कोनेरू हम्पी ने जीता दूसरा विश्व रैपिड शतरंज खिताब, पीएम मोदी ने दी ऐतिहासिक जीत की बधाई
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कोनेरू ने टूर्नामेंट में 8.5/11 अंकों के साथ जीत हासिल की। यह खिताब उन्होंने पहली बार 2019 में मॉस्को में जीता था।
कोनेरू की जीत ने 2024 में भारतीय शतरंज के स्वर्णिम वर्ष में एक और उपलब्धि जोड़ दी। इससे पहले, भारत ने इस साल शतरंज ओलंपियाड में ओपन और महिला दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीते थे।
फाइनल राउंड में जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। लीडरबोर्ड पर सात खिलाड़ियों के बीच टाई की स्थिति थी। कोनेरू ने कठिन परिस्थितियों में बेहतरीन खेल दिखाते हुए खिताब अपने नाम किया।
कोनेरू ने अपनी इस जीत से यह साबित कर दिया कि भारतीय शतरंज खिलाड़ी वैश्विक मंच पर किसी से कम नहीं हैं।
न्यूयॉर्क/ भारत की शीर्ष महिला शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी ने रविवार को 2024 फीडे महिला विश्व रैपिड शतरंज चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना दूसरा खिताब जीत लिया। इस ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और उनकी उपलब्धि को प्रेरणादायक बताया।
कोनेरू ने टूर्नामेंट में 8.5/11 अंकों के साथ जीत हासिल की। यह खिताब उन्होंने पहली बार 2019 में मॉस्को में जीता था। उन्होंने इस बार इंडोनेशिया की अंतर्राष्ट्रीय मास्टर इरीन खारिस्मा सुकंदर को अंतिम राउंड में मात देकर खिताब अपने नाम किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर बधाई देते हुए लिखा,
"कोनेरू हम्पी को 2024 फीडे महिला विश्व रैपिड चैम्पियनशिप जीतने पर बधाई। उनका धैर्य और प्रतिभा लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती है। यह जीत और भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह उनका दूसरा खिताब है। वह यह अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल करने वाली एकमात्र भारतीय बन गई हैं।"
जीत के बाद कोनेरू हम्पी का बयान
37 वर्षीय कोनेरू ने अपनी जीत को खास बताते हुए कहा,
"विश्व चैंपियन बनना कभी आसान नहीं होता, खासकर जब आप उम्रदराज हो रहे हों। प्रेरणा बनाए रखना और तेज बने रहना चुनौतीपूर्ण होता है। मुझे खुशी है कि मैंने यह मुकाम हासिल किया।"
उन्होंने आगे कहा,
"पहला राउंड हारने के बाद मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं चैंपियन बनूंगी। यह जीत मेरे लिए बहुत खास है और यह मेरे संघर्ष और समर्पण को दर्शाती है।"
भारत के लिए एक और बड़ी सफलता
कोनेरू की जीत ने 2024 में भारतीय शतरंज के स्वर्णिम वर्ष में एक और उपलब्धि जोड़ दी। इससे पहले, भारत ने इस साल शतरंज ओलंपियाड में ओपन और महिला दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीते थे। साथ ही, गुकेश डी ने शास्त्रीय शतरंज में विश्व चैंपियन का खिताब जीता।
रोमांचक फाइनल और कांटे की टक्कर
फाइनल राउंड में जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। लीडरबोर्ड पर सात खिलाड़ियों के बीच टाई की स्थिति थी। कोनेरू ने कठिन परिस्थितियों में बेहतरीन खेल दिखाते हुए खिताब अपने नाम किया।
फाइनल मुकाबले में कोनेरू के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली अन्य प्रमुख खिलाड़ी थीं:
- चीन की विश्व चैंपियन जू वेनजुन
- भारत की हरिका द्रोणावल्ली
- उज्बेकिस्तान की अफरुजा खामदामोवा
- और रूस की कैटरीना लैग्नो।
कोनेरू हम्पी: प्रेरणा की मिसाल
कोनेरू ने अपनी इस जीत से यह साबित कर दिया कि भारतीय शतरंज खिलाड़ी वैश्विक मंच पर किसी से कम नहीं हैं। उनकी यह उपलब्धि न केवल भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों पर ले जाती है, बल्कि देश के युवाओं को प्रेरणा भी देती है।