बाबासाहेब अंबेडकर सामाजिक न्याय के प्रतीक - पीएम मोदी
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बचपन में छुआछूत और जातिवाद का सामना करने के बावजूद, डॉ. अंबेडकर ने 32 डिग्रियाँ हासिल की और भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में सामाजिक न्याय के लिए काम किया।
डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी हर युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जो जीवन के संघर्षों को पार करने और समानता की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
दिल्ली/प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज 6 दिसंबर को डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने कहा कि समानता और मानवीय गरिमा के लिए डॉ. अंबेडकर का अथक संघर्ष पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
प्रधानमंत्री ने एक एक्स पोस्ट में कहा; "महापरिनिर्वाण दिवस पर, हमारे संविधान निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रतीक डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को हम नमन करते हैं। समानता और मानवीय गरिमा के लिए डॉ. अंबेडकर का अथक संघर्ष पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। आज, जब हम उनके योगदान को याद करते हैं, तो हम उनके सपने को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराते हैं। इस वर्ष की शुरुआत में मुंबई में चैत्य भूमि की अपनी यात्रा की एक तस्वीर भी साझा कर रहा हूँ। जय भीम!"
आज, 6 दिसंबर को बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि मनाई जाती है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। उनका बचपन सामाजिक और आर्थिक भेदभाव के बीच बीता। स्कूल के दिनों में अंबेडकर को छुआछूत और जातिवाद का सामना करना पड़ा। लेकिन, इन कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और कड़ी मेहनत से 32 डिग्रियाँ हासिल की, साथ ही उन्हें डॉक्टरेट की डिग्री भी प्राप्त हुई।
छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखते हुए, अंबेडकर ने दलित समाज के उत्थान के लिए कदम बढ़ाए। उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय संविधान को तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाई।
बाबा साहेब के विचार और उनके संघर्ष ने उन्हें हर युवा के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बना दिया। उनके अनमोल विचार आज भी हम सभी को जीवन के संघर्षों में प्रेरणा देते हैं और हमें समानता और न्याय की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।