवाओं के माध्यम से स्थानीय कनेक्टिविटी में भी सुधार करता है।
यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
बताते चलें कि, सागरमाला परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में एक है। भारत की लंबी तटीय रेखा और नदियों के अपार फैलाव को देखते हुए सरकार इस परियोजना के तहत एक साथ कई अवसरों का लाभ लेना चाहती है। सागरमाला परियोजना एक राष्ट्रीय प्रोग्राम है जिसमें समुद्री और नदियों के संसाधनों का इस्तेमाल कर देश में लाखों रोजगार पैदा करना है। साथ ही बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी करना है।
सागरमाला प्रोजेक्ट का पूरा जिम्मा पोर्ट्स, शिपिंग एंड वाटरवेज मिनिस्ट्री के अंतर्गत है जिसके मंत्री मनसुख मंडाविया हैं। मंडाविया इस प्रोजेक्ट को लेकर एक बड़े मिशन पर काम कर रहे हैं जिसके तहत तटीय और नदियों के रास्ते (वाटरवेज) को जोड़ना है। सागर परियोजना में कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है जिनमें 26 प्राथमिकता के आधार पर तेजी से चलाए जा रहे हैं। इसमें पोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर दिया जा रहा है। मनसुख मंडाविया के मुताबिक, अगले 10 साल में इस प्रोजेक्ट से 1 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इन रोजगार में 40 लाख नौकरियां डायरेक्ट आएंगी।
तटीय इलाकों में तेजी से होगा विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर में क्रांतिकारी बदलाव
देश में 7500 किमी का तटीय इलाका है और इससे जुड़े कई वाटरवेज हैं। तटीय इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास कर, वाटरवेज का दायरा बढ़ाकर लॉजिस्टिकल कॉस्ट या ढुलाई खर्च को कम करना है। तटीय इलाकों से होने वाले आयात-निर्यात और घरेलू माल ढुलाई में लगने वाले समय को कम करना है। इस दिशा में काम करते हुए तटों के किनारे औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। सागरमाला प्रोजेक्ट के तहत बंदरगाह विकास, बंदरगाहों से जुड़े औद्योगीकरण, बंदरगाहों से संपर्क और बंदरगाहों के आसपास बसने वाली आबादी के विकास कार्य शामिल हैं।
पोर्ट के काम में तेज़ी, विकास की दिशा में बड़ा कदम
मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने ‘दि वीक’ को एक इंटरव्यू में बताया, भारत के पूरे तटीय इलाके में 204 पोर्ट हैं जिनमें मात्र 69 कार्यरत हैं। इन सभी पोर्ट के विकास के लिए नेशनल पोर्ट ग्रिड का गठन किया गया है। यह ग्रिड पोर्ट से जुड़े सभी कार्यों की देखरेख करती है। जब सभी पोर्ट काम करने लगेंगे तो यह एक क्रांतिकारी बदलाव होगा जो भारत के निर्यात में ढुलाई के खर्च को बेहद कम कर देगा। पोर्ट के रास्ते पूरी दुनिया का औसतन लॉजिस्टिकल कॉस्ट देखें तो 9 परसेंट के आसपास है, जबकि भारत में यह खर्च 14 परसेंट आता है। नेशनल पोर्ट ग्रिड देश के फिशरी, कृषि और मिनरल्स के काम में लगे पोर्ट को बड़े स्तर पर विकसित करेगी। इस काम में निवेश की भी बड़ी गुंजाइश है।
505 प्रोजेक्ट पर हो रहा है काम, देश के बंदरगाहों का होगा सर्वांगीण विकास
पोर्ट से जुड़े विकास कार्यों के 505 प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिन पर 3,56,648 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। सागरमाला परियोजना के तहत रामायण क्रूज शुरू करने की योजना है। सरयू नदी पर यह देश की पहली लक्जरी क्रूज सर्विस होगी। गंगा नदी पर भी ऐसे ही धार्मिक सर्किट बनाने की योजना है। इस काम के लिए निजी कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है। यह काम पब्लिक-प्राइवेट मोड में किया जाएगा। इस काम में पानी के रास्ते रोरो (रोन ऑन-रोल ऑफ) फेरी कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जाएगा। रोरो कनेक्टिविटी गाड़ियों के लिए भी इस्तेमाल में ली जाएगी, जबकि रो पैक्स (रोल ऑन-रोल ऑफ, यात्रियों के साथ) वेसेल (पानी में चलने वाला वाहन) से यात्रियों का सफर कराया जाएगा।
वाराणसी से हल्दिया तक जलमार्ग
सागरमाला प्रोजेक्ट के तहत जल मार्ग विकास प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है जो देश का सबसे बड़ा आंतरिक जलमार्ग प्रोजेक्ट है। इसमें वाराणसी को हल्दिया (पश्चिम बंगाल) से जोड़ा गया है और यह देश का सबसे लंबा जलमार्ग है। इसके तहत मल्टी मॉडल टर्मिनल हल्दिया, साबिगंज और बनारस में बनाए भी जा चुके हैं। हल्दिया से साहिबगंज तक 600 किमी का मार्ग शुरू भी हो गया है।
रेल की जगह जलमार्ग से होगी माल ढुलाई
इस जलमार्ग पर लगभग 1 हजार कार्गो वेसेल चल रहे हैं। ऐसे ही अन्य जलमार्ग भी बनाए जाने हैं ताकि रोड ट्रैफिक को सुधारा जा सके और दुर्घटनाओं को कम किया जा सके। जलमार्ग का प्रोजेक्ट इको फ्रेंडली भी है। इस योजना के तहत 1400 किमी को वाटरवेज बनाया जा चुका है और प्राथमिकता के आधार पर 1 हजार किमी पर काम चल रहा है। अब तक अनाज, उर्वरक और मिनरल्स जो रेल से ढोए जाते थे, उन चीजों को जलमार्ग के रास्ते ढोने की योजना है। जलमार्ग विकसित होने से देश की ब्लू इकोनॉमी, समुद्र और नदियों से अर्थव्यवस्था में मजबूती) भी तेजी से विकास करेगी।