कर्नाटक सरकार का अपराध और नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान
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मुख्यमंत्री ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने पर विशेष ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि युवा समाज की सबसे बड़ी संपत्ति हैं, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
अर्थशास्त्री गोविंद राव के नेतृत्व में एक समिति गठित करने की घोषणा की, जो यह अध्ययन करेगी कि क्या नंजुंदप्पा समिति की सिफारिशों को लागू कर क्षेत्रीय असंतुलन को कम किया गया है।
Bengaluru/ कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपराध और नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर सख्ती से अंकुश लगाएं। विधानसभा में आयोजित नए साल के समारोह में उन्होंने वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और राज्य की आर्थिक व सामाजिक असमानताओं को खत्म करने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा लागू की गई पांच गारंटी योजनाएं लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने और सामाजिक समानता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इन योजनाओं का लाभ बिचौलियों के बिना सीधे पात्र लोगों तक पहुंचे।
युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में मुख्यमंत्री ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने पर विशेष ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि युवा समाज की सबसे बड़ी संपत्ति हैं, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति का उपयोग अपराध को रोकने और समाज के विकास के लिए करने की बात कही। क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री ने 35,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की जानकारी दी। उन्होंने अर्थशास्त्री गोविंद राव के नेतृत्व में एक समिति गठित करने की घोषणा की, जो यह अध्ययन करेगी कि क्या नंजुंदप्पा समिति की सिफारिशों को लागू कर क्षेत्रीय असंतुलन को कम किया गया है।
मुख्यमंत्री ने उत्तर कर्नाटक में विकास के मुद्दे पर भी ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने विकास के लिए अपर्याप्त धन के आरोपों को झूठा बताते हुए पिछली सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया। कर्नाटक सरकार महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, बीपीएल कार्डधारकों के लिए 10 किलो चावल और परिवार की महिला मुखिया को 2,000 रुपये मासिक भत्ता जैसी योजनाएं चला रही है। हालांकि, विपक्ष ने इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर सवाल उठाए हैं।